Ranchi- बिलकिस बानो गैंपरेप के आरोपियों की रिहाई का गुजरात सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है, इस प्रकार एक बार सभी आरोपियों के लिए जेल का जाने रास्ता साफ हो गया है, अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि घटना किस स्थान पर घटित हुई यह महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण है कि कानूनी प्रक्रिया कहां चली और सजा किस कोर्ट से हुआ, चूंकि इस मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई है, इस हालत में गुजरात सरकार आरोपियों की रिहाई नहीं कर सकती. इसके साथ ही मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यह टिप्पणी भी कि सजा का मकसल अपराध को रोकना है, हमें इन दोषियों को रिहा करते वक्त पीड़िता की तकलीफ को भी समझना होगा.
अमृत महोत्सव के अवसर पर किया गया था रिहाई का फैसला
यहां याद रहे कि वर्ष 2022 में अमृत महोत्सव के दौरान गुजरात सरकार ने सारे आरोपियों को रिहा करने का फैसला किया था, इस फैसले के खिलाफ 30 नंवबर सुप्रीम में याचिका दाखिल करते हुए सभी आरोपियों तो तत्काल फिर से जेल भेजे जाने की मांग की गयी थी.
परिवार के तीन महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार और सात लोगों की हत्या
यहां यह भी याद रखने की जरुरत ही कि गुजरात दंगे के दौरान बिलकिस बानो की उम्र 21 वर्ष थी, इसके साथ ही वह पांच माह की गर्भवती भी थी, जब उग्र भीड़ उसकी घर की ओर बढ़ने लगा तो बिलकिस बानो अपने परिजनों के साथ घर छोड़ कर भाग खड़ी हुई, लेकिन बावजूद इसके वह भीड़ के हाथों बच नहीं सकी और सामूहिक बलात्कार का सामना करना पड़ा. भीड़ ने बिलकिस के साथ ही उसकी मां और घर की तीन महिलाओं के साथ रेप किया, इसके साथ ही उसके परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई, जबकि छह परिजन लापाता पाये गयें, जो आज कर वापस नहीं आयें.
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