Ranchi-दो फरवरी को शपथ ग्रहण के बाद चंपाई सरकार ने पांच फरवरी को विधान सभा के फ्लोर पर अपना बहुमत साबित करने की अपनी औपचारिका पूरी कर दी है. झामुमो में टूट-फूट के निशिकांत के तमाम दावों के बावजूद विपक्ष 29 मतों से आगे नहीं बढ़ सका, जबकि सत्ता पक्ष के समर्थन में 47 विधायकों का अपार बहुमत रहा. इस प्रकार यह साफ हो गया कि सीएम चंपाई के सामने बहुमत का कोई संकट नहीं है, लेकिन अपार बहुमत के बावजूद चंपाई सरकार की मुश्किलें एक दूसरे फ्रंट पर बढ़ती नजर आ रही है. और वह फ्रंट है मंत्रिमंडल विस्तार का.
क्यों बढ़ानी पड़ी मंत्रिमंडल विस्तार की तिथि?
याद रहे कि बहुमत साबित करने के बाद 8 फरवरी को ही मंत्रिमंडल विस्तार के दावे भी किये गयें थें और साथ ही वाजाप्ता इसकी सूचना राजभवन को भी भेज दी गयी थी, हालांकि बाद में इसको आगे बढ़ाते हुए 16 फरवरी करने का निर्णय लिया गया. अब सवाल है कि तारीख क्यों बढ़ाई गयी, क्या कांग्रेस झामुमो के अंदर मंत्रीपद को लेकर असंमजस की स्थिति थी, चेहरे कौन होंगें, इसको लेकर कांग्रेस के अंदर कुछ भी साफ नहीं था. तो अंदर से जो खबरें आ रही है, उसका इशारा इसी ओर है. दावा किया जाता है कि जैसे ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को इस बात की भनक लगी कि सीएम चंपाई की ओर से 8 फरवरी को मंत्रिमंडल विस्तार की तिथि निर्धारित कर दी गयी है, वह आनन-फानन में सीएम चंपाई से मुलाकात करने पहुंच गयें, और इस तिथि को आगे बढाने का अनुरोध किया. उनका मानना था कि चूंकि अभी राहुल गांधी की भारत जोड़े न्याय यात्रा को लेकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की व्यस्तता बढ़ी हुई है. इस हालत में कांग्रेस की ओर से किन-किन चेहरों को मंत्रीपद पद से नवाजा जायेगा, अभी तो इसकी तस्वीर ही साफ नहीं है. दूसरी ओर 14 और 15 फरवरी को एक बार फिर से भारत जोड़े न्याय यात्रा को लेकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की व्यस्तता बढ़ी रहेगी. जिसके बाद 16 फरवरी की तारीख को मंत्रिमंडल विस्तार के लिए मुफीद माना गया.
अकेला यादव से लेकर इरफान तक सबकी चाहत मंत्री पद
लेकिन अब जो खबर आ रही है कि उसके अनुसार आज भी इस मुद्दे पर झामुमो कांग्रेस के अंदर मारामारी जारी है. कांग्रेस हो या झामुमो सब की नजर मलाईदार विभागों पर लगी हुई है, कांग्रेस कोटे से जिन-जिन मंत्रियों को पहले स्वास्थ्य, वित्त और ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी, आज भी उनकी नजर इन विभागों पर बनी है, उनकी पूरी कोशिश है कि मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हे एक बार फिर से उन्ही मंत्रालयों की जिम्मेवारी मिले, दूसरी ओर से वैसे विधायक जो हेमंत सरकार में मंत्रालय से बाहर थें, अब उनका सब्र टूटता नजर आ रहा है, मंत्री पद को लेकर उनके अरमान भी सातवें आसमान पर उड़ान भर रहा है, इरफान अंसारी से लेकर अकेला यादव तो खुलेआम इसकी चाहत को भी सामने ला रहे हैं, अकेला यादव जहां इस सरकार में यादवों की भागीदारी और हिस्सेदारी के सवाल को उठा रहे हैं तो इरफान अंसारी का दावा राज्य का सबसे मजबूत अल्पसंख्यक चेहरा होना का है, उनका तो दावा यह भी है कि वह एक डाक्टर है, इस नाते स्वास्थ्य विभाग पर उनका हक बनता है.
रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख पर संकट के बादल
अब अपने विधायकों के बीच बढ़ते मंत्रिपद को लेकर इस तकरार के कारण कांग्रेस नेतृत्व भी हलकान नजर आने लगा है, उसकी चिंताएं दूर होने के बजाय हर दिन और भी गंभीर होती नजर आ रही है, क्योंकि पार्टी में नाराजगी का मतलब है साफ है कि लोकसभा चुनाव में यह नाराजगी अपना रंग दिखलायेगा, और यही चिंता पार्टी को खाये जा रही है.हालांकि इस बीच खबर यह आयी है कि कांग्रेस प्रदेश प्रभारी और पार्टी महासचिव वेणु गोपाल के बीच एक लम्बी मंत्रणा हुई. बावजूद बात नहीं बनी. जिसके बाद कांग्रेस की ओर से सीएम चंपाई को यह सूचना दी गयी कि जैसे ही पार्टी इस पर अपना फैसला कर लेती है, उन्हे इसकी जानकारी दे दी जायेगी. हालांकि इस बीच जो खबर निकल कर सामने आ रही है, उसके अनुसार पूर्व में वित्त मंत्री की भूमिका में जिम्मेवारियां को निर्वाह करते रहे रामेश्वर उरांव, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
प्रदीप यादव, दीपिका पांडेय सिंह, रामचन्द्र सिंह और भूषण बाड़ा का खुल सकती है किस्मत
जबकि प्रदीप यादव, दीपिका पांडेय सिंह, रामचन्द्र सिंह, भूषण बाड़ा के साथ ही मंगल कालिंदी की किस्मत खूल सकती है हालांकि मंत्री पद से नवाजे जाने के बावजूद इनका मंत्रालय क्या रहेगा, अभी इस पर भी संशय बरकरार है, बहुत संभव है कि इस बार कई मलाईदार विभाग झामुमो अपने विधायकों को भी सौंप सकता है. क्योंकि खबर यह है कि झामुमो कोटे की ओर से बसंत सोरेन और सीता सोरेन के नाम पर गंभीर चर्चा हो रही है, सीता सोरेन तो सार्वजनिक रुप से अपनी चाहत का इजहार भी कर रही है, उनका दावा है कि उनके साथ बाबा का आशीर्वाद है. बाबा यानी शिबू सोरेन. वैसे एक खबर यह भी है कि सीता के बजाय इस बार बाबा बसंत को मंत्रीपद से नवाजे जाने को पक्षधऱ है.
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