Ranchi-आदिवासी मूलवासी मुद्दों लेकर मुखर रहे झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने एक बार फिर से अपनी ही सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने बेहद तंज शब्दों में हेमंत सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इस सरकार को रत्ती भर भी शर्म नहीं है. पिछले 23 वर्षों में रघुवर शासन काल को छोड़कर झारखंड में आदिवासी ही मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन बावजूद आदिवासी जमीन की लूट पर विराम नहीं लगा. सड़क निर्माण हो या खदान, एयरपोर्ट हो या खदान हर सरकार विकास के नाम पर आदिवासी जमीन की लूट करती रही. लेकिन जिस सरकार को हमने इस विश्वास के साथ सत्ता में लाया था कि वह आदिवासी मूलवासियों के हितों की हिफाजत करेगी, उस हेमंत सरकार में आदिवासी मूलवासी समाज के लिए कोई काम नहीं हुआ.
स्थानीय नीति, नियोजन नीति और पेसा कानून को लेकर बरसे लोबिन हेम्ब्रम
आज भी हमारे पास ना तो स्थानीय नीति है, और ना ही नियोजन नीति, पेसा कानून आज भी हमारे लिए एक सपना है. इस हालत में हम कहां जा रहे हैं, और हमारी इस दुर्दशा के पीछे कौन खड़ा है, किसकी करतूतों का फल हम भोग रहे हैं, आदिवासी मूलवासी समाज को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा. हमने तो विकास के नाम पर अपनी जमीन सौंप दी, इसमें से कई परिवारों को आज कोई अत्ता पत्ता नहीं है. वह इस विकास की अंधी दौड़ में कहीं विलुप्त हो गयें है, अपनी जमीन इन कंपनियों के हाथों सौंप कर वह किसी महानगर में बर्तन मांजने का काम रहे होंगे, जिस धनबाद की खानों से कोयला निकाल कर दूसरे लोग मालामाल हो रहे हैं, उसी धनबाद में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज ने अपनी जमीन खोया है, जिसमें से अधिकांश को तो कोई मुआवजा भी नहीं मिला, लेकिन क्या सरकार ने कभी इन परिवारों की सुध ली, क्या उनका कोई सर्वेक्षण हुआ, फिर हम किस हालत मे इस सरकार पर विश्वास करें, उल्टे अब तो सीनएटी एक्ट में भी संशोधन की बात हो रही है, हमने तो इस सरकार से इसकी कल्पना भी नहीं की थी.
ध्यान रहे कि लोबिन हेम्ब्रम इस तरह की भाषा पहले भी बोलते रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है जब उन्होंने हेमंत सरकार के लिए बेशर्म शब्द का प्रयोग किया है. देखना होगा कि आने वाले दिनों में लोबिन हेम्ब्रम क्या रास्ता अख्तियार करते हैं. लेकिन इस भाषा के साथ उनका झामुमो के साथ ज्यादा दिन तक टिके रहना मुश्किल नजर आने लगा है.
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