TNPDESK- जिस मीडिया में नीतीश तेजस्वी की चाचा भतीजे की इस जोड़ी के द्वारा एक लाख बीस हजार युवाओं के हाथ में सौंपी जाने वाली नियुक्ति पत्रों की सुर्खियां होनी चाहिए थी, और इस नियुक्ति पत्रों को सामने रख कर केन्द्र की मोदी सरकार से उसके द्वारा प्रतिवर्ष की दो करोड़ नौकरियों के चुनावी वादे का हिसाब मांगा जाना चाहिए था, वह मीडिया आज इस बात की तहकीकात में जुटा है कि नियुक्ति पत्र वितरण से उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की तस्वीर कहां गूम हो गयी.
तेजस्वी की चिंता या बेचैनी का कारण दरअसल कुछ और है
यह वही मीडिया है जो रात दिन इस बात को परोसता रहता है कि बिहार की सत्ता सीएम नीतीश के हाथों से निकल कर तेजस्वी के पास पहुंच चुकी है, और सरकार के सारे महत्वपूर्ण फैसले तेजस्वी यादव के द्वारा ही लिये जा रहे हैं. सीएम नीतीश तो महज उस पर अपना हस्ताक्षर बना रहे हैं. यह वही मीडिया है जो यह बात मिर्च मसाले के साथ चलाता रहता है कि सीएम नीतीश अपनी पार्टी जदयू का राजद में विलय करने की अंतिम योजना बना रहे हैं, और उनके इस कदम से जदयू के कार्यकर्ताओं के सामने भाजपा में शामिल होने के सिवा कोई भविष्य नहीं है. यह वही मीडिया है जो इस बात को प्रसारित-प्रचारित करता रहता है कि सीएम नीतीश के खाने में गुप चुप तरीके से दवाईयां मिलायी जा रही है, और इसका असर उनके दिमागी सेहत पर पड़ रहा है, और यह कि ललन सिंह का राजद सुप्रीमो लालू यादव के साथ एक समझौता हो चुका है, ललन सिंह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के इशारे पर नीतीश को मटियामेट करने का फूल प्रूफ प्लानिंग तैयार कर चुके हैं.
मीडिया के इसी रवैये से क्षुब्ध होकर सीएम नीतीश ने बनायी थी दूरी
मीडिया की इसी रवैये के कारण पिछले दिनों नीतीश कुमार ने तमाम मीडिया चैनलों और अखबारों से दूरी बनाने का फैसला किया था, इसके पहले ही इंडिया गठबंधन कई एकंरों को ब्लैक लिस्टेट कर चुकी है, जिनके शो में आज के दिन कोई भी इंडिया गठबंधन का प्रवक्ता नहीं जा रहा है. इस बेबसी में उन्हे अपना पूरा शो भाजपा प्रवक्ता को सामने बैठा कर एकालाप के रुप में चलाना पड़ रहा है. और आज हालत यह हो गयी है कि कई नामी गिरामी चैलनों को शटर बंद हो रहा है.
यह सब कुछ महज दिमागी कल्पना नहीं है, जदयू राजद गठजोड़ के बाद बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद तमाम न्यूज चैलनों पर चलाई जानी वाली ये कहानियां है. आप इसमें किसी भी खबर को पकड़ लें, हर खबर आपको राजद जदयू के रिश्ते को स्वीकार करता हुआ दिखलायी नहीं पड़ेगा, कभी जदयू को भड़काने की कोशिश दिखलाई पड़ेगी तो कभी राजद कार्यकर्ताओं में भय पैदा करने की साजिश. और यहीं आकर मीडिया सवालों के घेरे में खड़ा हो जाता है.
आज का यह एतिहासिक पल गोदी मीडिया के लिए सदमें का दिन
और उसी नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में इस मीडिया प्रलाप पर हमला करते हुए तेजस्वी कहते हैं कि आज का यह ऐतिहासिक दिन गोदी मीडिया के लिए सदमें का दिन होगा. तेजस्वी दावा करते हैं कि कल अखबारों और आज चैनलों से यह खबर गायब रहेगी. उनमें इस एतिहासिक सफलता को दिखलाने की हिम्मत नहीं है, उनके उपर तुरंत दिल्ली से फरमान आ जायेगा. क्योंकि अब मीडिया में क्या चलाना है क्या छुपाना है सब कुछ भाजपा कार्यालय के द्वारा तय होता है. हालत यह हो गयी है कि भाजपाई कार्यकर्ता से ज्यादा मोदी भक्त यह मीडिया वाले हो गये हैं, और हुआ भी वही जिसकी आशंका कल तेजस्वी के द्वारा प्रकट की गयी थी, आज सुबह किसी भी अखबार में एक लाख बीस हजार नियुक्ति पत्र का वितरण की कोई बड़ी खबर नहीं थी. चंद शब्दों में इसे सलटाने की कोशिश की गयी थी, उसके स्थान पर इस बात तो उठाया गया था कि नियुक्ति वितरण समारोह से तेजस्वी की तस्वीर क्यों गायब थी, क्या सीएम नीतीश पाला बदलने वाले हैं.
