TNP DESK- एक तरफ सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के द्वारा जारी आंकड़े अनुसार अगस्त माह में पूरे देश में बेरोजगारी दर करीबन 8.28 के आसपास पहुंच गयी है. उसके दावे के अनुसार यह वर्ष 2021 के बाद सबसे अधिक बेरोजगारी है. जबकि वर्तमान में यह करीबन 10 फीसदी पार करने का दावा किया जा रहा है, इस बीच सीएम नीतीश ने एक साथ 1.20 लाख युवाओं को एक साथ नियुक्ति प्रदान कर भाजपा के उपर नैतिक दवाब कायम कर दिया है.
माना जाता है 2024 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार और इंडिया गठबंधन इसे भाजपा के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा सकती है. सीएम नीतीश की कोशिश पीएम मोदी के उस वादे को उछालने की होगी, जिसमें एक करोड़ नौकरियां प्रतिवर्ष देने का वादा किया गया था, उस दिशा में भाजपा एक कदम भी आगे बढ़ती हुई दिखलाई नहीं पड़ती. जबकि पीएम मोदी के विपरीत तेजस्वी यादव और नीतीश की यह जोड़ी लगातार नियुक्ति पत्र बांट रही है. दावा किया जा रहा है कि तेजस्वी के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद अब तक करीबन पांच लाख से उपर नौकरियां बांटी गयी है, यहां याद रहे कि तेजस्वी यादव ने 10 लाख नौकरियों का वादा किया था, दावा किया जा रहा है कि इस साल के अंत तक वह इसके काफी करीब खड़े होंगे.
आप इसे भी पढ़ सकते हैं
सीएम हेमंत के खिलाफ अचानक से गायब हुई ईडी की फुफकार! भाजपा का मिशन-14 तो नहीं है इसकी वजह
भाजपा की वापसी में रोजगार का मुद्दा साबित हो सकता है बड़ा रोड़ा
इस हालत में साफ है कि रोजगार के मोर्चे पर भाजपा 2024 के लोकसभा की लड़ाई में पिछड़ती नजर आने लगी है. नीतीश का यह मॉडल दूसरे राज्यों में एक उदाहरण बन सकता ह.सियासी जानकारों और रणनीतिकारों का यह आकलन है कि भाजपा को भी इस खतरे की आशंका है, लेकिन उसे इस बात भान है कि रोजगार का मुद्दा 2024 का अहम मुद्दा होने वाला है, शायद यही कारण है कि जैसे ही सीएम नीतीश ने नौकरियों का पिटारा खोला, पूरी भाजपा इसे नकारने में जुट गयी, यह दावा किया जाने लगा कि इसमें कई गड़बड़ियां हुई है, कभी दावा किया जा रहा कि नियुक्ति के आंकड़ों को बढ़ा चढ़ा कर दिखलाया जा रहा है, लेकिन यह संकट इससे टलने वाला नहीं है, यदि भाजपा को सीएम नीतीश की काट ढूढ़नी है, तो उसे रोजगार के मोर्चे पर अहम फैसला करना होगा.
4+