Ranchi- झारखंड में ईडी की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बीच अब एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) की इंट्री की चर्चा भी जोर पकड़ रही है. दावा है कि चंपई सरकार जल्द ही रघुवर सरकार के उन मंत्रियों की फाईल खोलने की तैयारी में है, जिनके उपर मंत्री रहते हुए अवैध कमाई का गंभीर आरोप है. दावा किया जाता है कि इन मंत्रियों ने रघुवर शासन काल में अकूत कमाई किया, जिसके कारण, उस दौरान इनकी परिसंपत्तियों में दो सौ से एक हजार गुणा की वृद्धि दर्ज की गयी. इन पूर्व मंत्रियों में अमर कुमार बाउरी, रणधीर कुमार सिंह, डा. नीरा यादव, लुईस मरांडी और नीलकंठ सिंह मुंडा का नाम शामिल है.
26 जुलाई को कैबिनेट से मिली थी जांच की स्वीकृति
यहां याद रहे कि तात्कालीन हेमंत सरकार ने 26 जुलाई को अपनी कैबिनेट की बैठक में इन पांचों पूर्व मंत्रियों के विरुद्ध एसीबी को जांच की अनुमति प्रदान किया था, एसीबी की ओर से पांच पीई (प्रीलिमिनरी इंक्वायरी) दर्ज की गयी थी, और इसके साथ ही प्रत्येक पीई के लिए एक-एक डीएसपी के उपर जांच की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी. माना जाता है कि अब उसी जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी.
एक की कार्रवाई जायज तो दूसरी कार्रवाई गलत कैसे
दरअसल दावा है कि पूर्व सीएम हेमंत सरकार की गिरफ्तारी से तिलमिलाई झामुमो और महागठबंधन के अंदर इस बात की रणनीति बन रही है कि अब जल्द ही इस मामले को उसको अंजाम तक पहुंचाया जाय, ताकि जिस भ्रष्टाचार को भाजपा चुनावी मुद्दा बनाना चाहती है, उसकी धार को ही भोथरा कर दिया जाय. क्योंकि जैसे ही इन पूर्व मंत्रियों की गिरफ्तारी होगी, भाजपा यह कहने की हालत में नहीं होगी कि यह बदले की कार्रवाई है, और उसका यह दावा कि ईडी अपना काम कर रही है कि भी हवा निकल जायेगी, क्योंकि तब सवाल किया जायेगा कि यदि ईडी अपनी कार्रवाई कर रही है, तो एसीबी भी अपनी कार्रवाई कर रही है, एक की कार्रवाई जायज और दूसरी की कार्रवाई गलत कैसे? यहां यह भी ध्यान रहे कि कल विधान सभा के पटल पर पूर्व सीएम हेमंत ने इस बात की चुनौती पेश की है कि यदि कोई यह साबित कर दे कि उनके द्वारा किसी जमीन की खरीद- बिक्री हुई है, या उस भुंईहरी जमीन पर कब्जा किया गया है, या उस जमीन का उनके साथ कोई दूर दूर तक का नाता भी है, तो वह राजनीति क्या झारखंड को अलविदा कह चले जायेंगे, जिसके बाद भाजपा भ्रष्टाचार का यह नैरेटिव कमजोर पड़ता दिखने लगा है. और शायद यही कारण है कि कल भाजपा सदन के पटल पर भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने के बजाय कांग्रेस को कोस रही थी, इस बात ताना मार रही थी कि कांग्रेस के द्वारा ना जाने कितने राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया गया, लेकिन सारे आरोप के बावजूद वह पूर्व सीएम हेमंत पर भ्रष्टाचार का वाण छोड़ने से बचती नजर आयी, साफ है कि विधान सभा में हेमंत के भाषण के बाद भाजपा रक्षात्मक मुद्रा में खड़ी हो गयी है, लेकिन इधर झामुमो और महागठबंधन अब उन पांच मंत्रियों का फाईल खोलकर भाजपा को ही भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने की रणनीति पर बढ़ती नजर आ रही है, देखना है कि इस दिलचस्प लड़ाई का अंजाम 2024 के लोकसभा में क्या होता है, भाजपा की नैरेटिव काम आती है, या हेमंत की गिरफ्तारी को आदिवासी अस्मिता पर हमला के रुप में परोस रही झामुमो अपने मिशन में कामयाब होता है. लेकिन फिलहाल इस लड़ाई में इन पांच पूर्व मंत्रियों की गर्दन तो निश्चित रुप से फंसती नजर आती है.
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