TNP DESK-बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़ों का प्रकाशन और उस आंकड़ों की रोशनी में पिछड़ों का आरक्षण विस्तार, और उसके बाद पूरे देश से जातीय जनगणना की उठती मांग के बीच योगी सरकार ने 18 नंवबर से पूरे प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट वाले सभी उत्पादों पर बिक्री रोक लगाने का बड़ा फैसला किया है. इस प्रकार अब यूपी में हलाल प्रमाण पत्र के साथ बिक्री किये जा रहे सभी उत्पादों को प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया गया है.
हालांकि यह विशुद्ध रुप से लोगों के खान पान से जुड़ा मामला है, और देश में हर नागरिक को अपना भोजन चुनने का अधिकार है, लेकिन इस सियासी पैंतरेबाजी और हलाल, हलाला और लव जिहाद के नारों के बीच यह जानना बेहद दिलचस्प हो जाता है कि जिस बीफ और गौ वंश हत्या को लेकर कोहराम मचाया जाता रहा है, देश में उस बिफ के कारोबार के प्रमुख खिलाड़ी कौन है? देश टॉप नौ बुचड़खानों का संचालक कौन है? हिन्दू या मुसलमान? इस सच्चाई को समझने के बाद बीफ और बीफ विवाद के पीछे की सियासत को समझना बेहद आसान हो जायेगा. क्योंकि आम धारण यह है कि बुचड़खानों का संचालन सिर्फ मुस्लिम समुदाय के द्वारा किया जाता है, लेकिन हकीकत और धारणा के बीच हमेशा से एक दूरी रहती है, और इसके लिए बेहद जरुरी है कि बुचड़खानों की इस सच्चाई को समझा जाय.
अल कबीर देश के सबसे बड़ा बुचड़खाना
तो हम देश की सबसे बड़ी बीफ निर्यातक कंपनी अल कबीर एक्स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड से इसकी शुरुआत करते हैं. तेलंगाना के मेडक जिले के रुद्रम गांव में करीबन चार सौ एकड़ में फैले इस बुचड़खाने के मालिक का नाम सतीश सब्बरवाल है, इस कंपनी का दफ्तर सिर्फ भारत के विभिन्न शहरों में नहीं, बल्कि दुबई, अबू धाबी, क़ुवैत, ज़ेद्दा, दम्मम, मदीना, रियाद, मस्कट और दोहा जैसे अरब देशों में स्थित है. मुंबई के नरीमन प्वॉइंट से इन देशों में इस कंपनी के द्वारा बीफ की सप्लाई की जाती है. कंपनी के मध्यपूर्व चेयरमैन सुरेश सब्बरवाल का मानना है कि धर्म को व्यवसाय से घालमेल करना बेहद घातक है, उनका मानना है यदि हिन्दू बीफ का व्यवसाय कर रहे हैं तो मुसलमान भी तो सूद का कारोबार कर रहे हैं, यहां धर्म कहां से आ खड़ा हो गया? अल कबीर का सालाना करीबन 7 सौ करोड़ रुपये का कारोबार है.
अरेबियन एक्सपोर्ट्स
देश के दूसरे इस सबसे बड़े बीफ निर्यातक कंपनी और बुचड़खाने के मालिक सुनील कुमार है. जबकि निदेशक मंडल में विरनत नागनाथ कुडमुले, विकास मारुति शिंदे और अशोक नारंग हैं. यह कंपनी बीफ के साथ ही भेड़ के मांस का भी कारोबार करती है.
एमकेआर एक्सपोर्ट्स
देश के इस तीसरे सबसे बड़े बुचखाने के मालिक मदन एवट, जबकि निदेशक सनी एवट हैं. इसका बुचड़खाना पंजाब के मोहाली जिले के समगोली गांव में स्थित है.
