Ranchi : सीएम हेमंत से ईडी की पूछताछ के बीच एक युवक के द्वारा आत्मदाह की कोशिश करने की खबर आयी है, बताया जाता है कि युवक गढ़वा का रहने वाला और सीएम हेमंत का कट्टर समर्थक है, उसने अपने दोस्तों को बतलाया था कि यदि किसी ने भी उसके नेता को छूने की भी कोशिश की तो वह रांची में ही अपनी जान दे देगा. फिलहाल युवक को अरगोड़ा थाने के हवाले कर दिया गया है, जहां उसके साथ अधिकारियों के द्वारा पूछताछ की जा रही है, साथ ही उस युवक को यह विश्वास दिलाया जा रहा है कि सीएम हेमंत को कुछ भी नहीं होने वाला है, यह बिल्कुल कानूनी कार्रवाई है, जिसका हर नागरिक को सम्मान करना चाहिए. इस बीच सीएम हेमंत से पूछताछ के दौरान उस समय भी अफरातफरी मचती हुई दिखी जब अचानक से 11 बसों में बैठकर बड़ी संख्या में वहां सीआरपीएफ के जवान पहुंचे, जिसके बाद झारखंड पुलिस और सीएआरपीएफ जवानों के बीच तालमेल का अभाव दिखने लगा, हालांकि झारखंड पुलिस के द्वारा सीआरपीएफ जवानों की इतनी बड़ी संख्या में उपस्थिति के कारण झामुमो कार्यकर्ताओं के बीच आक्रोश फैलने का हवाला दिया गया तो उसके बाद सीआरपीएफ की टुकड़ी को हटा लिया गया.
सीएम आवास के बाहर हेमंत के चाहने वालों का हुजूम
यहां ध्य़ान रहे कि सीएम हाउस के बाहर बड़ी संख्या में झामुमो कार्यकर्ताओं का हुजूम लगा है, उनके द्वारा सीएम हेमंत हमारा स्वाभिमान के नारे लगाये जा रहे हैं, इस बात के दावे किये जा रहे हैं कि महज सियासी रंजिश में उनके नेता को फंसाने की साजिश रची जा रही है, लेकिन झामुमो कार्यकर्ता और राज्य की जनता अपने लोकप्रिय नेता के खिलाफ इस साजिश को सफल नहीं होने देगी, यदि ईडी एक हेमंत को गिरफ्तार करती है, तो झारखंड के हर घऱ से हेमंत निकलेगा के दावे किये जा रहे हैं यही कारण है कि झारखंड पुलिस के द्वारा सीआरपीएफ जवानों की उपस्थिति से कार्यकर्ताओं के बीच आक्रोश फैलने का हवाला दिया गया, ताकि कार्यकर्ताओं के बीच कोई गलत संदेश नहीं जाय और प्रशासन के समक्ष कानून व्यवस्था की चुनौती नहीं खड़ी हो
शहर में फैली है अजीब सी बेचैनी
यहां बता दें कि आज राजधानी रांची की हवा में एक अजीब सी बेचैनी पसरी नजर आती है, आम शहरियों में झामुमो कार्यकर्ताओं के इस आगवन को अजीब सी नजरों से देखा जा रहा है, मानो वह पूछ रहे हो कि पूछताछ तो ही होनी है, फिर यह काफिला क्यों? दरअसल राजधानी में बसे आम शहरियों की भाषा और मुद्दे सड़क पर उतर प्रतिरोध की आवाज तेज करते झामुमो कार्यकर्ताओं से बिल्कुल अलग है, आम शहरियों को मुद्दे बढ़ती मंहगाई, सड़क, बिजली, पानी की सुचारु आपूर्ति और बहुत हद तक कमर तोड़ मंहगाई है, हालांकि ये तमाम मुद्दें सड़क पर उतर कर अपनी असहमति दर्ज कराते कार्यकर्ताओं का भी है, लेकिन उनके लिए उसके बड़ा सवाल एक निर्वाचित सरकार के मुखिया को परेशान करने का है.
सियासी रंजीश में हेमंत सरकार को परेशान करने का आरोप
उनका मानना है कि उनके राज के मुखिया को, जो उनकी पार्टी का एक बड़ा चेहरा भी है, जो उनकी भी भाषा बोलता है, उनके ही मुद्दे को सियासत के केन्द्र में रखता है, उनकी जल जंगल और जमीन की बात करता है, नाहक ही परेशान किया जा रहा है, क्योंकि अभी तो सीएम हेमंत के खिलाफ कोई मामला दर्ज भी नहीं किया गया है, सिर्फ आरोप लगे हैं, तो क्या महज आरोपों के आधार पर किसी सरकार को इस कदर परेशान किया जा सकता है, क्या सिर्फ आरोपों के आधार पर एक दो नहीं पूरे के पूरे आठ समन भेजा जा सकता है, और यदि भेजा जा सकता है, तो देश के दूसरे नेता तो केन्द्र की सत्ताधारी दल के साथ है, जिनके खिलाफ मामले भी दर्ज हो चुके हैं, सार्वजनिक रुप से खुद प्रधानमंत्री के द्वारा जिन्हे भ्रष्टाचार का प्रतिक बताया गया, नाम ले लेकर उन्हे लूटेरा बताया है, आज प्रधानमंत्री और भाजपा उसी पार्टी के नेताओं के साथ सत्ता की मलाई तोड़ते क्यों नजर आ रहे हैं.
हेमंत से क्या दिक्कत है?
और शायद यही कारण है कि “हेमंत है तो हिम्मत है” का जो नारा चुनाव के समय झारखंड की गलियों में गुंज रहा था, अब उस नारे से आगे जाकर हेमंत से क्या दिक्कत है, का सिंहनाद हो रहा है, सवाल दावा किया जा रहा है कि कितने हेमंत को जेल के सिंखाचों के पीछे ढकेलोगे, यहां तो हर घर में हेमंत तैयार है, मोरहाबादी मैदान हो या सीएम आवास के आसपास का इलाका, या फिर बस स्टैंड हर जगह आपको हरे झंडे के साथ लोगों को उमड़ता काफिला नजर आयेगा, इन चेहरों को देख कर भी आप अंदाज लगा सकते हैं, कि ये शहर के आम शहरी नहीं है, इनका संबंध तो उन दूर दराज इलाकों से हैं, जिसे दिशोम गुरु का गढ़ माना जाता है, वह गढ़ जो तमाम सियासी झंझवातों के बावजूद हेमंत के हौसलो को पस्त होने नहीं दिया,आदिवासी-मूलवासियो का वह जन सैलाब जिसने सदा हेमंत के हौसलों को सियासत के आसमान पर उठाये रखा.
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