Ranchi:भले ही झारखंड में इंडिया गठबंधन के अंदर सीटों पर माथापच्ची जारी हो, धनबाद से लेकर रांची तक महागठबंधन का चेहरा कौन होगा? इस पर पेंच फंसी हो, संशय का बाजार गर्म हो, लेकिन पूर्व सीएम हेमंत की गिरफ्तारी को लोकसभा चुनाव में झारखंड का सबसे बड़ा सियासी मुद्दा बनाने की तैयारी जरुर शुरु हो गयी है. इंडिया गठबंधन की ओर से 21 अप्रैल को रांची के तारा मैदान में एक उलगुलान महारैली का एलान किया गया है. इस रैली में राजद सुप्रीमो लालू यादव, यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, आम आदमी नेता संजय सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जून खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी के साथ ही इंडिया गठबंधन के तमाम नेताओं की मौजूदगी होगी.
अब तक की सबसे बड़ी रैली
झामुमो का दावा है कि यह झारखंड की अब तक की सबसे बड़ी रैली होगी, इसीलिए इसे रैली नहीं उलगुलान महारैली यानि रैला का नाम दिया गया है. दावा किया जा रहा है कि उस दिन रांची की सड़कों पर करीबन तीन लाख का जनसैलाब उमड़ेगा, झारखंड के कोने कोने से लोगों का काफिला जुटेगा. आदिवासी-मूलवासी, दलित-पिछड़ों और अल्पसंख्यकों का जनसैलाब रांची की सड़कों पर अपने अंदर के गुस्से का इजाहार करेगी. पूर्व सीएम हेमंत की गिरफ्तारी के विरोध में अपना आक्रोश जारी करेगी, केन्द्र सरकार और भाजपा को इस बात की चेतावनी देगी कि हेमंत को काल कोठरी में कैद कर झारखंड और झारखंडियों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता, कल्पना सोरेन और इंडिया गठबंधन के तमाम नेताओं को यह विश्वास दिलाने की कोशिश होगी कि कल्पना की आंखों से बहती आसुंओं की धार सिर्फ कल्पना सोरेन की है, हर झारखंडी के अंदर वही गुस्सा और आक्रोश पनप रहा है. जनसैलाब की हुंकार भले ही रांची की सड़कों पर गुंजेगी, लेकिन इसकी आवाज काल कोठरी में कैद हेमंत तक जायेगी, उन्हे यह विश्वास दिलाने की कोशिश होगी कि भले ही आप को जेल की अंधेरी कोठरी में कैद कर रखा गया हो, लेकिन झारखंड आपके साथ खड़ी है, भले ही आप जमीन घोटाले से दूसरे तमाम घोटालों का आरोप लगाया जा रहा है, लेकिन पूरा झारखंड इस बात को लेकर मुतमईन है कि आप निर्दोष है, आप बेगुनाह हैं. कोई भी ताकत उनके आत्म विश्वास को डिगा नहीं सकती. और इसका मुख्य चेहरा कल्पना सोरेन होंगी, इस रैली को सफल बनाने के लिए झामुमो के दूसरे नेताओं के साथ ही कल्पना सोरेन भी तैयारी में जूट गयी है.
हेमंत का गुनाह, जल जंगल और जमीन की लूट के खिलाफ आवाज
यहां बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद इसी तरह की रैली का आयोजन दिल्ली के राम लीला मैदान में किया गया था. तब भी उस रैली में देश के तमाम विपक्षी नेताओं का महाजुटान हुआ था और उसी मंच से कल्पना सोरेन ने विश्वास दिलाने कोशिश की थी कि पीएम मोदी और भाजपा की अलोकतांत्रित तानाशाही रैवये के खिलाफ जिस विपक्ष एकजुटता की कवायद की जा रही है, झारखंड उसकी सबसे मजबूत कड़ी होगी, झारखंड का आदिवासी-मूलवासी समाज इस तानाशाही के खिलाफ सड़क से संसद तक हुंकरा लगायेगा, क्योंकि आदिवासियों के खून में समझौता नहीं होता, उसका पूरा इतिहास खून और शहादत से लिखा गया है, चाहे बिरसा मुंडा हो सिन्धू कोन्हों या फिर आदि विद्रोही तिलका हर आदिवासी नायक ने अपनी शहादत देकर भी आदिवासी समाज की संघर्ष और शहादत की इस परंपरा को आगे बढ़ाया है, आज हेमंत भी उसी राह पर चल पड़े हैं, यदि हेमंत सोरेन भी भाजपा के लूट का हिस्सा होतें, तो वह भी आज सीएम होंते, वह भी आराम की जिंदगी जी रहे होंते, लेकिन हेमंत ने जेल की काल कोठरी में रहना स्वीकार किया, लेकिन भाजपा की विभाजन कारी नीतियों और जल जंगल और जमीन की उसकी लूट का साथ नहीं दिया.
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