Ranchi-इंडिया गठबंधन के अंदर सीटों की गुत्थी सुलझती नजर नहीं आ रही, करीबन आधा दर्जन सीटें पर अभी भी चेहरे को लेकर संशय बरकरार है. हालांकि सीएम चंपाई सोरेन, बंसत सोरेन और राजेश ठाकुर के द्वारा पूर्व सीएम हेमंत से जेल में मुलाकात के बाद गिरिडीह और दुमका से प्रत्याशी का एलान कर दिया गया, लेकिन राजमहल पर चुप्पी साध ली गयी. जबकि दुमका गोड्डा और राजमहल तीनों ही लोकसभा क्षेत्रों में 1 जून को चुनाव होना है. इस हिसाब से तो राजमहल और गोड्डा सीट से भी प्रत्याशियों का एलान हो जाना चाहिए था और यह सवाल खड़ा होना लगा कि क्या राजमहल सीट को लेकर इंडिया गठबंधन के अंदर कोई उलझन है, क्या चेहरे की किलल्त है या महागठबंधन के अंदर अभी सीटों को लेकर अदला बदली का दौर चलने वाला है. यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि क्योंकि राजमहल की सीट झामुमो के खाते की सीट है, यानि झामुमो को वहां से प्रत्याशी का एलान करने में कोई दिक्कत नहीं थी.
विजय हांसदा की जीत को लेकर मुतमईन नहीं पार्टी
यहां ध्यान रहे कि भाजपा ने राजमहल से ताला मरांडी को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि पिछला बार भाजपा का चेहरा रहे हेमलाल मुर्मू घर वापसी कर झामुमो का झंडा थाम चुके हैं. यदि झामुमो को वर्तमान सांसद विजय हांसदा पर ही दांव लगाना होता तो नलिन सोरेन के साथ ही विजय हांसदा के नाम की घोषणा हो जाती, तो क्या यह माना जाय कि पार्टी अभी विजय हांसदा की जीत को लेकर मुतमईन नहीं है. दरअसल पार्टी का एक बड़ा हिस्सा विजय हांसदा को इस बार उम्मीदवार बनाने के पक्ष में नहीं है. विजय हांसदा लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच नाराजगी की खबर है. बताया जाता है कि विजय हांसदा की उम्मीदवारी के एलान पर ताला लगने के कारण यही है. सियासी गलियारों में एक चर्चा यह भी है कि कांग्रेस झामुमो के बीच लोहरदगा सीट को लेकर भी एक बार फिर से संवाद का सिलसिला जारी है, जेएमएम की ओर से कांग्रेस को यह समझाने की कोशिश जारी है कि सीटों की संख्या के बजाय कांग्रेस को जीत के समीकरण पर बात करनी चाहिए. जिस लोहरदगा वह दावेदारी ठोक रहा है, वहां से उसके पास चमरा लिंडा जैसा मजबूत चेहरा है, जबकि विजय हांसदा के खिलाफ नाराजगी की खबर है, इस हालत में यदि कांग्रेस राजमहल सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा करे और लोहरदगा की सीट झामुमो के खाते में कर दे, तो दोनों ही सीट पर इंडिया गठबंधन का झंडा बुलंद हो सकता है. दावा किया जाता है, झामुमो के इस प्रस्ताव पर कांग्रेस भी गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है, और यदि बात बन गयी तो लोहरदगा से एक बार फिर से सुखदेव भगत का कांटा फंस सकता है और चमरा लिंडा की लॉटरी खुल सकती है.
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