Ranchi-सरायाकेला-खरसामा जिले के जिलिंगगोड़ा गांव से अपनी जिंदगी की शुरुआत करने वाले चंपई सोरेन की पढ़ाई लिखाई महज दसवीं क्लास तक की है . कुल सात बच्चों के पिता, जिसमें चार बेटे और तीन बेटियां है, चंपई सोरेन 1991 से अब तक लगातार विधायक है, उन्हे काफी विन्रम स्वाभाव का माना जाता है, चाहे जैसा भी संकट हो उनके चेहरे पर एक मुस्कान खिली नजर आती है. और शायद उनके चेहरे पर पसरा यह भोलापन और सादगी ही उनकी सफलता का मूल मंत्र हैं, इस सियासी संकट की बेला में सीएम हेमंत ने और किसी भी चेहरे पर विश्वास नहीं कर अपने पिता के सबसे विश्वासपात्र और अपनी सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री की जिम्मेवारी का निर्वाह कर रहे चंपई सोरेन पर दांव लगाना सबसे बेहतर माना.
विन्रम स्वाभाव के बावजूद फैसले में सख्त
हालांकि अपने विन्रम स्वाभाव के बावजूद उन्हे प्रशासनिक मामले में बेहद सख्त माना जाता है, इसका उदाहारण तब मिला जब पिछले वर्ष परिवहन विभाग के अधिकारियों के द्वारा नागालैंड से निबंधित वाहनों पर कार्रवाई का आदेश दिया था, अधिकारियों के इस आदेश से वह पूरी तरह भड़क गयें और सारे फाइल अपने पास मंगा कर खुद ही सारे महत्वपूर्ण फैसले करने लगें. माना जा रहा है कि चंपई सोरेन की ताजपोशी के साथ ही झामुमो का कोल्हान का किला और भी मजबूत होकर सामने आयेगा, संथाल में पहले ही झामुमो को मजबूत जनाधार है, इस प्रकार यदि संताल और कोल्हान में झामुमो का डंका बज जाता है तो यह भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी. क्योंकि सामने 2024 का लोकसभा चुनाव है, और इधर झामुमो सीएम हेमंत की गिरफ्तारी के बाद उमड़ी सहानुभूति पर सवार होकर सियासी मैदान में होगी, एक तरफ उसके पास चंपई जैसा मजबूत सियासी खिलाड़ी होगा तो दूसरी तरफ कल्पना का चेहरा, इस हालत में यह जंग कैसा रंग लाता है, देखना होगा. यहां बता दें कि सीएम हेमंत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, और इसके साथ ही उनकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है.
नयी सरकार के गठन तक अपने दायित्व का निर्वहन करते रहेंगे हेमंत सोरेन
बड़ी खबर यह है कि भले ही आज सीएम हेमंत को गिरफ्तार कर लिया जाये, लेकिन जबतक नयी सरकार का शपथ ग्रहण नहीं हो जाता है, वह जेल से भी अपने दायित्वों का निर्वहन करते रहेंगे. यहां याद रहे कि कल सत्ता पक्ष की बैठक में दो नामों पर हस्ताक्षर करवाये गये हैं, पहला नाम तो कल्पना सोरेन का था, दूसरा नाम वर्तमान सरकार में कल्याण मंत्री का दायित्व संभाल रहे चंपई सोरेन का है, खबर है सीएम की रेस में कल्पना सोरेन सबसे आगे थी, लेकिन सोहराई भवन मामले में उनका नाम उछलता रहा है, इस हालत में उनके नाम पर कानूनी पेंच भी फंस सकता है, और इसी पैंतरे की काट में चंपई सोरेन के नाम को भी आगे करने का फैसला किया गया. चंपई सोरेन को दिशोम गुरु शिबू सोरेन का बेहद करीबी और भरोसेमंद माना जाता है, कोल्हान में उनकी जबरदस्त पकड़ है, चंपई सोरेन को कोल्हान में टाईगर के नाम से भी पुकारा जाता है.
कालकोठरी से होगा भाजपा के खिलाफ सिंहनाद
यहां बता दें कि जब तक सीएम हेमंत को इस मामले में जमानत नहीं मिल जाती, उन्हे कालकोठरी में अपना समय गुजारना होगा, मुश्किल यह है कि सामने 2024 का महासंग्राम है, और शायद उनकी गिरफ्तारी के पीछे सियासत का खेल भी यही है, वह खुद भी इस बात का दावा करते रहे हैं कि भाजपा उन्हे 2024 के पहले मैदान से बाहर करना चाहती है, ताकि वह झारखंड में अपने मनसूबे को पूरा कर सकें, इस हालत में साफ है कि सीएम हेमंत को अपनी गिरफ्तारी की आशंका थी, और वह यह मान कर चल रहे थें कि 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले उन्हे मैदान से हटाने की साजिश रची जा सकती है, अब देखना यह होगा कि जब झामुमो का सबसे मजबूत चेहरा ही कालकोठरी में बंद होगा, तब 2024 की लड़ाई को किस दम खम के साथ लड़ा जाता है, हालांकि उनके समर्थकों को दावा है कि सीएम हेमंत जेल में रहकर भी भाजपा पर भारी पड़ेगें, उनकी गिरफ्तारी के बाद उनके पक्ष में जन सहानुभूति का वह तूफान सामने आयेगा कि जिसमें भाजपा की सारी हसरतें डूब जायेगी.
सीएम भले ही चंपई सोरेन हों, लेकिन सियासी मोर्चा खोलती नजर आयेंगी कल्पना सोरेन
एक दावा यह भी है कि भले ही सीएम हेमंत की गिरफ्तारी के बाद राज्य कमान कल्पना सोरेन के हाथ में नहीं आये, लेकिन अब वह पूरी तरह से सियासी मैदान में होगी. भाजपा के खिलाफ चुनावी अभियान में अब वह झामुमो का प्रमुख चेहरा होगी. और यदि वाकई ऐसा होता है, कल्पना सोरेन सियासी मैदान में उतर कर भाजपा को ललकारती है, तो आदिवासी मूलवासियों के साथ ही राज्य की आधी आबादी के बीच गोलबंदी तेज हो सकती है.
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