रांची(RANCHI): पूर्व सीएम हेमंत की गिरफ्तारी अब झारखंड की सीमा से बाहर निकल पूरे देश में आदिवासी समाज अस्मिता की पहचान बनता नजर आने लगा है. आदिवासी समाज में पसरते इस आक्रोश को हवा तब और भी मिल गयी, जब देश के एक “स्वनामधन्य” पत्रकार सुधीर चौधरी ने पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को लेकर कई तल्ख टिप्पणियां कर दी. और इसके बाद यह जमीन पर पसरता यह आक्रोश आग बन कर फैलने लगा. यहां बता दें कि उस शो में सुधीर चौधरी ने पूर्व सीएम हेमंत की गिरफ्तारी का अपने अंदाज में व्याखान करते हुए बेहद तंज भरे लहजों में कहा कि आदिवासी समाज से आने वाले हेमंत सोरेन को आलीशान जिंदगी की लत लग चुकी है, वह चार्टेड विमानों में घूमते हैं, बेहद शानदारी जिंदगी जीते हैं. इस हालत में जब उन्हे जमीन घोटाले में जेल जाना पड़ रहा है, बेहद पीड़ादायक स्थिति से गुजरना होगा. दूसरे कैदियों के साथ जेल के सिंखाचों में रात गुजारनी होगी, यह कुछ वैसा ही होगा, जैसा कि आदिवासी समाज आज भी जंगलों में गुजारता है. और खुद सीएम हेमंत के पूर्वज गुजारा करते थें.
आदिवासी समाज लेकर सुधीर चौधरी के नजरिये पर सवाल
सुधीर चौधरी के इसी बयान के बाद पूरे देश में आदिवासी-मूलवासी समाज के बीच से विरोध की आवाज उठनी शुरु हो गयी, और यह दावा किया गया किया जाने लगा कि आखिर सुधीर चौधरी का आदिवासी समाज को लेकर नजरिया क्या है? क्या सुधीर चौधरी को पीड़ा इस बात की है कि एक आदिवासी होकर भी सीएम हेमंत सोरेन चार्टेड विमान से उड़ करते थें, अपनी जीवन शैली में गैर आदिवासी नेताओं की बराबरी करते नजर आते थें. उनकी आंखों में आंख डाल कर बात किया करते थें, आदिवासी समाज का जल जंगल और जमीन पर हकमारी के खिलाफ आवाज बुंलद करते थें, एक आदिवासी होकर भी सत्ता की बागडोर संभाल रहे थें, और अपनी चाहत के अनुसार राज्य की सत्ता को हांक रहे थें, अपनी हनक में केन्द्र की भाजपा सरकार और उनके नेताओं के आगे सिर झूकाने से इंकार कर रहे थें. यह पूर्व सीएम हेमंत की यह अदा सुधीर चौधरी को नागवार गुजर रही थी. और यही कारण है कि सुधीर चौधरी इस अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं कि उन्हे आलिशान जिंदगी की आदत लग गयी है, नहीं तो दूसरे आदिवासी तो जंगल-झाड़ में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. तो क्या किसी आदिवासी समाज को आलिशान जिंदगी गुजारने का हक नहीं है, जिस जल, जंगल और जमीन को दोहन कर गैर आदिवासी समाज के लोग अरबों-खरबों की परिसंपत्तियां खड़ी कर रहे हैं, अडाणी-अम्बानी से लेकर सारे उद्योगपति और नेता मालामाल हो रहे हैं.लेकिन जब एक आदिवासी समाज के आने वाला सीएम यदि चार्टेड विमान से घूमता है, तो सुधीर चौधरी की आंखों की नींद उड़ जाती है. और उन्हे यह याद दिलाया जाता कि तुम्हारे पूर्वज तो जंगल में रहते थें, तुम इस चार्टेड प्लेन की सवारी क्यों कर रहे हों. और ऐसा भी नहीं है कि पूर्व सीएम देश के इकलौता सीएम थें जो चार्टेड विमान से उड़ा करते है, हर राज्य के सीएम के पास आज अपना चार्टड विमान है, खुद भाजपा शासित राज्यों के सीएम के पास भी चार्टेड विमान है, उनकी भी जिंदगी आलिशान है, लेकिन सुधीर चौधरी ने हेमंत सोरेन को ही निशाना क्यों बनाया, क्या सुधीर चौधरी उसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो भाजपा नेताओं के द्वारा अंदरखाने की जाती रही है, तो क्या सुधीर चौधऱी भाजपा नेताओं के दर्द को सामने ला रहे थें?
सुधीर के शो के बाद सोशल मीडिया में बवाल
इस शो के बाद माने सोशल मीडिया में भूचाल आ गया, आदिवासी मूलवासी समाज की ओर बवाल काटा जाने लगा. इसके बाद सुधीर चौधरी सामने आयें, एक पोस्ट जारी करते हुए सुधीर चौधरी ने लिखा कि उनके बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया जा रहा है, वह तो सदा आदिवासी समाज का इज्जत करते हैं, उनका हमला तो आदिवासी समाज के चंद अमीर नेताओं के द्वारा आदिवासी वोटों का दुरुपयोग को लेकर है. लेकिन अपनी सफाई में भी सुधीर चौघरी ने एक नया विवाद छेड़ दिया, अब सवाल खड़ा किया जाने लगा कि सुधीर चौधरी को आदिवासी समाज के नेताओं की आलिशान जिंदगी पर ही दर्द क्यों है? इसके साथ ही यह दावा भी सामने आया कि जिस भुंईहरी जमीन को लेकर हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हुई है, वह तो आज भी अपने मूल रैयत के पास है, और यह मामला 2009 का है, आरोप है कि हेमंत सोरेन ने इस जमीन को अपने नाम करवाने की साजिश की थी, यानि जमीन का हस्तातरण उनके नाम नहीं हुआ है, सिर्फ कोशिश करने का आरोप है, और यह आरोप भी एक सरकारी गवाह की ओर से लगाया गया है, दावा किया जाता है कि उक्त जमीन पर हेमंत सोरेन रात के अंधेरे में जाते थें, भला इस आधार पर भी किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई हो सकती है, क्या सुधीर चौधरी को हेमंत सोरेन के खिलाफ जो पटकथा तैयार की जा रही है, उसमें किसी साजिश की बू नहीं आई, वह सिर्फ और सिर्फ सरकारी दावे को ही बुलंद करते रहें, एक पत्रकार के रुप में उसके पीछे छुपी सच्चाई को जानने और समझने की कोशिश नहीं की, इस तरह के दर्जनों सवाल आज आदिवासी मूलवासी समाज के बीच पसर रहा है. अब देखना होगा कि सुधीर चौधरी के शौ के बहाने इस विवाद की कितनी परते सामने आती है, फिलहाल तो आदिवासी समाज में गुस्सा पसरता दिख रहा है. और इसकी एक झलक कल राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में आदिवासी समाज की एक बड़ी रैली में भी देखने को मिली.
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