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“झुकेगा नहीं झारखंड” से पटा राजधानी रांची! झामुमो ने ठोका ताल, यह भगवान बिरसा की धरती, पीठ दिखलाकर भागना हमारी फितरत नहीं

“झुकेगा नहीं झारखंड” से पटा राजधानी रांची! झामुमो ने ठोका ताल, यह भगवान बिरसा की धरती, पीठ दिखलाकर भागना हमारी फितरत नहीं

Ranchi ईडी की लम्बी पूछताछ के बाद जैसे ही पूर्व सीएम हेमंत होटवार जेल की ओर प्रस्थान करते नजर आयें, पूरी राजधानी “झुकेगा नहीं” की पोस्टरों से पट गया. हर चौक-चौराहे पर हेमंत के बड़े-बड़े पोस्टर लहराने लगे. कहीं “झुकेगा नहीं झारखंड” तो कहीं “हेमंत झारखंड का स्वाभिमान” तो कहीं “झारखंड की आन बान और शान हेमंत” के पोस्टर लगे थें.

पीठ दिखलाना झारखंडियों के खून में शामिल नहीं

इसके साथ ही झामुमो की ओर इस बात का दावा भी किया जाने लगा कि भगवान बिरसा मुंडा की इस धरती पर गद्दारों का जन्म नहीं होता. सिद्धो कान्हू और जबरा पहाड़िया की इस धरती पर शहादत की लम्बी परंपरा रही है. हम आदिवासी मूलवासियों ने हर दौर में संघर्ष किया है, अपनी कुर्बानी दी है, आगे भी यह परंपरा कायम रहेगी. अंग्रेजों का जुल्मो सितम हो या मौजूदा तानाशाह की तानाशाही, हम ना झुके थें ना झुकेंगे और ना ही पीठ दिखलाकर युद्ध भूमि छोड़ कर भागेंगे. अपने पूर्वजों की राह चलते हुए हम अपनी हर कुर्बानी देंगे.

बिरसा मुंडा की राह निकल पड़े हैं हेमंत

झामुमो ने दावा किया कि पूर्व सीएम हेमंत आज उसी रास्ते पर निकल पड़े हैं. जिस रास्ते पर चलते हुए बिरसा मुंडा, सिद्दो कान्हू और जबरा पहाड़िया ने इस मिट्टी के नाम अपने को कुर्बान किया था. वह चाहते तो भाजपा के साथ हाथ मिलाकर अपनी कुर्सी को सुरक्षित रख सकते थें, यह विकल्प उनके पास था. असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा से लेकर महाराष्ट्र में नारायण राणे और अजीत पवार तक इसके दर्जनों उदाहरण है. जिनके उपर कभी ईडी की तलवार लटकी थी, हर दिन समन दर समन भेज कर हिसाब मांगा जाता था. लेकिन जैसे ही इन नेताओं ने कमल की सवारी करना स्वीकार किया. सारे कथित घोटालों की फाइल एकबारगी बंद कर दी गयी, और आज वे मजे के साथ सत्ता की मलाई चाभ रहे हैं, यह विकल्प तो हेमंत सोरेन के पास भी था, वह भी भाजपा के साथ कुर्सी बचाने के लिए समझौता कर सकते थें. लेकिन यह झारखंड की धरती है, जहां बिरसा मुंडा का जन्म हुआ था, जिस धरती से सिद्दो कान्हू और तिलका  मांजी ने हुंकार भरी थी, उस धरती पर गद्दार पैदा नहीं होता. यह धरती शेरों की है और हेमंत आज के दौर का सबसे बड़ा शेर है.

इलेक्टोरल बांड भ्रष्टाचार का दूसरा नाम

अभी इन पोस्टरों के सहारे भाजपा को कटघरे में खड़ा करने की कवायद रुकी भी नहीं थी कि इलेक्टोरल बांड को भाजपा के भ्रष्टाचार जोड़ते हुए झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह दावा भी ठोक दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बांड पर पांबदी लगा कर भाजपा के भ्रष्टाचार को बेनकाब कर दिया है, अब वे किस मुंह के साथ पूजींपतियों की काली कमाई को अपने चुनावी प्रचार में खर्च करेंगे. जैसे ही सुप्रीम कोर्ट के सामने इस बांड का हिसाब रखा जायेगा, भाजपा का एक एक काला कारनामा सबसे सामने होगा. जिस काली कमाई को सफेद करने के लिए यह बांड लाया गया था, आज उसकी कलई सुप्रीम कोर्ट में खुल चुकी है. भाजपा को उपर जो रुपये की यह अथाह बारिस हो रही है, वह पैसा किसका है? यह वह काली कमाई है, जो देश के पूजींपतियों के माध्यम से भाजपा की तिजोरी में पहुंचाया जा रहा था, नहीं तो क्या कारण है कि देश में गरीब और गरीब हो रहा है, लेकिन अडाणी और अम्बानी की कमाई उछाल मार रही है. जैसे ही 17 तारीख को इसका पूरा ब्योरा कोर्ट के सामने आयेगा, यह आईने की तरह साफ हो जायेगा कि देश को बेच कौन और खरीद कौन रहा है और उसके बाद यह देखना होगा कि देश के सबसे बड़े इस मनीलांड्रिग के मामले में ईडी क्या कार्रवाई करती  है. क्या वह 13 पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ अडानी को रिमांड पर लेने की हिम्मत करेगी.

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Published at:15 Feb 2024 06:38 PM (IST)
Tags:Jhukega nahi jharkhandPoster of "Jharkhand will not bow down" in capital RanchiElectoral bond is another name for corruptionJhukega nahin jharkhandCapital Ranchi covered with posters of “Jhukega Nahin Jharkhand”Hemant Soren went to jail from ED courtSupriyo Bhattacharya made a big attack on BJPjharkhand politicsjharkhand newsjharkhandjharkhand political crisisjharkhand crisisjharkhand political newsjharkhand mukti morchajharkhand hemant sorenjharkhand latest newshemant soren jharkhand
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