Ranchi-दुमका सीट को लेकर जारी असमंजस के बीच आखिरकार झामुमो ने शिकारीपाड़ा विधान सभा से सात बार के विधायक नलिन सोरेन को मैदान में उतारने का एलान कर दिया. और इस घोषणा के साथ ही दुमका में सियासी गतिविधियां तेज हो गयी. गुरुजी की बड़ी बहु सीता सोरेन ने खुशी का इजहार करते हुए कहा कि चाचा नलिन से जीत का आशीर्वाद के साथ ही अपने चुनावी प्रचार अभियान की शुरुआत करुंगी. हमें पूरा विश्वास है कि चाचा निराश नहीं करेंगे. हर बार की तरह इस बार भी वह अपनी बेटी का खोयछा खाली नहीं रहने देंगे. साफ है कि इस एलान के साथ ही सीता सोरेन ने झामुमो के कोर वोटरों में सेंधमारी का इरादा जाहिर कर दिया. अभी जैसे जैसे चुनावी समर की शुरुआत होगी, इस तरह के भावनात्मक वार और भी देखने को मिलेंगे. सियासी जानकारों का मानना है कि दुमका के सियासी दंगल में भावनात्मक वार की अहम भूमिका होने वाली है. दोनों ही ओर से कटू शब्दों से बचने की कोशिश की जायेगी. सीता सोरेन किसी भी हालत में दिशोम गुरु पर शब्द वाण छोड़ झामुमो के कोर वोटरों की भावनाओं को आहत कर ध्रवीकरण का जोखिम नहीं लेगी. यानि दुमका के दंगल में सियासत के साथ ही रिश्तों की अग्नि परीक्षा भी होगी.
खुशहाल सियासी जीवन की शुभकामनाएं और उसके मायने
यहां याद रहे कि जैसे ही सीता सोरेन के द्वारा पार्टी को अलविदा कहने की खबर सामने आयी. पूरी पार्टी सदमें डूबती नजर आयी. यह कोई सामान्य फूट नहीं थी. सवाल सोरेन परिवार की साख था, उसकी प्रतिष्ठा की थी. हालांकि इस बीच एक अवसर पर व्यंगवाण भी चलें और कटू शब्दों का प्रयोग भी हुआ. लेकिन बावजूद इसके एक दूसरे का नाम लेने से बचने की कोशिश की गयी और इसके साथ ही पार्टी के अंदर रणनीति में बदलाव का फैसला लिया गया. इस बात पर सहमति बनी कि इस सियासी जंग में पारिवारिक रिश्तों और मर्यादा को तार-तार होने की स्थिति से बचा जायेगा. जिसके बाद अब पूरी पार्टी उसी लाइन पर चलती दिख रही है, सीएम चंपाई हो या सुप्रियो भट्टाचार्य सभी एक स्वर से सीता सोरेन के खुशहाल सियासी भविष्य की शुभकामना दे रहे हैं, इस बात की दुहाई दे रहे हैं कि यदि सीता को संसद जाने का इतना ही उतावलापन था, तो वह पार्टी फोरम पर भी अपनी चाहत को सामने रख सकती थी.
सीता की राह में अदृश्य कांटों का खेल
लेकिन सवाल यह है कि अब दुमका के दंगल में क्या होगा? क्या गुरुजी सीता सोरेन के खिलाफ मोर्चा संभालेंगे, क्या अपनी बड़ी बहू के खिलाफ प्रचार अभियान में हिस्सा लेंगे? क्या कल्पना सोरेन की गर्जना दुमका में होगी और क्या झामुमो की पूरी टीम नलिन सोरेन के साथ मैदान में जंग लड़ती दिखेगी? या फिर नलिन सोरेन को यह लड़ाई अपने बूते लड़नी है. जहां ना तो भाभी कल्पना होगी और ना ही गुरुजी का आशीर्वाद और यहीं से सीता की राह आसान होती नजर आती है. दरअसल कुछ जानकारों का दावा है कि गुरुजी इस बार दुमका से अपनी दूरी बनाने वाले हैं, कल्पना का जोर भी दुमका के बजाय झारखंड के दूसरे हिस्सों पर होने वाला है और इसका कारण है कि सोरेन परिवार अपनी जोर आजमाईश कर इस सीट को प्रतिष्ठा का विषय नहीं बनाायेगा, दुमका की यह सीट झारखंड की दूसरी सीटों की तरह ही होगी. लेकिन क्या इसका मतलब यह होगा कि सीता को वॉक ऑवर देने की तैयारी है. अंदरखाने खबर यह है कि सीता की राह में कांटे तो बिछाये जायेंगे. लेकिन उसकी व्यूह रचना कुछ इस प्रकार की होगी कि गुरुजी और कल्पना सोरेन की इंट्री के बैगर ही सीता के इस तूफान को थाम लिया जाय. और यदि बावजूद इसके सीता की जीत होती है, तो इसे बहु से बेटी बनी सीता की “खोयछा’ भराई की भेंट मानी जायेगी.
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