Patna- राष्ट्रीय अध्यक्ष के रुप में अपनी ताजपोशी के साथ ही सीएम नीतीश पूरे चुनावी रंग में दिखने लगे हैं. दिल्ली पार्टी कार्यालय में अलग-अलग राज्यों के पार्टी पदाधिकारियों के साथ मुलाकात का सिलसिला अनवरत चालू है. इसके साथ ही देश व्यापी दौरे की प्लानिंग भी सामने आने लगी है, खबर है कि 21 जनवरी को झारखंड के रामगढ़, और इसके बाद उत्तर प्रदेश और 17 फरवरी को हरियाणा में बड़ी रैली होगी. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ और मणिपुर को लेकर भी तारीखों पर मंथन जारी है. हालांकि उत्तर प्रदेश में उनकी रैली कहां और कब होगी, अभी इसको लेकर कोई सूचना सामने नहीं आयी है, लेकिन इतना तय है कि यह जनवरी का आखिरी सप्ताह होगा, बहुत संभव है कि वह स्थान फुलपूर संसदीय सीट हो. यह वही फूलपुर संसदीय सीट है, जहां से नीतीश कुमार का चुनाव लड़ने की चर्चा हो रही है. दरअसल फूलपुर को समाजवादियों का मक्का माना जाता है. यहां से एक से बढ़ कर समाजवादियों ने अपनी किस्मत आजमायी है, माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के लिए इस संसदीय सीट को चुनने के पीछे यही वजह है.
बिहार में राजद जदयू के बीच 17-17 का फार्मूला
इसके साथ ही बिहार में सीटों का वितरण को लेकर भी गहन मंथन जारी है, वैसे सूत्रों का दावा है कि राजद और जदयू के बीच 17-17 सीटों पर समझौता हो चुका है. बाकि कि छह सीटे कांग्रेस और वाम दलों के लिए रखा गया है, हालांकि इस पर कांग्रेस का रुख क्या होगा, अभी इसको लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है.
सीतामढ़ी सीट से देवेश चंद्र ठाकुर होंगे इंडिया गठबंधन का उम्मीदवार
लेकिन इस बीच बढ़ी खबर यह है कि नीतीश कुमार ने सीतामढ़ी सीट से बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर के नाम का एलान कर दिया है, यहां बता दें कि यहां से अभी जदयू कोटे से सुनील कुमार पिंटू सांसद है, लेकिन वह मूल रुप से भाजपा कार्यकर्ता रहे हैं, पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त जदयू उम्मीदवार के द्वारा अपना नाम वापस लिये जाने के बाद इन्हे भाजपा से लाकर जदयू का टिकट दिया गया था, यही कारण कि पिछले कुछ दिनों से वह लगातार भाजपा के पक्ष में बयान दे रहे थें, इस प्रकार सीतामढ़ी से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर नीतीश ने यह साफ कर दिया कि सुनील सिंह की मूलत: भाजपा के हैं और उनके किसी भी बयान से जदयू का कोई सरोकार नहीं है. लेकिन यहां यह भी ध्यान रहे कि देवेश चंद्र ठाकुर के उस उम्मीदवारी को उनकी इस धमकी का असर माना जा रहा है जिसमें उनके द्वारा टिकट नहीं देने की स्थिति में बगावत करने की भी धमकी दी गयी थी.
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