Ranchi-सीएम हेमंत की गिरफ्तारी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इसे भाजपा का अंहकार बताया है, तेजस्वी ने दावा किया कि जनता देख रही है कि किस प्रकार केन्द्रीय एंजेसियों को भाजपा के प्रकोष्ठ के रुप में तब्दील कर दिया गया है. जो काम भाजपा खुद नहीं कर पाती, उस मिशन को पूरा करने के लिए केन्द्रीय एजेंसियों को आगे कर दिया जाता है, केन्द्रीय एजेंसियों का काम भ्रष्टाचार की कलई खोलना नहीं बल्कि भाजपा प्रकोष्ठ के रुप में उसके हितों की हिफाजत करना है.
एक ही हफ्ते में बिहार, चंडीगढ़ और अब झारखंड खतरे में लोकतंत्र
अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कि “बिहार, चंडीगढ़ और अब झारखण्ड! भाजपा ने एक ही हफ्ते में लोकतंत्र और संघवाद को तार-तार कर दिया है। चुनावी हार के डर से जाँच एजेंसियों की निष्पक्षता खत्म कर,एजेंसियों को बीजेपी का प्रकोष्ठ बनाकर, केंद्र सरकार क्या-क्या कर रही है अब यह बात किसी से छुपी नहीं है। अहंकार से चूर भाजपा की हेकड़ी अब जनता तोड़ेगी। राजद @HemantSorenJMM जी के साथ खड़ी है।“
पहले सीएम नीतीश ने मारी अपनी पांचवीं पलटी
यहां ध्यान रहे कि इसी हफ्ते इंडिया गठबंधन के सूत्रधार रहे सीएम नीतीश ने एक बड़ा पालाबदल में एक बार फिर से उस भाजपा के साथ जाना स्वीकार किया, जिस भाजपा पर वह वह चंद दिन पहले तक देश में लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगा रहे थें, तब उनका दावा था कि यदि भाजपा को इस बार रोका नहीं गया तो 2024 के बाद देश संवैधानिक संकट खड़ा हो जायेगा, हम एक पूर्ण रुपेण तानाशाही के अंदर चले जायेंगे, लेकिन अपने तमाम दावों और हुंकार के बावजूद सीएम नीतीश ने अपनी पांचवीं पलटी से पूरे देश की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया.
चंडीगढ़ में खेल
दूसरा खेल चंडीगढ़ का है, वहां मेयर चुनाव में कांग्रेस और आप संयुक्त रुप से चुनाव लड़ रही थी, कांग्रेस और आप को कुल 20 वोट मिले, जबकि भाजपा को महज 16 वोट, लेकिन अप्रत्याशित रुप से आप-कांग्रेस के 8 मतों को अवैध घोषित करते हुए भाजपा उम्मीदवार मनोज सोनकर को विजयी बता दिया गया. अब यह मामला हाईकोर्ट में है. अब चंडीगढ़ का विवाद खत्म भी नहीं हुआ था कि अचानक से झारखंड में ईडी की ओर से सीएम हेमंत की गिरफ्तारी हो जाती है, और विपक्ष का दावा है कि सीएम हेमंत की गिरफ्तारी के पीछे ईडी के पास कोई ठोस तथ्य और साक्ष्य ही नहीं है, सिर्फ एक राजस्व कर्मचारी के बयान पर एक राज्य के मुखिया को फंसाया जा रहा है, यहां ध्यान रहे कि सेना जमीन घोटाले में ईडी राजस्व कर्मचारी भानू प्रताप को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है, अब वही भानूप्रताप सरकारी गवाह बन चुका है, और उसके बयान के आधार पर ही सीएम हेमंत पर शिंकजा कसता नजर आ रहा है, जबकि विपक्ष का दावा है कि भाजपा के द्वारा ईडी अधिकारियों को किसी भी हालत में सीएम हेमंत को फंसाने का दवाब बनाया गया है, और यही कारण है कि एक राजस्व कर्मचारी, जो अब सरकारी गवाह बन चुका है, के आधार पर एक राज्य के मुखिया को फंसाने की साजिश रची जा रही है, यह खुलेआम लोकतंत्र की हत्या और एक आदिवासी सीएम को रास्ते से हटाने की साजिश है.
भाजपा के सामने झूकने से हेमंत का इंकार
अब उसी आरोप को आगे बढ़ाते हुए तेजस्वी ज्यादा ने एक ही हफ्तों में देश के तीन तीन राज्यों में लोकतंत्र की हत्या का गंभीर आरोप लगाया है, उनका दावा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा किसी भी तरह सारे राज्यों में अपनी सत्ता चाहती है, उसकी कोशिश है कि हर राज्य में चाहे तो उसकी सरकार हो, या जो सरकार चल रही है, वह अपरोक्ष या परोक्ष रुप से उसके साथ रहे, उसकी शर्तों के अनुसार ही चुनाव लड़े और उसकी शर्तों के अनुसार ही अपने प्रत्याशी का चयन करें, यानि उम्मीदवार भले ही विपक्ष का हो, लेकिन वह चेहरा कौन होगा, इसका फैसला वह करेंगी, और यही खेल भाजपा बिहार, चंडीगढ़ के बाद झारखंड में खेलने की कोशिश कर रही थी, लेकिन एक हेमंत सोरेन ने भाजपा के सामने झूकने से साफ इंकार कर दिया और इसकी सजा उन्हे जेल यात्रा के रुप में चुकानी पड़ी, यदि हेमंत सोरेन ने भी नीतीश कुमार की तरह समझौता कर लिया होता तो आज वह भी आराम के साथ सीएम की कुर्सी पर होते.
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