Ranchi-राजनीति भी बड़ी अजीब चीज होती है, कल जिस अम्बा प्रसाद को कांग्रेस के टिकट पर हजारीबाग के जंगे मैदान में भाजपा प्रत्याशी मनीष जायसवाल के खिलाफ ताल ठोकने की चर्चा थी. उनके समर्थक एक प्रकार से अपने चुनावी प्रचार की शुरुआत भी कर चुके थें, माना जा रहा था कि काग्रेंस की दूसरी सूची में अम्बा प्रसाद का नाम आना तय है, आज सुबह सुबह जब नींद खुली लोगों ने हुरुहुरु रोड स्थित उनके पिता और राज्य के पूर्व कृषि मंत्री योगेन्द्र साव के आवास के बाहर सीआरपीएफ जवानों की तैनाती देखी, कहां कल तक बड़कागांव विधायक अम्बा प्रसाद का चुनाव लड़ने की चर्चा थी, और कहां आज सीआरपीएफ जवानों की तैनाती, बाद में यह जानकारी सामने आयी कि यह ईडी की छापेमारी है. और यह छापेमारी सिर्फ योगेन्द्र साव के आवास पर ही नहीं हो रही है, बल्कि उनके पूरे कुनबे को इस पूछताछ की जद में ले लिया गया है. ईडी की एक दूसरी टीम जय प्रभा नगर अम्बा के चाचा और योगेन्द्र साव के भाई धीरेन्द्र साव के आवास पर भी छापेमारी कर रही है. इसकी साथ ही एक तीसरी टीम उनके छोटे भाई छोटू साव के आवास पर भी पहुंच चुकी है. बताया जाता है कि ईडी अधिकारियों के द्वारा इन सभी से बालू कोयला कारोबार से जुड़े दस्तावेजों की मांग की जा रही है.
कौन है अम्बा प्रसाद, जिसके मैदान में उतरते ही भाजपा को सत्ता रहा था हजारीबाग में शिकस्त का डर
ध्य़ान रहे कि अम्बा प्रसाद के सियासी जीवन की शुरुआत वर्ष 2019 में बड़कागांव विधान सभा से हुई थी, यह वह दौर था. जब अम्बा का पूरा परिवार कानूनी शिकंजों में फंस चुका था. अम्बा के पिता और बड़कागांव के पूर्व विधायक और पूर्व कृषि मंत्री योगेन्द्र साव पर एनपीटीसी से हुए विस्थापन के विरोध में जेल की हवा खानी पड़ी थी. उन पर नक्सलियों के साथ साठ गांठ रहने का भी आरोप भी लग चुका था, जिसके बाद उनकी पत्नी और अम्बा की मां निर्मला देवी ने मोर्चा संभाला, और 2014 में वह बड़कागांव की विधायक बनी. लेकिन 2016 आते आते निर्मला को भी एक गोलीकांड़ गिरफ्तार कर लिया गया. तब तक अम्बा दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रही थी. अम्बा का सपना अधिकारी बन अपने सपनों को उड़ान देने की थी, लेकिन परिवार की मांग कुछ और थी, क्योंकि परिवार में अब कोई नहीं था,जो परिवार की सियासत को आगे बढ़ाये और आखिरकार अम्बा ने यूपीएससी का सपना छोड़ कर महज 27 वर्ष की उम्र में आजसू रौशनलाल को तीस हजार से अधिक मतों से चुनावी शिकस्त देकर झारखंड के सियासत में अपना नाम दर्ज कर दिया. अम्बा का सियासी कद और महत्वाकांक्षा लगातार उड़ान लेता गया, इस बार अम्बा को हजारीबाग संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी मनीष जायसवाल के विरुद्ध अखाड़े में उतारने की चर्चा है.
हजारीबाग में क्यों बन सकती है अम्बा भाजपा की चुनौती
सियासी जानकारों का आकलन है कि अम्बा के मैदान में उतरने के बाद हजारीबाग संसदीय सीट का सियासी सामाजिक समीकरण में बदलाव की पूरी संभावना है. और शायद यह पहला अवसर होगा जब 1984 के बाद कांग्रेस यहां मुकाबले में खड़ी नजर आयेगी और उसका कारण है अम्बा प्रसाद का युवा होने के साथ ही पिछड़ी जाति से आना. इसके साथ ही अम्बा जिस बड़कागांव की विधायक हैं, जहां पिछले 15 वर्षों से इनके परिवार का वर्चस्व है, वह बड़कागांव भी हजारीबाग संसदीय सीट का ही हिस्सा है. दावा किया जाता है कि अम्बा प्रसाद युवाओं के बीच एक लोकप्रिय चेहरा है और तमाम सामाजिक समीकरण भी अम्बा के पक्ष में हैं और शायद यही कारण है कि इस बार कांग्रेस अपने इस सबसे लोकप्रिय चेहरे पर दांव लगाने की तैयारी में हैं, हालांकि इस छापेमारी के बाद अब अम्बा की उम्मीदवारी पर सवाल जरुर खड़ा हो गया है. लेकिन क्या इस छापेमारी से बाद अम्बा के सियासी कारवां में ठहराव आने वाला है, क्या कांग्रेस इस छापेमारी के बाद अपने फैसले पर विचार करेगी या फिर इस छापेमारी को सियासी साजिश का बता कर अम्बा को मैदान में बनाये रखेगी.
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