Ranchi- अपनी सरकार को हेमंत पार्ट टू की संज्ञा देने वाले सीएम चंपई अपने विरोधियों को निशाने पर लेने में भी पूर्व सीएम हेमंत कार्बन कॉपी बनने दिख रहे हैं. ठीक वही अंदाजे बयान, वही तेवर और वही आक्रमकता, जिसकी झलक पूर्व सीएम हेमंत में देखने को मिलती थी. यानी निशाना ऐसा कि सामने वाले को संभलने का वक्त भी नहीं मिले, और जब तक वह माजरा समझे, तीर अपना काम कर चुका होगा. कल यही विधान सभा के अंदर देखने को मिला. पूर्व सीएम हेमंत की गिरफ्तारी को भ्रष्टाचार से जोड़ कर परोसनी की कोशिश कर रही है, भाजपा से सीएम चंपई ने बेहद तीखे अंदाज में यह सवाल दागा कि तीन-तीन बार के विधायक बंधू तिर्की को महज छह लाख में अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी और उधर 8 करोड़ की जब्ती के बाद भी भानु प्रताप की फाइल ईडी ने बंद कर अभयदान दे दिया. चंपई का यह तीर चला ही था कि मानो सदन में सन्नाटा पसर गया, और तो खुद भानु भी इसका प्रतिकार से बचते नजर आयें.
किस आठ करोड़ की जब्ती की बात कर रहे थें सीएम चंपई
दरअसल यह कहानी वर्ष 2014 की है, तब भानु प्रताप नवजवान संघर्ष मोर्चा के बनैर तले भवनाथपुर विधान सभा से दूसरी बार विधायक बने थें. इसी दरम्यान ईडी ने दिल्ली से रांची तक उनके विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी करते हुए करीबन 8 करोड़ की परिसंपत्तियों को जब्त किया था, जिसमें गुड़गांव में पांच व्यावसायिक और रिहायशी फ्लैट, रांची और गढ़वा में दस-दस एकड़ का प्लौट और कई बैंक खातों को भी सीज किया गया था. तब ईडी का दावा था कि यह परिसंपत्तियां 2005 में पहली बार विधायक बनने के बाद अर्जित की गयी थी, यानी यह पूरी कमाई काली है. इसके बाद ईडी ने हाईकोर्ट से ईडी की इस कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की. लेकिन हाईकोर्ट ने कार्रवाई पर रोक लगाने से इंकार करते हुए ईडी को अपनी कार्रवाई जारी रखने का आदेश दिया. लेकिन इस बीच झारखंड की पॉलिटिक्स में आपरेशन लोटस की शुरुआत हो गयी, यानि तत्कालीन सीएम रघुवर दास ने विपक्षी विधायकों को तोड़ने का बड़ा ऑपेरशन चलाया, एक साथ कई विपक्षी विधायकों को भाजपा में शामिल करवाया गया. इसी में एक भानु प्रताप शाही थें. उन्होंने अपनी नवजवान संघर्ष मोर्चा का भाजपा में विलय करवा दिया. इसमें आज के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल की तात्कालीन पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के भी कई विधायक थें, इधर भानु प्रताप ने भाजपा का दामन थामा और उधर भानु की फाईल बंद कर दी गयी.
क्यों गयी थी बंधू तिर्की की विधायकी
दूसरी ओर दो-दो बार के विधायक बंधू तिर्की की विधान सभा की सदस्यता महज छह लाख रुपये में चली गयी. अब सीएम चंपई इसी तीर से भाजपा को निशाना साध रहे हैं. दरअसल जब वह यह तीर चला रहे थें कि उनके सामने आदिवासी-मूलवासियों का चेहरा था, और तंज कमाल का, यानि बड़ा से बड़ा भ्रष्टाचारी भी यदि कमल की सवारी कर जाता है, तो उसके सारे गुनाहों से मुक्ति मिल जाती है और इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण भानुप्रताप शाही है. लेकिन यह खेल महज इतना नहीं है, यह तो आदिवासी-मूलवासी समाज को यह समझाने की कोशिश भी थी कि भ्रष्टाचार की परिभाषा चेहरे के साथ बदलती रहती है, यदि वह चेहरा आदिवासी मूलवासी है तो उसके लिए भ्रष्टाचार की दूसरी परिभाषा और एक अलग मापदंड है, लेकिन यदि वह इस जमात से नहीं आता है, और इसके साथ ही“कमल” की सवारी करने को तैयार है, तो उसके लिए भ्रष्टाचार की दूसरी परिभाषा है. यानि भ्रष्टाचार की परिभाषा अपनी सुविधा और चाहत के अनुसार बदला जा रहा है. कौन राजा हरिश्चंद्र और गुनाहगार है, इसका निर्धारण इस आधार पर किया जा रहा है कि आप किस पार्टी के साथ है, यदि आप भाजपा के साथ है, तो यह कमाई आपकी पुस्तैनी है, और यदि आप भाजपा के विरोध में खड़े हैं, तो यह आपका गुनाह है.
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