Ranchi-इश्क की दुनिया में कभी किसी की हार नहीं होती या तो दिल मिलते हैं या फिर लिखे जाते हैं अफसाने और इन अफसानों में सदियों तक गुंजती रहती है एक मोहब्बत की दर्द भरी दास्तान, इन दर्द भरी दास्तानों में कभी हमारे सामने कोई हीर रांझा खड़ा होता है तो कभी सामने आता है किसी दशरथ मांझी का चेहरा, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि आशिकी की यह दुनिया हीर रांझा से शुरु कर दशरथ मांझी पर खत्म हो जाती है, बदलते समय के साथ प्रेम की परिभाषा में बदलाव और विस्तार तो जरुर आता है, और इसके साथ ही इजहारे प्रेम के नये-नये रास्ते भी सामने आते हैं, लेकिन इस सबके बावजूद नहीं बदलती चाहत और उस चाहत की प्रति दीवानगी की दुनिया. इश्क के इसी जुनून को अपने भरे-पूरे परिवार के साथ जीने का का एक नाम है राजधानी रांची की गलियों में भटकता एक वयोवृद्ध किशोर गाबा. किशोर गाबा का शरीर आज भले ही ढलान पर हो, लेकिन आज भी उनके मन का इश्क जवान है. ना तो उनकी आशिकी में कोई कमी आयी और ना ही उन्होंने अपनी इस दीवानगी को कभी अपने परिवार से छुपाया. आज भले ही किशोर गाबा अपनी जिंदगी के करीबन साठ बसंत पार कर चुके हों. नाती-नातिन, पोते-पोती के साथ उनका एक भरा-पूरा परिवार के साथ जिंदगी का आनन्द ले रहे हों, लेकिन वह अपनी किशारावस्था के उस मीठी एहसास से बाहर नहीं निकले हैं, जिसकी पहली महक उन्हे अपनी “रामा” में मिली थी. रामा यानी गाबा की पहली और आखिरी मोहब्बत. हालांकि उसके बाद किशोर गाबा की शादी भी हुई, सात जन्मों का बंधन भी हुआ, अग्नी के सात फेरे भी हुए, लेकिन इस आग में ना तो उनकी मोहब्बत जली और ना ही रीमा के प्रति दीवानगी में कोई आंच आया.
करीबन 30 साल पहले हुई थी इस प्रेम कथा की शुरुआत
दरअसल इस प्रेम कथा की शुरुआत आज से करीबन 30 वर्ष पूर्व हुई थी, तब किशोर गाबा अपनी जवानी की दहलीज को ओर कदम बढ़ा ही रहे थें, एक दिन इसी राजधानी की गलियों में उनकी आंखें रीमा से जा टकाराई, और बगैर एक क्षण बर्बाद किये किशोर ने अपनी पूरी जिंदगी गामा के नाम करने का एलान कर दिया. लेकिन नियति को यह साथ मंजूर नहीं था. किशोर के 33 पहुंचते-पहुंचते रीमा किसी और की हो गयी और इसके बाद शुरु हुई किशोर का तड़प, व्यथा और टूटन का दौर. इस बीच उनकी शादी भी हुई, बच्चे भी हुए और उन बच्चों की गृहस्थिय़ां भी बसी, लेकिन किशोर का रीमा की प्रति चाहत और दीवानगी हर बीतते लम्हे के साथ और भी परवान चढ़ता गया, और इसी तड़प में उन्होंने आज से करीबन वर्ष अपनी रीमा के नाम एक रिकार्ड बनाने का ख्बाब पाल लिया.
रीमा के नाम को एक करोड़ बार कागजों पर दर्ज करने का रिकॉर्ड
यानी रीमा के ख्बाव के साथ उसके नाम एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का ख्वाब भी तैरने लगा. और यह ख्वाब था रीमा के नाम को एक करोड़ बार कागज के टूकड़ों पर उतराने का, मजे की बात यह है कि किशोर की चाहत में कभी उनकी पत्नी या बच्चे भी बाधक नहीं बने, सबने एक साथ किशोर का हौसला बढ़ाया, और उसी का नतीजा है कि आज के कुछ दिन पहले ही उनका यह रिकॉर्ड एक सच्चाई बन कर खड़ा हो गया, आज रीमा चाहे जहां भी होगी, निश्चित रुप से उसे भी अपने बच्चों के साथ अपने किशोर के इस कारनामें पर गर्व हो रहा होगा, वह भी दिल के किसी कोने में किशोर के लिए दुआ की कामना कर रही होगी.
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