Ranchi-विधान सभा में अपने धारदार भाषण से भाजपा को बचाव की मुद्रा में खड़ा करने के बाद जैसे ही पूर्व सीएम हेमंत एक बार फिर से ईडी की कस्टडी में जाते नजर आयें, इस दृश्य को देखकर महागठबंधन के तमाम विधायक अपने आंसू को रोक नहीं पायें. उनका धैर्य टूटता नजर आया, बेरमो विधायक और हेमंत सोरेन के बेहद खास माने जाने अनुप सिंह उर्फ जयमंगल सिंह की स्थिति तो सबसे बूरी नजर आयी, सब्र का बांध टूटता नजर आया. आखों से आंसुओं का प्रवाह रुकने का नाम ले रहा था, उनकी इस हालत को देख कर दूसरे विधायकों ने उन्हे हिम्मत बंधाने की कोशिश की, उन्हे सांतवना देने की भी कोशिश की गयी, लेकिन बावजूद अनुप सिंह के आंखों से आंसू रुक नहीं पा रहे थें.
पिछली पूछताछ के दौरान कांग्रेस विधायक इरफान ने खोया था अपना आपा
यहां याद रहे कि इसके पहले जिस दिन पहली पूछताछ हुई थी उस दिन भी महागठबंधन के विधायकों की स्थिति करीबन वैसी ही थी. उस दिन भी कांग्रेस विधायक इरफान अपना आपा खो बैठे थें, जिसके बाद खुद हेमंत सोरेन ने उन्हे हिम्मत बंधाते नजर आये थें. तब उन्होंने कहा था कि वह बहुत ही जल्द इस कुचक्र से निकल कर उनके बीच होंगे. और उनके खिलाफ रची जा रही एक एक साजिश भाजपा के ताबूत की किल होगी. हालांकि उसके बाद सीएम हेमंत के खिलाफ ईडी का शिंकजा कसता गया और आखिकार उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद उनकी ओर से अपना इस्तीफा सौंप दिया गया और चंपई सोरेन के नेतृत्व में नयी सरकार का गठन हो गया.
चंपई सोरेन ने साबित किया अपना बहुमत
यहां यह भी बता दें कि सोरेन परिवार के अंदर से सीएम की कुर्सी पर दावे, सीता सोरेन की बगावत, बसंत सोरेन की ताजपोशी, लोबिन, चमरा लिंडा और रामदास सोरेन की नाराजगी के तमाम दावों को धत्ता बताते हुए सीएम चंपई सोरेन ने विधान सभा के पटल पर अपना बहुमत साबित कर दिया, उनके पक्ष में 47 विधायकों का अपार बहुमत सामने आया, वहीं टूट-फूट और बगावत का दावा कर रही है भाजपा महज 29 मतों का आंकड़ा भी नहीं पार पायी. कल तक बगावती मुद्रा में खड़ाकर होकर तीखे सवाल पूछ रहे लोबिन हेम्ब्रम भी चंपई के साथ खड़े नजर आयें. हालांकि पूर्व की भांति लोबिन ने विधान सभा से बाहर मीडिया के समक्ष अपनी प्राथमिकताओं को जरुर गिनाया. लेकिन अंतोगत्वा मतदान से साफ कर दिया कि पार्टी से नाराजगी तो जरुर है, लेकिन वह नाराजगी मुद्दों को लेकर हैं, और यह इतनी बड़ी नहीं है कि पार्टी से बगावत कर वह भाजपा के सियासी चाल के शिकार हो जायें. दूसरी ओर सरयू राय से लेकर अमित यादव जैसे निर्दलीय विधायकों ने भी तटस्थ रह कर यह संकेत दे दिया कि फिलहाल भाजपा सरकार को गिराने के लिए जरुरी जादूई आंकड़ों के आसपास भटकने की स्थिति में भी नहीं है, और इस हालत में वह भाजपा के साथ खड़ा होकर अपनी सियासी साख को गंवाना नहीं चाहते.
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