तथ्यहीन सियासी कयासवाजियों के लिए मीडिया के पास नहीं है कोई ठोस तर्क
हालांकि इन तमाम तथ्यहीन सियासी कयासवाजियों के लिए उनके पास कोई मजबूत तर्क नहीं है, आखिर सीएम नीतीश पाला क्यों बदलेंगे? भाजपा के साथ वापस जाने से सीएम नीतीश को ऐसा क्या हासिल हो जायेगा, जो आज उनके पास नहीं है? तर्क दिया जायेगा कि अब इंडिया गठबंधन में उन्हे कोई पीएम फेस मानने को तैयार नहीं है? तब क्या भाजपा उन्हे पीएम फेस बनाने जा रही है. यदि नहीं तो नीतीश पाला क्यों बदलेंगे? जबकि वर्ष 2024 तक वह वैसे ही यहां सुरक्षित हैं. और कल कौन जानता है कि इंडिया गठबंधन में उनकी भूमिका क्या होगी, और जो कुछ भी होगी वह कम से कम भाजपा खेमे से अधिक ही होगी, कम से कम यहां उनकी पार्टी को मिटाने की साजिश तो नहीं रची जायेगी. शिव सेना, अकाली दल और दूसरे दलों के समान पार्टी जदयू को यहां कोई खतरा तो नहीं होगा.
तेजस्वी ने किया था इस खतरे से सतर्क
ध्यान रहे कि दावा किया जा रहा है कि नियुक्ति पत्र वितरण वाले समारोह में तेजस्वी के पोस्टरों को गायब कर दिया गया था. सारे समारोह में सिर्फ और सिर्फ सीएम नीतीश की तस्वीर लगी हुई थी, और इसके साथ ही यह दावा भी किया जाने लगा कि अन्दर खाने नीतीश और तेजस्वी में सब कुछ सामान्य नहीं है. लेकिन इस पूरी थ्योरी की हवा तब निकल गयी जब उसी नियुक्ति वितरण समारोह में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने धुंआधार भाषण के बीच उपस्थित लोगों को खड़ा होकर अपना दोनों हाथ उपर उठाकर सीएम नीतीश को धन्यवाद देने का आह्वान कर दिया. तेजस्वी की यह अपील जैसे ही लोगों के कान तक पहुंची, सारे हाथ एक साथ हवा में लहराते नजर आने लगे, इस छोटी सी कवायद से तेजस्वी ने सीएम नीतीश के साथ मनमुटाव की सारी प्रायोजित खबरों की हवा निकला दी. और साफ संकेत दे दिया कि बिहार में महागठबंधन के अन्दर कोई गांठ नहीं है. और जो गांठ हैं, दरअसल वह गांठ महागठबंधन के अन्दर नहीं होकर मीडिया के अन्दर का है, जो बिहार की कोई भी सकारात्मक खबर को दिखलाना नहीं चाहता, उसकी हर कोशिश सिर्फ और सिर्फ जदयू राजद के बीच खींचतान पर बनी होती है, और यदि इस गोदी मीडिया को घटक दलों के अन्दर कोई खींचतान नजर नहीं आती तो फिर प्रायोजित खबरें चलाई जाने लगती है.
हिन्दू मुसलमान की विभाजनकारी सोच से बाहर निकलने को तैयार नहीं गोदी मीडिया
लेकिन तेजस्वी यादव कल पूरे फार्म में नजर आयें, एक तरफ वह जहां भाजपा के विभाजनकारी नीतियों पर हमलावर थें, वहीं चुन चुन कर गोदी मीडिया की भूमिका पर सवाल उठा रहे थें. उनका कहना था कि इस देश में गोदी मीडिया की हालत यह हो गयी है कि वह हिन्दू मुसलमान से आगे बढ़कर कोई भी सकारात्मक खबर दिखलाने की हिम्मत भी नहीं कर पाता, आखिर क्या कारण है कि जब हम देश में एक साथ एक लाख बीस हजार लोगों को नियुक्ति पत्र प्रदान कर इतिहास कायम किया जा रहा है. कथित राष्ट्रीय मीडिया इस खबर को चलाने के बजाय हिन्दू मुसलमान का जहर फैलाने में लगा है, किसी भी राष्ट्रीय मीडिया पर इस खबर को नहीं चलाया जा रहा है, इस पर बहसों का आयोजन नहीं हो रहा है. हमने तो अपना वादा निभाया लेकिन पीएम मोदी के दो करोड़ की नौकरियों का क्या हुआ, किसी भी गोदी मीडिया में यह सवाल उठाने की हिम्मत नहीं है. पूरी गोदी मीडिया इस पर खामोश है, उसे अपने आका से इस खबर को दिखलाने के लिए हरि झंडी ही नहीं मिल रही है.
बगैर काम के भी काम गिनवाता रहता है गुजराती मीडिया
तेजस्वी यादव मौके पर मौजूद पत्रकारों को नसीहत देते हुए कहा कि आप सबों को तो गुजरात की मीडिया से सीखना चाहिए. यह वही गुजराती मीडिया है, जो बगैर किसी काम के भी दिन रात मोदी की उपलब्धियां दिखलाता रहता है, क्योंकि उसे पता है कि इससे उसके राज्य का हित हो रहा है, लेकिन वही भावना बिहार के पत्रकारों में क्यों नहीं होती. वह इतनी बड़ी उपलब्धि को नकारने की कोशिश क्यों करता है? वह दिन रात तथ्यहीन खबरों को चलाकर अपना और अपने पाठकों का समय बर्बाद क्यों करता है? उसे सिर्फ हिन्दू मुसलमान वाली विभाजनकारी खबरें ही पसंद क्यों आती है?
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