धनबाद(DHANBAD): झारखंड में हेमंत सोरेन को जेल भेजने का गुस्सा आदिवासियों में खुलकर दिखा. पांच आदिवासी सीटों पर भाजपा का सुपड़ा साफ़ हो गया. कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा तक चुनाव हार गए. दुमका लोकसभा सीट से झामुमो के नलिन सोरेन 22,527 मतों से जीत गए है. यहाँ भाजपा का कार्ड फेल कर गया. तो सिंघभूम से झामुमो की जोबा मांझी 1,68, 402 वोटो से जीत दर्ज की है. राजमहल से झामुमो के विजय हांसदा 1,78, 264 वोट से जीत दर्ज की है. लोहरदगा से कांग्रेस के सुखदेव भगत 1,39, 138 वोट से जीते है. खूंटी से कालीचरण मुंडा 1,49,675 वोट से जीते है. इस प्रकार झारखंड के 14 लोकसभा सीटों में से पांच पर इंडिया ब्लॉक को सफलता मिली है. तीन सीटों पर झामुमो का परचम लहराया है तो दो सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीते है. इंडिया गठबंधन झारखंड में आदिवासी सीटों पर ही चुनाव जीत पाया है. अन्य सीटों पर उसकी बिल्कुल नहीं चली है. आखिर इसका कारण क्या हो सकता है. कारण तो कई हो सकते है.
बिहार में भी बहुत सफलता नहीं मिली
बिहार में भी गठबंधन को बहुत अधिक सफलता नहीं मिली तो झारखंड में भी इसे बहुत सफलता क्यों माना जाए ? इस पर सवाल हो सकते है. आदिवासी सीटों पर जीत का सीधा मतलब तो यही निकलता है कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल में डालकर सत्ता पक्ष से क्या गलती हुई है? क्या सत्ता पक्ष चुनाव घोषणा के पहले इसका आकलन नहीं कर पाया था? क्या हेमंत सोरेन को जेल भेजने के खिलाफ लोगों में इतना अधिक गुस्सा था? यह सब ऐसे सवाल हैं, जिसका अब मंथन भी होगा और विश्लेषण भी होगा. झारखंड मुक्ति मोर्चा 2019 के चुनाव में सिर्फ एक सीट जीत पाया था और कांग्रेस की झोली में केवल एक सीट गई थी. लेकिन 2024 के चुनाव में कांग्रेस दो सीटों पर जीत दर्ज की है तो झारखंड मुक्ति मोर्चा तीन सीटों पर विजय पताका लहराया है. तो क्या यह माना जाए कि सत्ता पक्ष की चूक की वजह से झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस को फायदा हुआ है. क्या कांग्रेस झारखंड में जमीन पर चुनाव लड़ने में ताकत नहीं दिखाई ?क्या उम्मीदवारों का चयन भी बड़ा कारण बना?
अब शुरू होगा मंथन का दौर
यह सब ऐसे सवाल हैं, जिसका मंथन एनडीए गठबंधन भी करेगा और इंडिया ब्लॉक भी करेगा. क्योंकि झारखंड में इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने वाले है. विधानसभा के चुनाव को लेकर अब तैयारी शुरू होगी. 2014 से 2019 तक बीजेपी झारखंड में 5 साल की सरकार चला चुकी है. अभी भी भाजपा को झारखंड में सरकार नहीं होने का मलाल है, तो इंडिया गठबंधन भी कोई कसर नहीं छोड़ेगा कि फिर से उसकी सरकार ना बने. झारखंड के बड़े भाई बिहार में भी इंडिया ब्लॉक को जितनी उम्मीद थी, उतनी सफलता नहीं मिली है. यह अलग बात है कि उत्तर प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन गठबंधन ने किया और एनडीए के सभी दावों की हवा निकाल दी. रायबरेली सीट से कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनाव जीत गए तो अमेठी से स्मृति ईरानी चुनाव हार गई. स्मृति ईरानी को किशोरी लाल शर्मा ने चुनाव में पराजित किया.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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