रांची(RANCHI): देश में जारी सनातन विवाद में अब झारखंड के महामहिम सीपी राधाकृष्णन की भी इंट्री हो चुकी है, सलेम कोट्टई मरियम्मन मंदिर की यात्रा पर तिरुमणिमुत्थर पहुंचे राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उदयनिधि स्टालिन को सनातन धर्म को मटियामेट करने से पहले कांग्रेस, आप और जदयू से डीएमके का नाता तोड़ने की चुनौती पेश की है. उन्होंने कहा है कि पहले भी मुगल सम्राटों ने सनातन धर्म को खत्म करने की कोशिश की थी और हजारों हिंदुओं का कत्ल किया था, बावजूद इसके सनातन धर्म को मिटाने में उन्हें सफलता नहीं मिली. तो आज सनातन धर्म खत्म कैसे हो जायेगा.
क्या है सनातन विवाद
यहां याद रहे कि डीएमके सुप्रीमो एमके स्टालिन के बेटे और खेल मंत्री उदयनिधि ने तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक की ओर से चेन्नई में आयोजित “सनातन उन्मूलन सम्मेलन” में सनातन धर्म की तुलना डेंगू मलेरिया से करते हुए दावा यह किया था कि सनातन धर्म में दलित, वंचित और पिछड़ी जातियों को दोयम जिंदगी जीने पर विवश किया गया, दलितों को छुआछूत की अमानवीय यातना झेलनी पड़ी तो पिछड़ी और दूसरी वंचित जातियों को सामाजिक-राजनीतिक जीवन में गैरबराबरी का सामना करना पड़ा.
सनातन उन्मूलन सम्मेलन का आयोजन एक बेहतरीन उदाहरण
आयोजकों को हौसला अफजाई करते हुए उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन विरोधी सम्मेलन करने के बजाय आपने सनातन उन्मूलन सम्मेलन का आयोजन कर एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है. हमें किसी भी हालत में इस सनातन को समाप्त करना होगा. उनके इस बयान के बाद उतर भारत की राजनीति में भूचाल खड़ा हो गया था, भाजपा उदयनिधि के इस बयान को उछाल कर उतर भारत में हिन्दु धुर्वीकरण के रास्ते पर चल पड़ी, लेकिन जैसे ही यह विवाद गहराया भाजपा को दक्षिण भारत की राजनीति में मुश्किलों का सामना करना पड़ने लगा. एक के बाद उसके ही सहयोगी उदयनिधि स्टालिन के पक्ष में खड़े होने लगे. और तो और दक्षिण भारत में एनडीए का एकमात्र सहयोगी भी उसका साथ छोड़ गया, जिसके बाद भाजपा इस विवाद से पीछे हटते नजर आने लगी.
लोकसभा चुनाव के पहले इस विवाद को एक बार फिर से खड़ा करने की कोशिश तो नहीं
लेकिन अब जबकि पांच राज्यों के चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव की शुरुआत होनी है, और पांचों ही राज्यों में भाजपा की हालत पतली बतायी जा रही है, इस बीच झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन की इस विवाद में इंट्री होती नजर आने लगी है, और इसके साथ ही उनके बयान के राजनीतिक निहितार्थ ढूढ़ें जाने लगे हैं.दावा किया जा रहा है कि दरअसल भाजपा लोकसभा चुनाव के पहले एक बार फिर से इस विवाद को सुर्खियों में लाकर उतर भारत में धार्मिक धुर्वीकरण की कोशिश कर रही है, ताकि राम मंदिर का भव्य उद्घाटन और सनातन विवाद के छाये में चुनावी वैतरणी को पार किया जा सके. लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि यह बयान किसी भाजपा नेता का नहीं होकर झारखंड के महामहिम का है, और उनके बयानों को सियासी चश्में से देखने के परहेज करना चाहिए, बहुत संभव है कि वहां मौजूद पत्रकारों ने इस विवाद को उछाल कर अखबारों की सुर्खियां बटोरने की कोशिश की हो, जिसके बाद महामहिम बेहद सहज भाव से अपने उद्गार को व्यक्त कर गये हों, लेकिन बावजूद इसके किसी राज्यपाल के द्वारा किसी राजनीतिक दल को नसीहत देना तो सवाल खड़ा करता ही हैं.
Jharkhand-सनातन विवाद में अब राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन की इंट्री! डीएमके को कांग्रेस-जदयू से गठबंधन तोड़ने की चुनौती, टाइमिंग पर उठे सवाल
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