Ranchi-एक तरफ भले ही झारखंड में इंडिया गठबंधन के दो बड़े खिलाड़ी झामुमो और कांग्रेस के बीच शीट शेयरिंग को लेकर सहमति बनने के दावे किये जा रहे हों, लेकिन इन दोनों के बीच की यह सहमति राजद, माले और सीपीआई जैसे छोड़े सियासी खिलाड़ियों की बेचैनी को खत्म करने में नाकाम दिख रही है और उसका कारण यह है कि इन दोनों की सहमति के बीच उनका सियासी भविष्य किस करवट लेने वाला है, उसकी कोई तस्वीर सामने नहीं आ रही है, दावा भले ही कांग्रेस और झामुमो के द्वारा अपने अपने हिस्से की सात सीटों में एक एक सीट राजद और वाम दलों को देने की हो, लेकिन वह सीट कौन सी होगी, इसको लेकर अभी तक कुछ भी साफ नहीं है. इसी सियासी उलझन का शिकार होकर पलामू से राजद कोटे से पूर्व सांसद धुरन राम भाजपा की सवारी करने में ही अपना सियासी भविष्य देखने को बाध्य हुए. अब कुछ इसी प्रकार की बेचैनी सीपीआई की से भी उठती दिख रही है.
सीपीआई के हिस्से में आने के बाद जीत का रिकार्ड बनाने का दावा
हजारीबाग संसदीय सीट पर अपनी दावेदारी की ताल ठोकते हुए हजारीबाग से पूर्व सीपीआई सांसद भुनेश्वर मेहता ने झामुमो और कांग्रेस से पांच मार्च तक इस तस्वीर को साफ करने की चुनौती दी है, इशारों ही इशारों में अपने दर्द को बयां करते हुए भुवनेश्वर मेहता ने साफ किया है कि शीट शेयरिंग को लेकर पहले ही काफी देरी हो चुकी है, अब इसमें और देरी करना इंडिया गठबंधन के लिए घातक साबित हो सकता है. क्योंकि हमें जनता के बीच भी जाना है. अपने प्रचार प्रसार की शुरुआत करनी है, जनसम्पर्क अभियान को गति देना है. लेकिन इस उहापोह के कारण पूरी पार्टी फंसी है, पत्ता नहीं गठबंधन के तहत कौन सी सीट लड़ने का प्रस्ताव दिया जाय, हालांकि हजारीबाग सीट पर अपनी मजबूत पकड़ का दावा करते हुए भुनेश्वर मेहता ने कहा कि जब यशवंत बाबू वित्त मंत्री के रुप में उनके सामने मैदान में थें, तब भी सीपीआई ने करीबन एक लाख वोट लाकर अपनी ताकत का इजहार किया था, और तो सारी परिस्थितियां उलट चुकी है, आज यह चुनौती बेहद आसान है, यदि सीपीआई के हिस्से हजारीबाग की सीट आती है, हम ना इस चुनाव को जीतेंगे बल्कि जीत का एक नया रिकार्ड भी कायम करेंगे, लेकिन यह देरी अब परेशान कर रही है, झामुमो कांग्रेस को जल्द से जल्द झारखंड की पूरी तस्वीर साफ करनी चाहिए.
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