Ranchi-जेएसएसपी पेपरलीक में मामले में पूर्व सीएम हेमंत की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है. वह एक साथ चौतरफा संकट में फंसते दिख रहे हैं, एक तरफ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं तो दूसरी ओर लोकसभा में भी इस मामले की गूंज सुनाई पड़ने लगी है, इसके साथ ही राजभवन के बाहर भाजपा युवा मोर्चा के द्वारा धरना-प्रदर्शन की शुरुआत करते हुए इस बात का दावा ठोका जा रहा है कि इस मामले में अधिकारयों के बजाय सीधे-सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय की संलिप्ता थी. आज लोकसभा में इस मामले को उठाते हुए भाजपा सांसद ने इस बात का दावा किया किया कि पूर्व सीएम हेमंत के एक करीबी के घर से जेएसएससी कैंडिडेट का एडमिट कार्ड का मिलना, इस बात पुख्ता सबूत है कि यह खेल सत्ता के शीर्ष पर खेला जा रहा था. यहां ध्यान रहे कि इस मामले में झारखंड एसआईटी के द्वारा पहले ही मामले की जांच शुरु कर दी गयी है, अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है, लेकिन इस बीच बाबूलाल का इस मामले में कूदना और भाजपा सांसद संजय सेठ के द्वारा इस मामले को लोकसभा में उठाना इस बात का पुख्ता संकेत हैं कि लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा को एक बड़ा सियासी मुद्दा हाथ लग चुका है, अब उसकी कोशिश अब इस मुद्दे को हवा देकर सियासी माहौल तैयार करने की होगी. और वह इसी राह पर चल भी पड़ा है.
माड़-भात खाकर नौकरी की तैयारी करते छात्रों के सपनों की चोरी
इस मामले में अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर बाबूलाल ने लिखा है विनोद सिंह कौन हैं। वह देश-विदेश की सपरिवार यात्रा में हेमंत सोरेन के साथ साए की तरह चलता है। अब यह बात सामने आ गई है कि दलाल विनोद के साथ मिलकर हेमंत सोरेन ने न सिर्फ जमीन लूटी है बल्कि माड़-भात खाकर नौकरी की तैयारी करने वाले इन गरीब बेरोजगार छात्रों को भी लूटा है। इससे बड़ी बेशर्मी क्या हो सकती है कि कोयला, लोहा, पत्थर, बालू और जमीन बेचने वाले हेमंत ने गरीबों की नौकरियां भी बेच दीं.
28 जनवरी को हुई थी परीक्षा
यहां ध्यान रहे कि 28 जनवरी को झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की ओर से कंबाइंड ग्रैजुएट लेवल एग्जाम (एसएससी-सीजीएल) की परीक्षा आयोजित की गयी थी, इसके तहत विभिन्न विभागो में करीबन 2025 पदों पर नियुक्ति की जानी थी, लेकिन परीक्षा के दौरान ही इसका पेपरलीक हो गया. जिसके बाद इसके थर्ड पेपर की परीक्षा रद्द कर दी गयी और एसआईटी का गठन कर जांच का आदेश दे दिया गया.
क्यों उलझी कहानी
लेकिन यह कहानी तब उलझती नजर आने लगी कि जब ईडी ने इस बात का दावा पेश किया कि उसके हाथ विनोद सिंह और पूर्व सीएम हेमंत के बीच का वाट्सअप चैट हाथ आया है, जिसमें विनोद सिंह के द्वारा कई परीक्षार्थयों का एडमिट कार्ट सीएम को भेजा गया था. इसके साथ ही यह दावा भी सामने आया कि विनोद सिंह ने कई अधिकारियों का तबादला और पदस्थापन के लिए अधिकारियों का नाम भेजा था, साथ ही इस तबादले और पदस्थापन के लिए अलग अलग राशि का ऑफर दिया गया था. और यहीं से पूर्व सीएम हेमंत की मुश्किलें बढ़ती नजर आती है, हालांकि यह दावा ईडी की ओर से पेश किया जा रहा है, इस मामले में अभी तक झामुमो और सरकार की ओर से कोई सफाई या खंडन सामने नहीं आया है.