अल नूर एक्सपोर्ट्स
देश के चौथे सबसे बड़े इस बुचड़खाने के मालिक सुनील सूद हैं. 1992 में स्थापित इस कंपनी का सबसे बड़ा बुचड़खाना उसी यूपी के मुजफ़्फ़रनगर के शेरनगर गांव में ही स्थित है. जहां से हलाल सर्टिफिकेट वाले तमाम उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया गया है. इसके साथ ही मेरठ और मुंबई में भी इस कंपनी का बुचड़खाना है. अल नूर एक्सपोर्ट्स अभी करीबन 35 देशों में बीफ का निर्यात कर रहा है,
एओवी एक्सपोर्ट्
हिन्दुस्तान के इस पांचवें सबसे बड़े बुचड़खाने के मालिक ओपी अरोड़ा हैं. इस कंपनी का भी बुचड़खाना यूपी के उन्नाव, मेवात और नूह जिले में स्थित है. जबकि इसका मुख्यालय नोएडा में है. अभिषेक अरोड़ा इस कंपनी के निदेशक है.
स्टैंडर्ड फ़्रोज़न फ़ूड्स एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड
देश के छठे इस सबसे बड़े बुचड़खाने का मालिक कमल वर्मा है. इसका भी बुचड़खाना उसी यूपी के चांदपुर गांव में स्थित हैं, इसके साथ ही हापुड़ के शिवपुरी में इस कंपनी का बुचड़खाना है. इस कंपनी का बुचड़खाना और सयंत्र उत्तर प्रदेश के उन्नाव के चांदपुर गांव में है. इसका दफ्तर हापुड़ के शिवपुरी में है.
पोन्ने प्रोडक्ट्सएक्सपोर्ट्स
इस कंपनी के निदेशक सास्ति कुमार है. पोन्ने प्रोडक्ट्सएक्सपोर्ट्स बीफ के साथ ही मुर्गी के अंडे और मांस का भी कारोबार करती है, इसका सबसे बड़ा बुचड़खाना तमिलनाडू में है.
अश्विनी एग्रो एक्सपोर्ट्स
इस कंपनी के के.राजेंद्रन धर्म को व्यवसाय से जोड़े जाने के सख्त खिलाफ हैं. उनका मानना है कि, "धर्म निहायत ही निजी चीज है और इसका व्यवसाय से कोई ताल्लुक नहीं होना चाहिए." राजेन्द्रन का दावा है कि इसी धारणा के कारण उन्हे शुरुआती दिनों में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, अधिकारियों के द्वारा बेवजह उन्हें परेशान किया गया.
महाराष्ट्र फ़ूड्स प्रोसेसिंग
इस कंपनी के कोल्ड स्टोरेज के पार्टनर सन्नी खट्टर भी धर्म को व्यवसाय से अलग रखने के हिमायती है. इनका भी मानना है कि धर्म और धंधा अलग अलग चीज है, और दोनों का घालमेल देश और समाज के लिए बेहद घातक है. कंपनी का बूचड़खाना महाराष्ट्र के सतारा ज़िले के फलटन में है.
कनक ट्रेडर्स
देश के टॉप बीफ निर्यातकों में शुमार इस कंपनी के मालिक राजेश स्वामी भी व्यवसाय में धर्म के घालमेल के सख्त खिलाफ हैं. उनका दावा है कि उनकी कंपनी में हिन्दू मुसलमान दोनों मिलकर काम करते हैं, किसी के हिन्दू या मुसलमान होने से कोई फर्क नहीं पड़ता. यदि बुचड़खानों को बंद किया गया तो इसका नुकसान सिर्फ मुसलमानों का नहीं होगा, कई हिन्दूओं की रोजी रोटी पर संकट मंडराने लगेगा.ये हैं देश के टॉप बुचड़खानों की स्थिति, इसके साथ ही देश के दूसरे सभी बुचड़खानों में भी बड़ी संख्या में हिन्दू काम कर रहे हैं, और इस पेशे से उनकी रोजी रोटी चल रही है, बावजूद देश में कभी बीफ कभी हलाल तो कभी हलाला के नाम पर सियासत अपना रंग दिखलाती रहती है.
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