दुमका डायन बिसाही मामले में राज्यसभा सांसद महुआ मांजी और पद्मश्री छुटनी महतो ने क्या कहा, जानिए


रांची (RANCHI): इन दिनों राज्य में माहिलाओं के साथ दुर्घटना में तेजी से वृद्धि दर्ज की जा रही है. ताज़ा मामला राज्य के उपराजधानी दुमका से है. उपराजधानी दुमका के सरैयाहाट थाना क्षेत्र से मानवता को शर्मशार करने वाली एक घटना सामने आयी है. असवारी गांव में डायन का आरोप लगा कर चार लोगों के साथ न केवल मारपीट की गई. बल्कि उन्हें मैला (मलमूत्र) भी पिलाया गया और लोहे को गर्म कर उससे पूरे शरीर में दागा भी गया. जानकारी के अनुसार शनिवार को असवारी गांव की रसी मुर्मू (55), सोनमुनी टुड्डू (47), श्रीलाल मुर्मू (40) और कोलो टुड्डू (45) को गांव के ही लोगों ने डायन करार दिया और चारों की जमकर पिटाई कर दी. इसके बाद चारों को बॉटल के जरिए जबरन मलमूत्र पिलाया गया. इतने में भी उन लोगों का मन नहीं भरा तो लोहा गर्म कर दो लोगों के शरीर पर बेरहमी से दागना शुरू कर दिया.
महुआ माजी ने कहा की मानसिक शिक्षा की जरुरत
इस मामले में THE NEWS POST ने राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद महुआ माजी से प्रतिक्रिया ली तो उन्होंने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि इस मामले में जितने भी दोषी हैं उन्हें अविलम्ब कड़ी से कड़ी सजा मिले ताकि भविष्य में ऐसी घटना को अंजाम देने से अपराधी सोचें. डायन बिसाही को सदियों की समस्या बताते हुए कहा कि इसमें सुधार लाने की जरुरत है. ऐसी घटनाएं सुदूर इलाके में अधिकतर घटती हैं. शिक्षा व्यवस्था में सिर्फ अक्षर ज्ञान ही नहीं बल्कि मानसिक शिक्षा की भी जरुरत है. गांव में डायन हत्या अंधविश्वास के कारण होता है. गांव में अगर कोई मौत हो जाता है या किसी को गंभीर बीमारी हो जाती है तो ओझा गुनी के पास ग्रामीण जाते हैं. उन्होंने कहा कि स्थायी समाधान के लिए गांव देहात में शिक्षा का प्रचार प्रसार होना चाहिए,महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ जाएँगी तो इन मामलों में कमी जरूर आएँगी. कमजोर महिलाओं पर अत्याचार अधिक होता है. आंगनबाड़ी सेविका सहायिका BDO /CO को भी तठस्थ होना पड़ेगा.
पद्मश्री छुटनी महतो ने इस मामले को अपने साथ जोड़ते हुए घटना को किया याद
"THE NEWS POST" ने पद्मश्री छूटनी महतो से दुमका के इस मामले पर बात की तो उन्होंने 1995 में हुए उनके साथ घटना को याद करते हुए भावुक हो गयी और उन्होंने कहा कि दुमका शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन का गांव है.बार -बार हम एक ही बात को कह रहे हैं. सोनाहातू मामले को याद करते हुए कहा कि हमारे पास साधन नहीं होने के कारण हम घटना स्थल पर नहीं जा पाते हैं. महिलाएं आगे बढ़ने का कार्य कर रही हैं तो महिलाओं के साथ शोषण किया जाता है. "कुछ समझ में नहीं आता तो फटाक से डायन कह दिया जाता है".डायन का नाम भो ओझा के द्वारा दिया गया है."लेकिन सरकार का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है.
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