जेएमएम में टूट- फूट और लूट की पड़ताल करते-करते ‘कमल’ में ही आग लगा बैठे निशिकांत! रणधीर तो पहली झांकी, आगे और पटाखे बाकी है

लेकिन यहां सवाल सिर्फ रणधीर सिंह का नहीं है, क्या रणधीर सिंह जिस दर्द से परेशान हैं, वह दूसरे भाजपा नेताओं के अंदर नहीं पसर रहा है, तो ऐसा नहीं है, कहीं ना कहीं  निशिकांत की  इस सक्रियता के खुद बाबूलाल भी हलकान है, लेकिन उनकी मुसिबत यह है कि अभी अभी भाजपा के अंदर उनकी इंट्री हुई है, अभी तो भाजपा का एक बड़ा हिस्सा ही उन्हे अपनाने को तैयार नहीं दिखता है, इस हालत में बाबूलाल अभी भाजपा को स्थापित करने बजाय भाजपा के अंदर खुद को स्थापित करने का संघर्ष कुछ ज्यादा ही करते दिख रहे हैं, एक बार वह इस लड़ाई को समाप्त कर लें, भाजपा के अंदर अपने आप को पूर्ण  रुप से स्थापित कर लें, तो निश्चित रुप से एक मोर्चा वहां भी खुल सकता है, और दूसरे पटाखें जो आज खामोश हैं, कल वह भी अपनी आवाज को बुंलद करते नजर आयेंगे.

जेएमएम में टूट- फूट और लूट की पड़ताल करते-करते ‘कमल’ में ही आग लगा बैठे निशिकांत! रणधीर तो पहली झांकी, आगे और पटाखे बाकी है