Ranchi-आखिरकार पिछले कई महीनों और हफ्तों से सत्ता के गलियारों में उछलती या उछाली जाती रही अटकलें सत्य साबित हुई, दिशोम गुरु के सबसे प्रिय शिष्यों में से एक और अपनी सादगी, मधुरता और विन्रमता के लिए विरोधियों के बीच भी अपनी स्वीकार्यता रखने वाले चंपई सोरेन को झारखंड का ताज सौंप कर सीएम हेमंत कालकोठरी की ओर चलते बनें. और इसके साथ ही सत्ता के गलियारे में उछलती उन तमाम अटकलों पर विराम लग गया जिसमें सूत्रों के हवाले इस बात का दावा किया जा रहा था कि अपनी सियासी मुश्किलों से हार मान कर सीएम हेमंत ने आखिरकार भाजपा के सामने सरेंडर करने का मन बना लिया है, और किसी भी वक्त बिहार की तर्ज झारखंड में भी एक पलटी देखी जा सकती है.
गलत साबित हुई उलटफेर की भविष्यवाणियां
लेकिन उलटफेर की भविष्यवाणियां करने तमाम सियासी जानकार झारखंड की मिट्टी के साथ जुड़ी बगावत और विद्रोह की उस लम्बी परंपरा को भूल गयें. जो संथाल विद्रोह से शुरु होकर मुंडा विद्रोह तक अनवरत आगे बढ़ता रहता है, वह यह भी नहीं समझ सकें, कि बिहार या दूसरे मैदानी इलाकों में मिट्टी की जो तासीर है, झारखंड की पथरीली जमीन पर आत्म समर्पण के उस बीज को पुष्पित -पल्लवित करना एक बेहद टेढ़ी खीर है, और यही कारण है कि जिस इंडिया गठबंधन का सूत्रधार के रुप में सीएम नीतीश के चेहरे देश के भावी पीएम की झलक देखी जा रही थी, उस नीतीश कुमार ने अपनी पांचवीं पलटी के साथ अपने नाम नौंवी बार सीएम की कुर्सी करने का रिकार्ड बना लिया, जैसे-जैसे उनके करीबियों के खिलाफ ईडी का शिंकजा कसता गया, ईडी का वह हाथ सीएम नीतीश को भी अपने बेहद करीब आता दिखने लगा, और अंतत: 2024 के ठीक पहले ऑपरेशन बिहार रचकर भाजपा ने एक ही झटके में उस विपक्ष को सन्निपात की हालत में लाकर खड़ा कर दिया, जिस विपक्ष का एक दिन पहले तक सबसे बड़ा चेहरा वह खुद थें.
झारखंड की जमीन की अपनी खूशबू और अपनी तासीर है
लेकिन जैसा की लिखा गया कि झारखंड की जमीन की अपनी खूशबू और अपनी तासीर है. यहां शहादत और अपनी जिदद् पर कुर्बानी देने की अपनी परंपरा है, और उस हालत में जब सामने और कोई नहीं सामाजिक सियासी झंझवातों से जूझना का प्रतीक बन चुके दिशोम गुरु का बेटा हेमंत हो. ऑपरेशन बिहार के बाद ऑपरेशन झारखंड के स्वपन देखते सियासी रणनीतिकारों को बड़ा झटका लगा जब हेमंत ने उनकी शर्तों के सामने झूकने से साफ इंकार कर दिया, और अपनी गिरफ्तारी से ठीक पहले यह रहस्योद्घाटन भी कर दिया कि बिहार के बाद झारखंड ऑपेरशन की तैयारी कर ली गयी थी, लेकिन हमने झूकने से इंकार कर दिया और उसी की परिणति यह है, एक राज्य के मुखिया को उस भुंईहरी जमीन खरीदने बेचने के आरोप में चलता किया जा रहा है, जिस भुंईहरी जमीन को ना तो बेचा जा सकता है, और ना खरीदा, महज छह एकड़ जमीन के नाम पर हमारी लोकप्रिय सरकार को दफन करने का षडयंत्र रच लिया गया.
ना हौसला ध्वस्त होगा और ना ही हिम्मत टूटेगी
लेकिन हमारे विरोधी यह भूल गयें कि हम उस शिबू के बेटे हैं, जिसके खून में ही संधर्ष है. जिसके लहू में विद्रोह और बगावत की बहती धार है, भला उस हेमंत को तोड़ा कैसे जा सकता है, झारखंड के नाम एक बेहद मार्मिक अपील करते हुए हेमंत ने इस बात का हुंकार भी भरा कि वह लौट कर आयेंगे और एक बार फिर से अपने दुश्मनों पर टूटेंगे, इस जेल यात्रा से ना तो उनकी हिम्मत टूटेगी और ना ही उनका हौसला ध्वस्त होगा. हालांकि इस विदाई के भाषण में उनके चेहरे पर एक दर्द और एक पीड़ा भी जरुर दिख रही थी, लेकिन वह पीड़ा सत्ता जाने के ज्यादा अपनों से बिछडऩे का कुछ ज्यादा ही दिख रहा था.
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