TNPDESK-मध्यप्रदेश,राजस्थान सहित कुल पांच राज्यों का चुनाव परिणाम मतपेटियों में कैद हो चुका है, पूरे देश की निगाहें मतपेटियों में कैद उम्मीदवारों और सियासी दलों की किस्मत पर लगी हुई है. लेकिन इस बीच विभिन्न एजेंसियों की ओर से मध्यप्रदेश को लेकर परस्पर विरोधी दावा किये जाने के कारण एक नया सियासी तूफान खड़ा होता नजर आने लगा है. और इसके साथ ही एक्जिट पॉल के दावों और उन दावों के पीछे सियासत की चर्चा तेज होती नजर आ रही है.
एमपी चुनाव को लेकर विभिन्न एंजेसियों के दावे प्रतिदावे
दरअसल मध्यप्रदेश को लेकर तस्वीर की कुछ ऐसी बनती दिख रही है, जहां चुनाव प्रचार के दौरान तमाम एजेंसियों की ओर से कांग्रेस को एक अपर हैंड बताया जा रहा था, दावा इस बात का किया जा रहा था कि कांग्रेस के पास एक स्थानीय नेतृत्व है, और इसके साथ ही शिवराज सरकार का 18 वर्षों की एंटी इनकम्बेंसी भी मदद पहुंचा रही है, जिस मंत्रियों और सांसदों को दिल्ली के द्वारा मैदान में धूमधाम से उतारा गया था, उनमें से अधिकांश की हालत पतली बतायी जा रही थी, खुद कृषि मंत्री तोमर की सीट भी फंसी बतायी जा रही थी.
लेकिन जैसे ही मतदान संपन्न हुआ और एक्जिट पॉल आया, एक नये विवाद की शुरुआत हो गयी. एक तरफ न्यूज 24-151, आज तक 140-162 तो इंडिया टीवी-140-159 सीट भाजपा के खाते में जाते हुए दिखला रही है, वहीं दूसरी ओर टाइम्स नाऊ में भाजपा के हिस्से 105-117 सीट भाजपा तो एबीपी के अनुसार भाजपा के हिस्से 88-112 सीट का दावा किया जा रहा है.
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bjp |
congres |
News 24 |
151 |
74 |
Ajtak |
140-162 |
68-90 |
INDIA T.V |
140-159 |
70-89 |
Times now |
115-117 |
109-125 |
ABP |
88-112 |
113-137 |
Dainik Bhaskar |
95-115 |
115-120 |
साफ है कि News 24, India T.V और Ajtak में भाजपा को अपार बहुमत के साथ सत्ता में वापसी का दावा किया जा रहा है तो दूसरी तरफ Times now, ABP और Dainik Bhaskar में कांग्रेस की वापसी बतलायी जा रही है. और विवाद की शुरुआत यहीं से होती है.
पांच राज्यों में कांग्रेस की जीत का दावा
दरअसल अधिकांश लोगों का मानना है कि इन पांच राज्यों के चुनाव मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलांगना में कांग्रेस स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ रही है, वहीं मिजोरम में वह स्थानीय दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने की स्थिति में होगी, जबकि राजस्थान में कांटे के मुकाबले में बहेद कम मार्जिन के साथ अशोक गहलोत सरकार बनाने में कामयाब हो सकते हैं. अब यदि हम इन दावों पर विश्वास करें तो कांग्रेस पांच राज्यों के इस विधान सभा चुनाव में 5-0 के साथ जीत का परचम फहराने वाली है. इनका दावा है कि कांग्रेस की अपार बढ़त और चुनावी सुनामी को देखकर भाजपा के अंदर एक बेचैनी की स्थिति है, और वह चुनाव के पहले ही अपने समर्थकों को मानसिक तौर पर तोड़ना नहीं चाहती, पहले पक्ष के दावों पर यकिन करें तो भाजपा के अंदर से ही यह रणनीति बनाई गयी कि फिलहाल किसी तरह का हेडलाईन मैनेजमेंट कर अपने समर्थक वर्ग को इस हादसे से उबरने के लिए कुछ समय दिया जाय और इसी रणनीति के तहत अचानक से मध्यप्रदेश में भाजपा को बढ़त की खबर चलवायी जाने लगी.
कई बार हवा का रुख भांपने में असफल रहती है एजेंसिया
लेकिन यहां याद रहे कि भाजपा को बढ़त का इशारा करने वाली News 24, Ajtak के एक्जिट पॉल को काफी सम्मान की नजर से देखा जाता रहा है, खास कर चाणक्या जो News 24 के साथ मिलकर एक्जिट पॉल को अंजाम देता रहा है, उसकी विश्वसनीयता भी काफी मजबूत मानी जाती है, लेकिन बावजूद इसके वह पश्चिम बंगाल सहित कई दूसरे राज्यों में मतदाताओं का रुख मापने में बूरी तरह से रहा है. हालांकि उसका स्ट्राईक रेट 94 फीसदी के आसपास माना जाता है, इस हालत में यह मानना कि किसी सियासी दल के दबाव में इन एजेंसियों के द्वारा अपने सर्वे में बदलाव किया होगा, मुश्किल प्रतीत होता है. हालांकि यदि कल भाजपा 145 के आसपास भी पहुंच जाती है तब तो यह माना जायेगा कि इन एजेंसियों के द्वारा हवा का रुख का आकलन कर लिया गया था, यद्धपि सीटों का आकलन में भूल हुई, लेकिन यदि कल भाजपा 105-110 तक सिमट जाती है, तो इन तमाम एजेसियों की विश्वसनीयता पर एक गंभीर सवाल खड़ा हो जायेगा.
मीडिया मैनेजमेंट और हेडलाइन मैनेजमेंट का आरोप बहुत पुराना
और उसके बाद इस बात को भी बल मिलने लगेगा कि अंदरखाने हेडलाईन मैनेजमेंट का बड़ा खेला हुआ है, यहां यह भी याद रहे कि भाजपा पर मीडिया और हेडलाइन मैनेजमेंट का आरोप बहुत पुराना है. और विपक्ष इसको लेकर कई सवाल पहले भी उठाता रहा है. उसका दावा कि मीडिया को देश की कमरतोड़ महंगाई दिखलायी नहीं देती, युवाओं के बीच फैली बेरोजगारी दिखलायी नहीं देती, रुपया का हर दिन गिरता रुतबा दिखालाई नहीं देता, मीडिया को पूरे देश में कहीं भी सामाजिक सौहार्दय की झलक नहीं दिखती, उसे हर चीज में सिर्फ हिन्दू मुसलमान दिखलायी देता है, और वह इसी हिन्दू मुसलमान के नजरिये से देश की महंगाई और बेरोजगारी को भी देखने की कोशिश करता है.
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