TNP DESK-शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर के विभाग में फेरबदल को सियासी चश्में से पढ़ने के प्रयासों पर मंत्री अशोक चौधरी की ओर कह कर विराम लगाने की कोशिश की गयी है कि राजद कोटे से मंत्रियों के विभागों में कोई भी फेरबदल राजद की ओर से उठाया जाता है, अपने किस नेता को राजद कौन से स्थान पर रखेगी, उनका क्या पद और भूमिका क्या होगी, यह सब कुछ राजद ही तय करता है, विभाग में फेरबदल को किसी भी सियासी चश्में से देखने-पढ़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
अपने बयानों से कई बार जदयू के सामने असहज स्थिति पैदा करते रहे हैं चन्द्रशेखर
ध्यान रहे कि शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर लगातार रामचरित मानस को लेकर विवादित टिप्पणी करते हैं, हालांकि उनकी इस कोशिश को भी सियासी चश्में से देखने की कोशिश की जाती है, माना जाता है कि कई हिन्दू धर्म ग्रन्थ में कथित रुप से दलित पिछड़ों के खिलाफ अपमानजक टिप्पणी को सामने लाकर प्रोफेसर चन्द्र शेखर इन तबकों को सीधे सीधे राजद के साथ खड़ा करने की सियासत करते हैं, ताकि राजद का दलित-पिछड़ी जातियों के बीच जनाधार को और भी मजबूती प्रदान किया जा सके, इसके साथ ही भाजपा की मंदिर पॉलिटिक्स को सियासी मात दिया जा सके, लेकिन कई बार उनके बयान से जदयू भी असहज स्थिति में आ खड़ा होता है, उसकी पॉलिटिक्स फंसती दिखलाई देने लगती है.
आज भी राजद को दलित पिछड़ों की सबसे मजबूत पार्टी मानी जाती है
क्योंकि आज भी राजद को दलित पिछड़ों की सबसे मजबूत पार्टी मानी जाती है, इसके विपरित जदयू में सामान्य सामाजिक समूहों से आने वाले नेताओं की एक बड़ी जमात है, हालांकि इसके बावजूद सीएम नीतीश ने बेहद चालाकी से जातीय जनगणना और पिछड़ों के आरक्षण विस्तार का कार्ड खेल भाजपा के सामने सियासी संकट खड़ा कर दिया. बावजूद इसके प्रोफेसर चंद्रशेखर को अचानक से शिक्षा मंत्री से गन्ना विकास मंत्री बनाये जाने पर यह चर्चा तेज हो गयी कि सीएम नीतीश ने प्रोफेसर चन्द्रशेखर का कद कतर कर राजद को उसकी औकात दिखा दी है, लेकिन अब इस परसेप्शन को तोड़ने की कोशिश करते हुए जदयू की ओर से यह साफ किया गया है कि यह फैसला तो खुद राजद का था, अपने कोटे के मंत्रियों में विभागों का हेर-फेर उनका अधिकार है, और इसके पीछे किसी भी प्रकार का कोई सियासी पटकथा नहीं है. हालांकि एक दावा यह भी है कि जिस प्रकार शिक्षा सचिव के. के पाठक और शिक्षा मंत्री के बीच तलवार तनी हुई थी, उस हालत में शिक्षा मंत्रालय की गतिविधियां अवरुद्ध होती नजर आ रही थी, और सीएम नीतीश का यह ट्रैक रिकार्ड रहा है कि वह किसी भी विभाग में अपने मंत्रियों ज्यादा वहां तैनात अफसरों की सुनते हैं, दूसरी बात यह है कि के.के पाठक के फैसले से भले ही शिक्षा मंत्री असहज दिख रहे हों, लेकिन आम लोगों के बीच के.के पाठक की छवि एक दंबग अधिकारी की बन रही है, लोग यह मान कर चल रहे हैं के.के पाठक बिहार की शिक्षा व्यवस्था में एक आमूलचुक बदलाव की ओर बढ़ रहे हैं, और सीएम नीतीश इस बदलाव को रोकना नहीं चाहते थें. और यही कारण है कि उन्होंने अपने चेहता अधिकारी के बदले मंत्री को बलि चढ़ाने का फैसला कर लिया, और मौजूदा सियासी हालात में राजद भी अपने मंत्री का बचाव नहीं कर सकी.
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