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जल, जंगल जमीन की लड़ाई छोड़ कमल की सवारी! राजमहल के दंगल में लोबिन हेम्ब्रम को उतार हेमलाल का हिसाब चुकता करने की तैयारी

जल, जंगल जमीन की लड़ाई छोड़ कमल की सवारी! राजमहल के दंगल में लोबिन हेम्ब्रम को उतार हेमलाल का हिसाब चुकता करने की तैयारी

Ranchi-एक तरफ जहां कथित जमीन घोटाले में पूर्व सीएम हेमंत को कालकोठरी में जाने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं के अंदर जश्न का माहौल है, लेकिन प्रदेश भाजपा के रणनीतिकार इस जश्न और इसके शोर से बाहर निकल उस जंग की ओर निकल पड़े हैं, जो यह तय करने वाला है कि पीएम मोदी का तीसरी ताजपोशी होकर देश में एक नया इतिहास रचा जाता है, या फिर इसका हस्श्र भी उस इंडिया शाइनिंग के समान होता है, जब पूरे देश में एक ही नारा और एक ही चेहरा दिखलाया जा रहा था, और वह चेहरा था तात्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का, तब देश में आम से लेकर खास तक, रेडियो से लेकर टीवी तक, अखबारों से लेकर रैलियों में भी कोई यह मानने को तैयार नहीं था कि टीवी और अखबारों में गढ़ी जा रही यह रुपहली छवि चुनावी मैदान में औंधे मुंह गिरने जा रही है. और जब चुनाव हुआ और उसका परिणाम सामने आया तो मालूम हुआ कि जिस शहरी आबादी और मध्यम वर्ग के भरोसे इंडिया शाइंनिग का ढिंढोरा पिटा जा रहा था, वह तो महज कुछ मुट्ठी भर आबादी का जश्न था. लेकिन हम यहां उस जंग की बात नहीं कर रहे हैं. आज तो हम उस जंग की बात कर रहे हैं, जिस जंग के लिए झारखंड भाजपा के रणनीतिकार निकल पड़े हैं.

लोबिन के चेहरे में हेमलाल की काट खोजती भाजपा

दरअसल खबर यह है कि जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर हेमंत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले, 1932 का खतियान और खनिज लूट के खिलाफ झामुमो को कटघरे में खड़ा करने वाले, आदिवासी अस्मिता के सवाल पर पारसनाथ की पहाड़ियों से जैन धर्मालंबियों के खिलाफ हुंकार भरने वाले, लोबिन हेम्ब्रम पर भाजपा डोरे डाल रही है. ताकि राजमहल संसदीय सीट, जिसके एक विधान सभा बोरिये से लोबिन खुद विधायक है, से उन्हे को चुनावी दंगल में उतार कर हेमलाल की घर वापसी की क्षति पूर्ति की जा सके.

क्या कहता है सामाजिक समीकरण

यहां ध्यान रहे कि राजमहल में कुल छह विधान सभा राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिटिपारा, पाकुड़ और महेशपुर की कुल छह सीटें है. जिसमें आज राजमहल विधान सभा से भाजपा के एकमात्र विधायक अनंत ओझा है, जबकि चार विधान सभा में झामुमो और पाकुड़ विधान सभा से आलमगीर आलम कांग्रेस के पंजे की उपस्थिति बनाये हुए हैं. यदि बात हम सामाजिक समीकरण की करें तो यह पूरी तरह से आदिवासी बहुल इलाका है, और इसके साथ ही एक बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी भी है. इस हिसाब से राजमहल झामुमो का एक मजूबत किला दिखलाई देता है, और भाजपा के रणनीतिकार इस अभेद किले को किसी भी कीमत पर भेदने को आमादा हैं.

