झारखंड: एक दौर वह भी था जब विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्रनाथ महतो करते थें भिक्षाटन, जानिए क्या थी इसके पीछे की वजह

जिस जमात को हम लोग निकलें हैं, उस सामाजिक जमात के लिए एक रुपया और एक मुट्ठी चावल का दान भी महादान था, इस दान के लिए भी उन्हे अपना पेट काटना पड़ता था. गुरुजी के उसी सियासी प्रशिक्षण के कारण आज भी हम अपने आप को जनता का नौकर समझते हैं, सुबह उठते जागते वह भिक्षाटन हमें याद दिलाता रहता है कि तुम जो कुछ भी हो, उसी एक मुट्ठी चावल और एक रुपया की बदौलत हो.  

झारखंड: एक दौर वह भी था जब विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्रनाथ महतो करते थें भिक्षाटन, जानिए क्या थी इसके पीछे की वजह