Ranchi-नव वर्ष का पहला दिन जब राजधानी उत्साह और उमंग में डूबा था, 31 दिसम्बर की खुमारी अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि झारखंड की सियासत में एक साथ कई सियासी भूचाल के संकेत मिलने शुरु हो गयें. इसकी पहली शुरुआत गांडेय से झामुमो विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफे के साथ हुई,सरफराज अहमद ने पार्टी के साथ ही अपनी विधायकी से भी इस्तीफा दे दिया. और जैसे ही यह खबर सामने आयी, कयासबाजियों का दौर शुरु गया.
सरफराज अहमद के इस्तीफे के साथ मिलने लगे कई बदलाव के संकेत
सरफराज अहमद के इस्तीफे को लेकर कई दावे एक साथ चलने लगें, पहला दावा तो यह आया कि जिस हसरत और महात्वाकांक्षा के साथ सरफराज अहमद ने कांग्रेस का दामन छोड़ कर झामुमो की सवारी की थी, वह पूरी नहीं हुई, और इसी निराशा और हताशा की हालत में उन्होंने इस्तीफा पेश कर दिया. लेकिन सवाल तब खड़ा हो गया, जब उनका पार्टी के साथ ही अपनी विधायकी से भी इस्तीफा देने की खबर आयी. और इसके बाद यह सवाल खड़ा हो गया कि सरफराज अहमद का अगला कदम क्या होगा?
धीरज साहू के बदले सरफराज अहमद का राज्य सभा जाने की चर्चा तेज
अभी इस सवाल का जवाब तलाशा ही जा रहा था कि अचानक से यह खबर हवा में तैरने लगी कि दरअसल सरफराज अहमद अब अपनी विधायकी त्याग कर राज्य सभा की सैर करने वाले है, दावा किया जा रहा है कि वह कांग्रेस कोटे से राज्य धीरज साहू के स्थान पर राज्य सभा जा सकते हैं, इस प्रकार सरफराज अहमद इंडिया गठबंधन के साथ ही खड़े रहेंगे, हालांकि पार्टी में बदलाव जरुर होगा, तो क्या यह झामुमो के लिए नव वर्ष की शुरुआत पर पहला झटका है. लेकिन इस सवाल को समझने के पहले हम यहां जान ले कि पिछले चंद दिनों से कांग्रेस के तमाम चेहरों को दिल्ली में जमघट लगा हुआ है, अभी अभी राजेश ठाकुर वापस लौट कर आये हैं, लेकिन कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर अभी दिल्ली में ही डेरा जमाये हुए हैं, वह दिल्ली में बैठकर लगातार झारखंड के नब्ज को टटोल रहे हैं. नेताओं से संवाद कायम कर रहे हैं और सबसे बड़ी बात राहुल गांधी की जो न्याय यात्रा झारखंड से गुजरने वाली है, उसका खांचा तैयार कर रहे हैं, इसके साथ ही वह इंडिया घटक दलों के बीच तालमेल और आपसी सहमति को मजबूत करने की कवायद कर रहे हैं.
झामुमो को झटका या कल्पना सोरेन के लिए रास्ता साफ करने की कवायद
लेकिन यहां सवाल खड़ा होता है कि यदि गुलाम अहमद मीर इंडिया गठबंधन के दूसरे घटकों के प्रति इतने संवेदनशील हैं तो जब पूरा झारखंड नव वर्ष की तैयारियों में डूबा था, झामुमो को 2024 का पहला झटका क्यों दिया, क्यों अपने ही घटक दल के एक मजबूत अल्पसंख्यक चेहरे को तोड़ कांग्रेस के साथ खड़ा कर दिया, और जब राहुल गांधी की न्याय यात्रा शुरु होने वाली है, उसके पहले ऑपेरशन झामुमो की क्या जरुरत थी, तो इसका जवाब है कि सरफराज अहमद की झामुमो से विदाई और कांग्रेस में उनकी इंट्री पटकथा कांग्रेस और झामुमो की आपसी सहमति का नतीजा है, दावा किया जाता है कि सीएम हेमंत के उपर जिस तरीके से ईडी की पकड़ मजबूत होती जा रही है, और जिस तरीके से उन्हे सातवें समन के साथ ही इस बात की चेतावनी दी गयी है कि यह आखरी समन है, उसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा भी अपनी सियासी बिछात को बिछाने में जुटा है, और इसी रणनीति के तहत सरफराज अहमद की सीट को खाली करवा कर उन्हे धीरज साहू के स्थान पर राज्य सभा भेजे जाने की पटकथा लिखी गयी है, ताकि सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के स्थिति में कल्पना सोरेन को सीएम पद की शपथ दिलवायी जा सकें और इसके साथ ही सरफराज अहमद के इस्तीफे से खाली हुई गांडेय सीट से उन्हे विधान सभा में इंट्री करवायी जा सकें.
आखिर सरफराज अहमद ही क्यों
लेकिन यहां सवाल उठता है कि आखिर सरफराज अहमद ही क्यों? तो ध्यान रहे कि सरफराज अहमद मूलत: कांग्रेसी है, उनकी नसों में कांग्रेस का ही खून दौड़ता है, यह ठीक है कि एक विशेष परिस्थिति में उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया था, लेकिन कांग्रेस की नीतियों पर उनकी निष्ठा नहीं बदली, और इसके साथ ही मीर एक अल्पसंख्यक चेहरे को राज्य सभा भेज कर राज्य के 14 फीसदी अल्पसंख्यकों को एक बड़ा संदेश दिया है कि कांग्रेस आज भी उनके साथ खड़ी है, और राहुल के न्याय यात्रा से ठीक पहले यह संदेश कई अर्थों में महत्वपूर्ण हैं.
अभी झारखंड कांग्रेस में बदल सकते हैं कई चेहरे
इस बीच खबर यह भी है कि गुलाम अहमद मीर अभी झारखंड में कई ऑपरेशन करने वाले हैं.बहुत संभव है कि राहुल की न्याय यात्रा से पहले पहले कांग्रेस अध्यक्ष का चेहरा में बदलाव आयें, कांग्रेस इस बार किसी अल्पसंख्यक या आदिवासी चेहरे पर दांव लगा सकती है, ताकि 2024 के महासंग्राम में उसका लाभ मिल सकें, और इस बात का संकेत गुलाम अहमद मीर के उस बयान से मिलता है, जो उन्होंने प्रदेश प्रभारी का पदभार ग्रहण करने के ठीक बाद दिया था, तब मीर ने कहा था कि वह जमीनी कार्यकर्ताओं को नयी जिम्मेवारी देने में विश्वास करते हैं, ताकि कांग्रेस का संगठन धरातल तक अपनी मौजूदगी दर्ज कर सकें.
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