Ranchi-पिछले कुछ दिनों से आसमान छूता राजधानी रांची का सियासी पारा आज भी अपने पूरे शवाब पर बने रहने की संभावना है, माना तो यह जा रहा है कि आज यह अपने उच्चतम स्कोर तक पहुंच सकता है. कथित जमीन घोटाले में आज एक बजे दिन से मुख्यमंत्री आवास में सीएम हेमंत से ईडी अपनी पूछताछ करने वाली है, और इसके साथ ही राजधानी रांची में सियासी कयासबाजियों का बाजार गर्म है. पिछली पूछताछ के दौरान सीएम हेमंत के समर्थकों की उमड़ी भीड़ और उनकी नारेबाजी के मद्देजर प्रशासन के द्वारा सुबह नौ बजे से रात के 10 बजे तक शहर के विभिन्न इलाकों में 144 लागू करने की घोषणा कर दी गयी है, और इसके साथ ही धरना-प्रदर्शन पर पूर्ण रुप से रोक लगा दिया गया है. ताकि ईडी अधिकारियों को सीएम आवास तक आने जाने और पूछताछ के साथ ही इस प्रक्रिया को उसके अंतिम अंजाम तक पहुंचाने में किसी विध्न बाधा का सामना नहीं करना पड़े.
ईडी अधिकारियों को इस बार भी सत्ता रही है अपनी सुरक्षा की चिंता
बावजूद इसके ईडी अधिकारियों में एक हद तक सुरक्षा की चिंता सताती नजर आ रही है, और यही कारण है कि उनके द्वारा सुरक्षा व्यवस्ता को और भी पुख्ता करने का आग्रह किया गया है. लेकिन एक तरह जहां ईडी अपनी तैयारियों को अंतिम रुप में देने में जुटा है, तो दूसरी तरफ सत्तापक्ष भी हर मुकाबले को तैयार नजर आ रहा है, और हर प्रहार की काट खोजी रही है, जिसके बूते भाजपा के अरमानों पर पानी फेरा जा सके. और यही कारण है कि सत्ता पक्ष के द्वारा प्लान ए, प्लान बी और प्लानी सी कर अपनी तैयारियों को कई हिस्सों में विभाजित किया गया है, ताकि युद्ध की जरुरत और समय की मांग के अनुरुप उसे कार्यान्वित किया जा सके.
सीएम हेमंत की गिरफ्तारी के बाद कौन होगा सीएम का चेहरा
दरअसल सत्ता पक्ष का दावा है कि उसका मुकाबला ईडी या किसी केन्द्रीय एजेंसी से नहीं है, वह तो सीधे भाजपा से मुकाबला कर रही है, ये सारे केन्द्रीय एजेंसियां तो महज भाजपा को मोहरे हैं, जिन्हे सियासी मुकाबले में एक हथियार के बतौर प्रयोग किया जा रहा है, यह एजेंसियों को करना वही है, जो हुक्म दिल्ली की सत्ता से इन तक पहुंचाया जायेगा, इन्हे तो महज उस हुक्म को उस अंजाम तक पहुंचाना है, और यही कारण है कि सत्ता पक्ष में इस बात की आशंका बनी हुई है कि वह सीएम हेमंत को गिरफ्तार करने का आदेश सुना सकता है, उस हालत में राज्य के चेहरा कौन होगा, सत्तापक्ष के साथ ही राज्य की कमान किसके हाथ में होगी, यह एक बड़ा सवाल होगा, और यही कारण है कि सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज है कि यदि सीएम हेमंत की गिरफ्तारी की नौबत आती है तो उस हालत में कल्पना सोरेन के चेहरे पर दांव लगाया जा सकता है, ताकि प्रशासन और सत्ता पूरी रफ्तार से दौड़ती रहे, रोजमर्रा के प्रशासिक कार्यों में कोई संवैधानिक बाधा नहीं खड़ी हो.
क्या है सत्ता पक्ष का प्लान-बी
दरअसल अभी महागठबंधन के पास कुल 47 विधायक हैं, झामुमो-29, कांग्रेस-16, राजद-01,माले-01,कुल- 47, यह आंकड़ा बहुमत के लिए जरुरी 42 विधायकों से पांच ज्यादा है, साफ है कि यदि पार्टी में सर्वसम्मति बन जाती है तो कल्पना सोरेन की राह मुश्किल नजर नहीं आती. लेकिन मुख्य सवाल यह है कि यदि कल्पना सोरेन के नाम पर सर्वसम्मत राय नहीं बनती है, तो उस हालत में क्या संभावना बन सकती है. हालांकि सत्ता पक्ष से खबर यह है कि कल्पना सोरेन के नाम पर कहीं से कोई विरोध नहीं है, और पूरी पार्टी उनके नाम पर एकजुट है, लेकिन अंदरखाने चर्चा यह भी है कि हेमंत सोरेन की भाभी और स्व. दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन का कल्पना के नाम घोर आपत्ति है, उनका दावा है कि हर बार कुर्बानी हमारी तरफ से ही क्यों दिया जाय?
सीता सोरेन के पक्ष में चार से पांच विधायकों के समर्थन का दावा
दूसरी चर्चा इस बात की भी है कि सीता सोरेन के पास चार पांच विधायकों का समर्थन भी है, इसमें लोबिन हेम्ब्रम, रामदास सोरेन, चमरा लिंडा, और दो विधायक हैं. लेकिन सीता सोरेन की मुश्किल यह है कि उनका गठबंधन के दूसरे दलों में कोई पकड़ नहीं है, दूसरा नाम सीएम हेमंत के छोटे भाई बसंत सोरेन का है. जो फिलहाल दुमका से विधायक है. और अपनी भाभी सीता सोरेन की तुलना में इनके अंदर राजनीतिक महत्वकांक्षा भी कुछ अधिक ही हिलोरों मारता रहता है. दावा तो यह भी किया जाता है कि बंसत सोरेन का भाजपा के साथ बहुत हद तक मधुर संबंध भी रहता है, इस हालत में बंसत सोरेन की एक यह राजनीतिक महत्वाकांक्षा कल्पना की डगर को मुश्किल बना सकती है. इस हालत में बड़ा सवाल यह होता है कि आखिर वक्त में गुरु जी का आशीर्वाद किसको मिलता है, क्योंकि जिसके सिर पर भी गुरुजी का आशीर्वाद का हाथ उठा, पूरा झामुमो उसके साथ खड़ा नजर आ सकता है, लेकिन इस हालत में गुरुजी को कांग्रेस की भावनाओं का भी ख्याल रखना होगा, क्योंकि झामुमो के साथ ही कांग्रेस में भी हेमंत सोरेन को चाहने वालों की एक मजबूत जमात है, जो हर कीमत पर हेमंत के साथ बना रहना चाहता है. गुरु जी को इनकी भावनाओं को भी सम्मान देना होगा. और अपने फैसले से पहले उन्हे कांग्रेस को विश्वास में लेना होगा.
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