Ranchi-ईसाई धर्म अपनाने वालों को आदिवासी समाज से डिलिस्टिंग करने की मांग पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने भाजपा के पूर्व सांसद कड़िया मुंडा की नीति और नियत पर गंभीर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा है कि कड़िया मुंडा को जनजाति सुरक्षा मंच से जुड़ कर डिलिस्टिंग का सवाल खड़ा करने के पहले इस बात का जवाब देना चाहिए कि आठ-आठ बार का सांसद और केन्द्रीय मंत्री के रुप में महत्वपूर्ण जिम्मेवारियों का निर्वाह करने के बावजूद उन्होंने आदिवासी समाज के लिए क्या हासिल किया, अपनी पूरे सियासी जीवन में उन्होंने कब आदिवासी समाज से जुड़े ज्वलंत मुद्दों को उठाया और उसके समाधान की दिशा में अपना योगदान दिया.
आदिवासी समाज में जहर घोलना बंद करें कड़िया मुंडा
डिलिस्टिंग का विवाद खड़ा कर आदिवासी समाज में जहर घोलने के बजाय उन्हे इस बात पर विचार करना चाहिए कि जिस खूंटी का वह प्रतिनिधित्व करते रहे हैं, आठ आठ बार का सांसद रहने के बावजूद उन्होंने उस खूंटी के लिए क्या किया, आज भी खूंटी विकास के पैमाने पर पिछड़ा क्यों है. आज भी इस आदिवासी बहुल इलाके में स्कूल कॉलेजों की कमी क्यों है, आज भी हमारे बच्चों को स्कूली शिक्षा के लिए दर दर भटका क्यों पड़ रहा है, आखिर उनके द्वारा खूंटी और वहां के आदिवासी समाज के विकास में क्या योगदान रहा. जब उनकी ही सरकार के द्वारा जनजातीय उप योजना की राशि पर कैंची चला दी जाती है, तब उनकी जुबान क्यों सिल जाती है, वह इसके खिलाफ अपनी आवाज को मुखर क्यों नहीं करते, बात जब आदिवासी समाज के हिस्सेदारी और भागीदारी की आती है तो कड़िया मुंडा किसके दवाब में खामोशी की चादर ओढ़ लेते हैं, लेकिन वही कड़िया मुंडा आरएसएस के इशारे पर आदिवासी समाज में जहर घोलने के लिए डिलिस्टिंग का विवाद खड़ा करने की साजिश रचते हैं, ताकि आदिवासी समाज अपने में ही विभाजित हो जाय, और वह अपने हक हकूक की आवाज को मुखरता के साथ नहीं उठा सके, जिसका अंतिम लाभ भाजपा को मिले.
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