Ranchi-2024 के महाजंग के पहले झारखंड में इंडिया गठबंधन के अन्दर तनातनी तेज होने के आसार नजर आने लगे हैं. और इसकी वजह इंडिया गठबंधन के शिल्पकार सीएम नीतीश की सियासी हसरतें हैं, दावा किया जा रहा है कि सीएम नीतीश की नजर झारखंड के 22 फीसदी कुर्मी महतो मतदाताओं के साथ ही अति पिछड़ी जातियों पर भी है. जिसके सहारे वह झारखंड में एक मजबूत सियासी पारी की शुरुआत करने की महत्वकांक्षा पाले हुए हैं, और यही कारण है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के साथ ही सीएम नीतीश के बेहद खास मंत्री अशोक चौधरी लगातार झारखंड का दौरा कर रहे हैं.
रामटहल चौधरी का जदयू में शामिल होना साबित हो सकता है एक बड़ा टर्न आउट
ध्यान रहे कि आज ही पूर्व भाजपा सांसद रामटहल चौधरी का जदयू में शामिल होने की खबर आयी थी, दावा किया जा रहा है कि जदयू रांची संसदीय सीट से राम टहल चौधरी के बेटे रणधीर चौधरी को मैदान में उतारने का फैसला ले चुकी है. पहले खीरु महतो को राज्य सभा भेजना और अब राम टहल चौधरी को जदयू में शामिल करवाना इसी रणनीति का हिस्सा है, लेकिन कहानी यही खत्म नहीं हो रही है, चर्चा यह भी है कि झामुमो सहित कांग्रेस के कई बड़े चेहरे भी सीएम नीतीश के सम्पर्क में है, और देर सवेर इनकी इंट्री भी जदयू में हो सकती है. इसमें प्रमुख चेहरे वह होंगे जो कुर्मी जाति से आते हैं.
क्या वास्तव में इंडिया गठबंधन के अंदर हो सकती है किसी विवाद की शुरुआत
लेकिन यदि वाकई सीएम नीतीश इसी प्रकार झारखंड में अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने की रणनीति पर आगे बढ़ते रहे तो इंडिया गठबंधन के अंदर भी विवाद की शुरुआत हो सकती है, जिसके शिल्पकार और कोई नहीं खुद सीएम नीतीश हैं. हालांकि एक पक्ष का यह दावा भी है कि दरअसल अपनी मौजूदगी से सीएम नीतीश इंडिया गठबंधन को ही मजबूती प्रदान करने की सियासी चाल बिछा रहे हैं. क्योंकि इंडिया गठबंधन के अंदर झारखंड में अब तक कोई मजबूत चेहरा नहीं हैं, सीएम हेमंत की जो स्वीकार्यता आदिवासी समूहों में है, वही स्वीकार्यता कुर्मी मतदाताओं के बीच नहीं देखी जाती. यही कारण है कि सीएम नीतीश अब एक रणनीति के तहत अपने चेहरे को आगे कर कुर्मी मतदाताओं को इंडिया गठबंधन के पाले में लाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, ताकि एक तरफ हेमंत का आदिवासी चेहरा तो दूसरी तरफ उनका खुदका कुर्मी चेहरा, और यदि यह समीकरण जमीन पर बैठ जाता हो तो 22 फीसदी कुर्मी और 26 फीसदी आदिवासी मतदाताओं का कोर वोट बैंक तैयार हो सकता है. और इंडिया गठबंधन करीबन 48 फीसदी मतों के साथ अपनी शुरुआत कर सकती है. यही कारण है कि जदयू और राजद के द्वारा संगठन विस्तार की इस कवायद को झामुमो और कांग्रेस की ओर निशाना नहीं साधा जा रहा है, क्योंकि अंदरखाने इसपर सहमति और व्यूहरचना पर सहमति तैयार कर ली गयी है.
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