Ranchi- झारखंड विधानसभा का 23वें स्थापना दिवस पर वर्ष 1995 में राजद के टिकट से पहली बार मनिका विधान सभा से विधायक बने रामचन्द्र सिंह को विधान सभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो के द्वारा भगवान बिरसा मुंडा उत्कृष्ट विधायक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. यहां याद रहे कि मनिका विधान सभा आज भी विकास के तमाम पैमानों पर पिछड़ा है, आदिवासी मतदाताओं की बहुलता वाले इस विधान सभा में कभी नक्सलियों की तूती बोलती थी, बावजूद इसके रामचन्द्र सिंह अपनी मीठी जुबान और सहज सुलभतता के बल पर अपने मतदाताओं का दिल जीतते रहे हैं. दावा किया जाता है कि उनके दरवाजे पर पहुंचा कोई भी व्यक्ति कभी निराश नहीं जाता, सुख हो या दुख वह हर वक्त अपने मतदाताओं के बीच खड़ा रहते हैं. कोई तामझाम नहीं, कोई लाव लस्कर नहीं, जो भी पहुंचा वह उनकी फरियाद सुनते हैं, और जितना संभव होता है, उसकी समस्याओं को निदान करने की कोशिश करते हैं.
चार बार के विधायक यमुना सिंह को पछाड़ कर रामचन्द्र सिंह ने की थी इंट्री
यहां याद रहे कि कभी मनिका विधान सभा की पहचान भाजपा विधायक यमुना सिंह के कारण होती थी, लेकिन 1977,1980,1985,1990 लगातार चार चार बार युमना सिंह ने यहां जीत का परचम लहराया था, लेकिन इस बीच 1995 में भाजपा के इस गढ़ में रामचन्द्र सिंह की इंट्री होती है, वह राजद के टिकट पर यमुना सिंह को सत्ता के बेदखल करने में सफल होते हैं. हालांकि वर्ष 2000 में एक बार फिर से यमुना सिंह बाजी पलटने में सफल होते हैं. लेकिन 2005 में एक बार फिर से रामचन्द्र सिंह इस किले को फतह करने में कामयाब होते हैं, और इस बार भी उनका चुनाव चिह्न लालटेन ही होता है. लेकिन 2009 में भाजपा यहां से पांच बार के विधायक रहे यमुना सिंह को बेटिकट कर हरिकृष्ण सिंह पर दांव लगाती है, और यह दांव कामयाब हो जाता है, हरिकृष्ण सिंह को वर्ष 2014 में भी कमल खिलाने का सौभाग्य प्राप्त होता है, लेकिन वर्ष 2019 में अचानक से रामचन्द्र सिंह लालटेन छोड़ पंजा की सवारी कर बैठते हैं. और एक बार फिर से जीत का परचम फहरा देते हैं.
भाजपा हमेशा से खरवार जनजाति को उम्मीदवार बनाती रही है
यहां यह भी ध्यान रहे कि इस सीट पर मुख्य मुकाबला खरवार और चेरो जनजाति के प्रत्याशियों के बीच होता रहा है, भाजपा जहां खरवार जनजाति पर दांव लगाती रही है, वहीं कांग्रेस और राजद चेरो जनजाति पर अपना दांव लगाती रही है, यमुना सिंह इसी खरवार जनजाति से आते थें, वहीं रामचन्द्र सिंह चेरो जनजाति से आते हैं. जब भाजपा ने यमुना सिंह को बेटिकट किया था तब भी उसने खरवार जनजाति से आने वाले हरिकृष्ण सिंह पर ही दांव लगाया था. इस बार भी रामचन्द्र सिंह के मुकाबले में भाजपा ने जिस रघुपाल सिंह को मैदान में उतारा था, वह खरवार जनजाति से आते हैं.
उरांव जनजाति की भी अच्छी खासी संख्या, लेकिन अभी भी है जीत का इंतजार
इस प्रकार देखा जाये तो मनिका में चेरो और खरवार जनजाति के बीच सत्ता के लिए संघर्ष होता रहता है, हालांकि इस सीट पर उरांव जनजाति की भी अच्छी खासी जनसंख्या है, बावजूद रामेश्वर उरांव यहां से जीत का परचम फहराने में नाकामयाब साबित हुए.
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