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“कांग्रेस का झोला ढोने नहीं आया” बेटिकट रामटहल का बगावती अंदाज, संकट में यशस्विनी !

“कांग्रेस का झोला ढोने नहीं आया” बेटिकट रामटहल का बगावती अंदाज, संकट में यशस्विनी  !

Ranchi-टिकट कटने के बाद कोपभवन में बंद रामटहल चौधरी ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कांग्रेस पर धोखाधड़ी का इल्जाम जड़ ही दिया. आशीर्वाद की आस में चाचा रामटहल के दरवाजे पहुंची यशस्विनी को जनता की अदालत में माथा टेकने की सलाह देते हुए कहा कि किसी के आशीर्वाद से सियासत का सच नहीं बदलता, जीत और हार की पटकथा नहीं बदलती, इसका फैसला जनता करती है, अब यह कांग्रेस को तय करना है कि जनता के बीच उसकी कितनी मजबूत पकड़ है और जैसे ही यशस्विनी की विदाई हुई, अपनी पीड़ा का सार्वजनिक इजहार करते हुए कहा कि मैं पांच बार का सांसद और दो बार का विधायक रहा हूं, मुखिया से अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की थी, जब भाजपा का कहीं अता-पता नहीं था, तब भी “कमल छाप” पर चुनाव लड़ता था और समय ने ऐसा रंग दिखलाया कि एक दिन यही कमल भाजपा की पहचान बन गयी. अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर मोदी का दौर देखा हूँ. सियासत के कई सुरमाओं को जमींदोज होते तो कईयों को आसमान की बुलंदियों  का सफर देखा है. कांग्रेस में कांग्रेस का झोला ढोने नहीं गया था. लालचंद महतो से लेकर जलेश्वर महतो के मान-मनौबल के बाद कांग्रेस में गया था, बंधु तिर्की ने भी पार्टी में शामिल होने की सलाह दी थी, लेकिन कांग्रेस ने तो पार्टी का पट्टा पहना मुझे बंधुआ मजदूर समझने की भूल कर दी, टिकट किसको मिले, यह कांग्रेस का फैसला है, लेकिन इतना तय है कि इस बार झारखंड में खाता नहीं खुलने जा रहा.

मुश्किल हो सकती है यशस्विनी की राह

यहां याद रहे कि एक अनुमान के अनुसार रांची लोकसभा में करीबन दो से तीन लाख कुर्मी मतदाता है. यह संख्या करीबन उतनी है, जितने मतों से वर्ष 2019 में सुबोधकांत को हार का सामना करना पड़ा था. इस हालत में रामटहल चौधऱी का यह बगावती अंदाज कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकता है. खास कर सोनाहातू, सिल्ली और इचागढ़ में इस नाराजगी का व्यापक असर हो सकता है, वैसे भी आजसू प्रमुख सुदेश महतो कुर्मी मतदाताओं के बीच लगातार कैंप कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस की ओर से कोई दूसरा कुर्मी चेहरा मैदान में कूदता दिखायी नहीं दे रहा. ले-देकर कांग्रेस की आस सिर्फ दो से तीन लाख आदिवासी और करीबन दो लाख मुस्लिम मतदाताओं पर है.

क्या है सामाजिक समीकरण

यहां बता दें कि रांची संसदीय सीट पर कुर्मी-2-3 लाख, मुस्लिम-1.5-2 लाख, आदिवासी-दो-तीन लाख, राजपूत-50-70 हजार, बनिया-50 हजार- से एक लाख, कोयरी-50,000 से 1 लाख, ब्राह्मण 30-70 हजार के आसपास है. सियासी जानकारों का दावा है कि इसी आदिवासी-मुस्लिम समीकरण में वर्ष 2019 में सुबोधकांत को सियासी शिकस्त के बावजूद  करीबन चार लाख वोट आया था. प्रदेश कांग्रेस के एक खेमे की कोशिश रामटहल चौधरी को आगे कर इस तीन लाख कुर्मी मतदाताओं में सेंधमारी की थी, ताकि उस गैप को पूरा किया जाय. लेकिन टिकट से बेटिकट होते ही रामटहल के इस रौद्र रुप से बाद कांटा फंसता  दिखने लगा.

सोनिया गांधी की पसंद यशस्विनी

हालांकि रामटहल चौधरी इसे धोखा मान रहे हैं. उनका मानना है कि पार्टी का पट्टा पहना कर सुबोधकांत ने उनके साथ अब तक का सबसे बड़ा सियासी छल किया, और जिस टिकट की आस में वह कांग्रेस के साथ गयें थें, उसे अपनी बेटी  यशस्विनी के नाम कर दिया, वैसे सियासी गलियारों में एक चर्चा यह भी है कि सियासी डगर से अनजान यशस्विनी को यह टिकट पिता सुबोधकांत की पहल पर नहीं, बल्कि सोनिया गांधी के वरदहस्त से प्राप्त हुई है, दावा किया जाता है कि सोनिया गांधी को इस बात की खबर बहुत पहले से थी कि यशस्विनी कैलाश सत्यार्थी के साथ जुड़ कई सामाजिक मुद्दों पर काम कर रही है, जैसे ही उनके सामने रांची से उम्मीदवारी का सवाल खड़ा हुआ और यह भी तय हो गया कि सुबोधकांत को अब अखाड़े में उतराना उचित नहीं है, इस हालत में खुद  सोनिया गांधी ने ही यशस्विनी को मुलाकात के लिए बुलाया और आखिरकार रांची से उम्मीदवार बनाने का फैसला किया, यशस्विनी का युवा होना और सामाजिक कार्यों से जुड़ाव एक वजह बन गयी. लेकिन मुख्य चुनौती को इस सियासी पिच पर यशस्विनी की राह आसान करने की है, और सवाल यह भी है कि यशस्विनी पर फैसले लेने  के पहले रामटहल चौधरी को विश्वास में लेने की कोशिश क्यों नहीं की गयी. क्या सौहार्दय पूर्व वातावरण में इसका निपटारा नहीं किया जा सकता था, क्या सोनिया गांधी को यह बताने की कोशिश की गयी कि इस सीट से टिकट के आश्वासन के बाद भी पांच बार के सांसद रहे रामटहल चौधरी की इंट्री करवायी गयी है, या सब कुछ एकतरफा था, जैसा की कांग्रेस फैसले को लेकर आरोप लगता रहा है.  

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Published at:26 Apr 2024 03:01 PM (IST)
Tags:Ramtahal Chaudhary“Did not come to carry the bag of Congress”yashaswini sahayyashashwini sahaysubodh kant sahayyashaswini sahay congress candidatesubodhkant sahay daughter yashaswini sahaysanjay seth vs yashaswini sahaycongress candidate yashaswini sahayyashaswinisubodh kant sahay newssubodh kant sahay familysubodh kant sahay jharkhandsubodh kanth sahaysubodh kant sahaicongress subodh kant sahayranchi newsranchiranchi lok sabha seat bjplok sabha electionranchi lok sabha bjp candidatelok sabha electionsranchi lok sabha chunavranchi lok sabharanchi lok sabha newsranchi lok sabha seatsanjay seth ranchi lok sabharanchi loksabha seatindia alliance rally in ranchiramtahal chaudharyramatahal choudhariramtahal choudharymp ramtahal choudharykoun hai ramatahal choudhariramtahal chodharysanjay seth on ramtahal choudharyram tahal choudharikurmi-mahto leader ramtahal choudharyram tahal choudhary
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