कभी कांग्रेस का किला होता था राजमहल

हालांकि कभी इस संसदीय सीट पर कांग्रेस की भी मजबूत पकड़ थी, लेकिन वक्त के साथ वह पकड़ कमजोर होती गयी. और इसके बाद 1998 और 2009 में भाजपा इस अभेद किले को अपने कब्जे में करने में सफल रही थी. लेकिन 2014 और 2019 में झामुमो से विजय हांसदा ने इस सीट से लगातार सफलता हासिल कर यह साबित कर दिया कि राजमहल में अब झामुमो को चुनौती पेश करना एक टेढ़ी खीर है, और इसी छटपटाहट में भाजपा ने झामुमो के कद्दावर नेता माने जाने वाले हेमलाल मूर्मु को अपने पाले में किया था, लेकिन इस अपार लोकप्रियता के बावजूद हेमलाल दोनों ही बार इस संसदीय सीट पर कमल खिलाने में नाकाम रहें और थक-हार घर वापसी की राह पकड़ ली.

विजय हांसदा के विजय अभियान पर ब्रेक लगाने में नामयाब रहे हेमलाल

हालांकि यह हेमलाल मुर्मू का जमीनी पकड़ ही था कि दोनों ही बार उनके द्वारा झामुमो को मजबूत चुनौती पेश की गयी, 2014 में जहां हेमलाल को तीन लाख अड़तीस हजार वोट मिले थें, वहीं विजय हांसदा ने 3,79,507 के सफलता का परचम फहराया था, और फिर 2019 में हेमलाल ने चार लाख मतों के सात विजय हांसदा के विजय अभियान पर ब्रेक लगाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन तब विजय हांसदा ने पांच लाख एकमुश्त पांच लाख वोट लाकर हेमलाल मूर्मू के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया. अब हालत यह है कि भाजपा के इस संसदीय सीट के लिए किसी मजबूत पहलवान की खोज में हैं, और लोबिन हेम्ब्रम जिस अंदाज में अपनी ही सरकार को घेरते रहते हैं, उससे भाजपा के रणनीतिकारों को यह विश्वास बंधता है कि यदि राजमहल में कोई एक चेहरा भाजपा के इस मुर्छाये कमल के लिए वरदान बन कर सामने आ सकता है, तो वह लोबिन हेम्ब्रम हैं और इसी चाहत में बार-बार लोबिन हेम्ब्रम को संदेश भेजा जा रहा है.

लोबिन के मिजाज और अंदाज को बर्दास्त कर पायेगी भाजपा?

हालांकि अभी भी बड़ा सवाल यही है कि क्या लोबिन इस ऑफर को स्वीकार करने की स्थिति में हैं भी या नहीं, क्या वह इस रास्ते आगे बढ़ने को तैयार होंगें, क्योंकि लोबिन का जो मिजाज और अंदाजे बयां है, भाजपा नेतृत्व उस अंदाजे बयां को ज्यादा दिनों तक बर्दास्त करने की स्थिति होगा, इस पर बड़ा संशय है. और इसका कारण बेहद साफ, जो लोबिन जल जंगल और जमीन की लूट के सवाल पर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं, हेमंत सोरेन पर खनन माफिया को संरक्षण देने का आरोप चस्पा कर सकता है, तो जिस भाजपा को कॉरपोरेट घरनों का सबसे बड़ा हितैशी माना जाता है, खुद लोबिन यह मानते रहे हैं कि भाजपा आदिवासी मूलवासियों की जमीन को छीन कर इन कॉरपोरेट घरानों को सौंपना चाहती है, क्या वह लोबिन भाजपा में जाने के बाद अपनी यह भाषा और मिजाज में बदलाव लायेंगे, लगता तो नहीं है, यह तेवर उनके चरित्र का स्थायी हिस्सा है, जो उनके संघर्षों के कारण उनके व्यक्त्वि का हिस्सा  बना है, इस हालत में देखना होगा कि यह डील किस अंजाम तक पहुंचता है, क्योंकि राजनीति तो नाम ही संभावनाओं का खेल है, उसी संभावनाओं में एक संभावना यह भी हो सकती है, लेकिन फिलहाल लोबिन इस तरह के तमाम खबरों को एक सुर में खारिज कर रहे हैं.

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Published at:08 Feb 2024 07:04 PM (IST)
Tags:lobin hembremlobin hembromBJP preparing to field Lobin Hembram from Rajmahal parliamentary seatHemlal Murmu's revenge: BJP preparing to field Lobin from Rajmahal parliamentary seatLobin Hembram preparing to join BJPBJP putting strings on LobinBJP offers ticket to Lobin from Rajmahal parliamentary seatRajmahal competition is going to be fun
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