रांची(RANCHI): विधान सभा के पटल पर विश्वास मत हासिल करते ही काग्रेंसी विधायकों के अंदर मंत्री बनने हसरतें तेज हो गयी है, कोई दबी जुबान से तो कोई खुलेआम कैमरे पर अपनी दावेदारी तेज कर रहा है, कोई अपने को अल्पसंख्यकों का सबसे बड़ा चेहरा बताता है, तो किसी की नजर में चंपई सरकार में यादव जाति को भी उसकी हिस्सेदारी और प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, हालांकि कुछ ऐसे चेहरे भी हैं, जिनके बारे में सियासी गलियारे में मंत्री बनने की कयासबाजियां तो काफी तेज है, लेकिन मीडिया के कैमरे के सामने वह अपनी हसरतों को दबा रहे हैं. सब कुछ पार्टी पर थोपते हुए यह कहते नजर आते हैं कि उनके अंदर ऐसी कोई हसरत नहीं है, पार्टी जो भी जिम्मेवारी देगी, वह तो उसका निर्वाह करेंगे. लेकिन सारे विधायक ऐसे नहीं है, खास कर वैसे विधायक जो अपने को रेस के बाहर होता देख रहे हैं, ऑन कैमरा पर अपनी चाहत का इजहार करने से पीछे नहीं हट रहें.
आदिवासी मूलवासी की सियासत में यादवों को सम्मान क्यों नहीं
इसी में से एक बरही विधान सभा से पंजे की सवारी पर विधान सभा पहुंचे अकेला यादव हैं, अपने दावेदारी को सामने रखते हुए वह यादव जाति का सम्मान और उसकी सामाजिक सियासी हिस्सेदारी-भागीदारी का सवाल खड़ा करते हैं, उनकी मांग है कि आदिवासी मूलवासी दूसरी जातियों के समान ही यादव जाति को भी सरकार में भागीदारी प्राप्त होना चाहिए. ताकि चुनाव के वक्त उन्हे अपनी जाति के सामने मुंह छुपाने की नौबत नहीं आये.यदि हिस्सेदारी ही प्राप्त नहीं होगा तो वह किस मुंह के साथ अपनी जाति के बीच जायेंगे.
अपने को हेमंत का हनुमान बताने वाले इरफान भी ठोक रहे हैं ताल
ठीक यही पीड़ा अपने आप को पूर्व सीएम हेमंत का हनुमान बताते वाले डाक्टर इरफान अंसारी की है, इरफान अंसारी अपने आप को अल्पसंख्यक समाज का सबसे बड़ा चेहरा मानते हैं, और इसके बदले चंपई सरकार में एक मंत्री पद की हसरत पालते हैं. यहां याद रहे कि यह वही इरफान हैं जो ईडी के साथ हेमंत की पूछताछ के वक्त भोकार पार-पार कर रो रहे थें, हालांकि अब उनके चेहरे पर वह वेदना नहीं दिख रही है, फिलहाल वह अपने लिए एक कुर्सी की तलाश में हैं. वैसे इन पर हेमंत सरकार को अस्थिर करने का आरोप भी लग चुका है, जिस कोलकता कैश कांड ने अखबारों की सुर्खियां बटोरी थी, उसमें इरफान नाम सबसे उपर था, जिसके बाद पार्टी ने इन्हे निलंबित भी कर दिया था, हालांकि इनका निलंबन समाप्त हो चुका है. अब देखना होगा कि सीएम चंपई सोरेन इनकी आंसुओं का कद्र करते है या नहीं.
बसंत ने भी जतायी मंत्री बनने की इच्छा
लेकिन इन नामों एक और नाम पूर्व सीएम हेमंत के छोटे भाई बसंत सोरेन का भी है, हालांकि अविश्वास प्रस्ताव के पहले तक बंसत सोरेन के लेकर कई खबरें सामने आ रही थी, कभी उन्हे सीएम बनाया जा रहा था, तो कभी उपमुख्यमंत्री की कुर्सी से नवाजा जा रहा था, लेकिन अब बहुमत साबित करने बाद मंत्री पद की दावेदारी की जा रही है, और शायद यह मुराद पूरी भी हो जाय. लेकिन इन सबों के बीच महागामा विधायक दीपिका पांडेय बेहद सधी चाल चलती नजर आ रही है, अपनी दावेदारी को सामने लाने के बजाय दीपिका इस बात की दुहाई देती नजर आ रही हैं कि मैंने हर संकट में सरकार का साथ दिया, अब यह पार्टी आलाकमान की इच्छा पर निर्भर करता है कि किसे क्या जिम्मेवारी सौंपी जायेगी. हालांकि खबर यह भी है कि दीपिकाका मंत्रिमंडल में स्थान पाना लगभग तय हो चुका है. क्योंकि गोड्डा की राजनीति को साधने में दीपिका एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती हैं. लेकिन इसके साथ ही दीपिका का गोड्डा संसदीय सीट से मोर्चा संभालने की खबर है. इस हालतमें यह देखना होगा कि गोड्डा के दंगल में उतरने के पहले मंत्री पद से भी नवाजा जाता है या फिलहाल चुनावी दंगल तक इंतजार होता है.