Ranchi-लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ पंत से पार्टी के सभी पदों से अपना इस्तीफा सौंप दिया. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जून खड़गे को भेजे अपने पत्र में गौरव वल्लभ पंत ने पार्टी के उपर दिशा हीन होने का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि वह सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकतें. साफ है कि इस्तीफे के साथ ही गौरव वल्लभ की कोशिश कांग्रेस को सनातन विरोधी साबित करने और अडाणी प्रकरण में राहुल गांधी की भूमिका पर सवाल खड़ा करने की कोशिश में है. उनका दावा है कि वह देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली नहीं दे सकतें. यानि अब तक अडाणी प्रकरण में जिन तर्कों के सहारे वह राहुल गांधी को सच साबित करने की कोशिश कर रहे थें वह उनके दिल की बात नहीं होकर कांग्रेस की भाषा थी. जिसकी इजाजत उनकी अंतरआत्मा नहीं दे रही थी. आखिर उन्होंने अपनी अंतरआत्मा की आवाज सुनी और कांग्रेस को बॉय बॉय करने का फैसला कर लिया और इसके तत्काल बाद भाजपा से अपनी दूसरी सियासी पारी का एलान भी कर दिया.
जब पूर्वी जमशेदुपर विधान सभा चुनाव में तीसरे स्थान पर खिसक गये गौरव वल्लभ पंत
गौरव वल्लभ पंत के इस इस्तीफे को लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, और दावा किया जा रहा है कि गौरव वल्लभ के इस्तीफे का बाद कांग्रेस के अंदर का खोखलापन बाहर आ गया. लेकिन क्या यह वास्तव में कांग्रेस के लिए इतना बड़ा झटका है, जितना बड़ा झटका इसे बताने की कोशिश की जा रही है. तो इसे समझने के लिए वर्ष 2019 में झारखंड के पूर्व जमशेदपुर के विधान सभा नतीजों को समझना बेहतर होगा. क्योंकि तब गौरव वल्लभ पंत को कांग्रेस पार्टी ने पूर्व सीएम रधुवर दास के मुकाबले मैदान में उतारा था. और उस वक्त भी आज की तरह गौरव वल्लभ पंत अपनी जीत का दावा ठोक रहे थें. लेकिन जब चुनाव के नतीजे आयें तो गौरव वल्लभ पंत के पैर के नीचे से जमीन खिसकी नजर आयी थी, पूर्व सीएम रघुवर दास को उनके ही सियासी मैदान में हराने का हुंकार भरने वाले गौरव वल्लभ पंत तीसरे स्थान पर ख़ड़े थें. जबकि निर्दलीय मैदान में कूदे सरयू राय रघुवर दास को चित कर जीत अपने नाम कर चुके थें. उस मुकाबले में सरयू राय को 73,945, रघुवर दास को 58,112 और जीत की हुंकार लगाते गौरव वल्लभ पंत को कुल 18,976 वोट मिले थें. इन आंकडों से समझा जा सकता है कि उनकी विदाई से कांग्रेस की सेहत पर क्या असर होगा?
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