Ranchi-जमशेदपुर लोकसभा सीट से एक नया सियासी प्रयोग करते हुए झामुमो ने कायस्थ चेहरे पर दांव लगा अगड़ी जातियों में सेंधमारी का मास्टर प्लान तैयार किया है. पार्टी ने करीबन 14 वर्षों के बाद 2019 में घर वापसी कर बहरागोड़ा विधान सभा में जीत का परचम फहराने वाले समीर मोहंती को मैदान में उतारा है. इस प्रकार अब जमशेदपुर में विद्यूत वरण महतो और समीर मोहंती के बीच सियासी संग्राम देखने को मिलेगा. यह भी एक दिलचस्प तथ्य है कि कभी विद्यूत वरण महतो भी बहरागोड़ा से झामुमो के विधायक थें, और उनके सामने ताल ठोकने उतरे समीर मोहंती भी बहरागोड़ा से वर्तमान झामुमो विधायक है, इस हालत में यह मुकाबला झामुमो के दो सिपाहियों के बीच ही होनी है, हालांकि इसमें एक विद्यूत वरण महतो आज भाजपा के साथ है, वहीं समीर मोहंती करीबन 14 वर्षों तक कमल की सवारी करने के बाद घर वापसी कर चुके हैं.
28 फीसदी आदिवासी आबादी के बावजूद चंपाई सोरेन को करना पड़ा था हार का सामना
ध्यान रहे कि वर्ष 2019 में झाममो ने विद्यूत वरण का रास्ता रोकने के लिए वर्तमान सीएम चंपाई सोरेन को मोर्चे पर तैनात किया था, लेकिन जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र में 28 फीसदी आदिवासी आबादी के बावजूद चंपाई सोरेन को करीबन तीन लाख मतों से हार का सामना करना पड़ा. बताया जाता है कि उस वक्त अगड़ी जातियों के साथ ही आदिवासी समाज का एक बड़ा हिस्सा भी भाजपा के साथ खड़ा था. जिसका नुकसान झामुमो को भुगतना पड़ा था. लेकिन इस बार जमशेदपुर की सियासी फिजा में बदलाव का दावे किये जा रहे हैं. वर्तमान सांसद विद्यूत वरण महतो की यह दूसरी पारी है. सियासी जानकारों का मानना था कि जमशेदपुर में एक हद तक एंटी इनकंबेंसी की भनक सुनाई पड़ रही है. हालांकि एंटी इनकंबेंसी कितनी घातक होगी, यह इस पर निर्भर करेगा कि सामने से अखाड़े में कौन उतरता है, और अब झामुमो ने समीर मोहंती को मैदान में उतारने का एलान कर दिया. इस हालत में देखना होगा कि समीर मोहंती इस मुकाबले को कितना दिलचस्प बनाते हैं.
एक लाख ओडिया भाषी-भाषियों पर झामुमो की नजर
यदि बात हम सामाजिक समीकरण की करें तो दावा किया जाता है कि जमशेदपुर लोकसभा में ओड़िया भाषी भाषियों की आबादी करीबन 1 लाख है, शायद समीर मोहंती को मोर्चे पर तैनात करते वक्त झामुमो के रणनीतिकारों ने इसका भी आकलन किया होगा. यहां ध्यान रहे कि एक आकलन के अनुसार जमशेदपुर लोकसभा में मुस्लिम-1.5- 2 लाख, कुर्मी-1-1.5 लाख, राजपूत- 50 हजार-एक लाख, आदिवासी- 2-3 लाख है, इसके साथ ही अगड़ी जातियों की भी एक बड़ी आबादी है. इसमें मुस्लिम और आदिवासी को झामुम का कोर वोटर माना जाता है, जिसकी संयुक्त आबादी करीबन3 से 5 लाख की होती है. इस हालत में यदि अगड़ी जातियों का एक हिस्सा समीर मोहंत के साथ खड़ा होता है, तो मुकाबला दिलचस्प हो सकता है. हालांकि इसके बावजूद झामुमो की सफलता और असफलता इस बात पर भी निर्भर करेगी कि वह कुर्मी मतों में कितनी सेंधमारी कर पाती है, यदि बात हम इंडिया गठबंधन की बात करें तो अब तक दो कुर्मी चेहरों को टिकट दिया जा चुका है. बावजूद इसके कुर्मी समाज से नाराजगी की खबर सामने आ रही है. देखना होगा कि झामुमो के रणनीतिकार समीर मोहंती के चेहरे के साथ कुर्मी मतों में सेंधमारी कर पाने की स्थिति में होते हैं या नहीं, क्योंकि आखिरकार जीत का रास्ता वहीं खुलेगा
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