Ranchi- कथित व्हाट्सएप चैट और सूत्रों के दावे के इर्द गिर्द घूमती झारखंड की सियासत का पारा अपने पूरे शबाव पर है, हालांकि जिस व्हाट्सएप चैट के हवाले से पूर्व सीएम हेमंत की मुश्किलें बढ़ने के दावे किये जा रहे हैं, उसकी सत्यता और कोर्ट में उसकी प्रामाणिकता कितनी होगी, वह एक जूदा सवाल है, लेकिन यह दावा जरुर है कि हर गुजरते दिन के साथ हेमंत की मुश्किलें बढ़ती जा रही है, और कथित जमीन घोटाले से आगे बढ़ते हुए अब यह जांच नौकरी घोटाला तक पहुंच चुकी है, विनोद सिंह की ओर से पूर्व सीएम हेमंत को कई ऐसे संदेश भेजे गये हैं, जिसके बड़े स्तर पर घपले की बू आती है, अब देखना होगा कि जिस व्हाट्सएप चैट को आधार बना कर सूत्रों के हवाले हेमंत की बढ़ती मुश्किलों का दावा किया जा रहा है. 27 फरवरी को जब इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई होगी, इस कथित साक्ष्य पर हाईकोर्ट का नजरिया क्या होगा. क्या झारखंड हाईकोर्ट ईडी की ओर से पेश इन सारे साक्ष्यों को उसी रुप में स्वीकार करता है, जिस रुप में मीडिया में परोसने की कवायद चल रही है, या कोर्ट के सामने इस कथित साक्ष्यों का दम टूटता नजर आयेगा. क्योंकि मीडिया का एक अपना नजरिया होता है, जबकि कानूनी लड़ाई का स्वरुप दूसरा. लेकिन पॉलिटिकल नैरेटिव का है, जो राजधानी रांची से लेकर संताल और कोल्हान में पसरता नजर आ रहा है, हेमंत की गिरफ्तारी को जिस अंदाज में झामुमो अपने समर्थक समूहों के बीच परोस रहा है, सवाल इसका है कि उसके बाद भाजपा को किन सियासी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, निश्चित रुप से ईडी के कथित दावे और सूत्रों की कहानियों को सहारे शहरी मध्यम वर्ग में एक नजरिया तैयार कर लिया जाता है, लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि राजधानी रांची, धनबाद और जमशेदपुर जैसे चंद शहर में बसा मध्यम वर्ग ही झारखंड नहीं है, और जो मुद्दे शहरी समाज में हावी होता नजर आता है, जरुरी नहीं है कि वही मुद्दा और नारे गांव की पगडंडियों तक भी पहुंचे.
हेमंत सरकार की सारी लोकलुभान योजनाओं को सरजमीन पर उतारने की होड़
यहां याद रहे कि अपने शपथ ग्रहण के बाद चंपाई सोरेन ने एलानिया तौर पर अपनी सरकार को हेमंत पार्ट टू करार दिया है, और इसके साथ ही वह मंत्रिमंडल का विस्तार इंतजार किये ही राज्य के दौरे पर निकल चुके हैं, जहां हेमंत सरकार की सारी लोकलुभान योजनाओं को सरजमीन पर उतारने की होड़ है, और इन योजनाओं को जेल में बंद में पूर्व सीएम हेमंत की परिकल्पना बताकर लोगों की हमदर्दी बटोरी जा रही है, यह बताने की कोशिश की जा रही है, हम तो महज एक चेहरा हैं, यह सब कुछ जो आपको सौंपा जा रहा है, उसी हेमंत की देन है, जो आज सियासी साजिश में शिकार हो कैदखाने में बंद है, और उसका कुसूर मात्र इतना है कि उसने आपकी आवाज को सत्ता की आवाज बनाने की कोशिश की है, पहली बार झारखंड में एक ऐसी सरकार आयी है, जो आदिवासियों की बात करता है, आदिवासियत की बात करता है, जल जंगल और जमीन पर आदिवासी समाज की मलकियत को स्वीकार करता है.
हेमंत की भाषा और हेमंत का अंदाज में बसंत का वार
झामुमो की रणनीति किस दिशा में जा रही है, उसको समझने के लिए संताल में पूर्व सीएम हेमंत के छोटे भाई बसंत का वह भाषण है, जहां बसंत सोरेन उस भीड़ के सामने अपने आंसुओं नहीं रोक पायें, रुंधे गले से बसंत यह एलान कर रहे हैं, हालांकि हम आपके बीच है, पूरा झामुमो नेतृत्व आपके बीच है, खुद सीएम चंपाई आपके बीच हैं, लेकिन हममें से कोई भी हेमंत का स्थान नहीं ले सकता, जिस अबुआ आवास योजना की पहली किस्त आप तक हम पहुंचाने आए हैं, उसका सपना उसी हेमंत ने देखा था, जिसे आज एक सियासी साजिश में कैद खाने में रखा जा रहा है. उन तक सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंचने दी जा रही है. एक सीलन भरे कमरे में उन्हे कैद रखा जा रहा है, इसके साथ ही बंसत कहते हैं कि हमें हार नहीं माननी है, क्योंकि हम संघर्ष से निकले लोग हैं, हमने झारखंड बनाया है, तो इसे गढ़ने की जिम्मेवारी भी हम पर है, जिस आशा और विश्वास के साथ आपने हर वक्त हेमंत का साथ दिया है, उसी विश्वास को आगे बनाये रखना होगा, क्योंकि यह लड़ाई लम्बी है, यह संघर्ष लम्बा है.
संथाल से लेकर कोल्हान तक क्या होगा इसका असर
इस हालत में यह सवाल खड़ा होना स्वाभाविक है, कि इन आंसुओं का संथाल से लेकर कोल्हान तक क्या असर होने वाला है, जिस संथाल को झामुमो को गढ़ माना जाता है, क्या उस संथाल में ये आंसु निरर्थक साबित होंगे, जिस कोल्हान की 14 सीटों में आज एक भी भाजपा के पास नहीं है. क्या इन आंसुओं में डूब कर भी भाजपा अपना कमल खिलाने में कामयाब होगी, क्या उस कोल्हान में जहां से अब खुद चंपाई आते हैं, भाजपा की मुश्किलें बढ़ती नजर नहीं आती है, और यह स्थिति तब है, जबकि अब तक कल्पना सोरेन ने मोर्चा नहीं खोला है, कल्पना कीजिये, कि सीता सोरेन के साथ कल्पना की जुगलबंदी तेज होती है, दोनों एक साथ आदिवासी समाज के बीच अपने परिवार पर सियासी जुल्म की कहानियां परोसेंगे तो हालत में भाजपा किस सैलाब में डूबता नजर आयेगा.
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