Ranchi- बड़ी हसरतों के साथ कमल की सवारी करने वाले कुणाल षड़ंगी की घर वापसी अब खटाई में पड़ती नजर आने लगी है. हालांकि झामुमो नेतृत्व का रवैया थोड़ा सोफ्ट नजर जरुर आता है, लेकिन जिस तरीके से पालाबदल की खबर के बीच कोल्हान में विरोध के स्वर तेज हो रहे हैं, झामुमो कार्यकर्ताओं और विधायकों के द्वारा कुणाल की घर वापसी का विरोध किया जा रहा है, झामुमो नेत़ृत्व से इस बात की शिकायत की जा रही है कि जिस शख्स ने उनके नेता की गिरफ्तारी के बाद सार्वजनिक रुप से जश्न मनाया हो, हेमंत की गिरफ्तारी को जायज बताया हो, उसकी घर वापसी पर झामुमो कार्यकर्ताओं की दिलों पर क्या गुजरेगा? हम उसका स्वागत कैसे कर सकते हैं. कार्यकर्ताओं में उमड़ते इस आक्रोश के बीच झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने भी साफ कर दिया कि कमल की सवारी छोड़ झामुमो में आने वालों की एक लम्बी लाईन लगी है. कुणाल षड़ंगी भी इसमें से एक हैं. लेकिन यदि कोई टिकट की चाहत में घर वापसी की जुगत लगाता है, तो यह मंशा पूरी नहीं होने वाली है. इसके पहले घाटशिला विधायक रामदास सोरेन ने भी दबी जुबान से ही सही कुणाल की घर वापसी का विरोध किया था, रामदास सोरेन ने कहा था कि कुणाल षड़ंगी ही क्यों, क्रिकेटर सौरभ तिवारी भी लाईन में लगे हुए हैं. लेकिन इसका मतलब कदापी नहीं है कि झामुमो ज्वाईन करते ही जमशेदपुर का टिकट थमा दिया जाय.
जमशेदपुर और धनबाद में इंडिया गठबंधन का चेहरा कौन?
यहां ध्यान रहे कि गिरिडिह, धनबाद, रांची और जमशेदपुर सीट पर 25 मई को मतदान होना है. सियासी गलियारों में गिरिडीह से मथुरा महतो, रांची से रामटहल चौधरी को मैदान में उतरने की चर्चा है. इस हालत में सवाल खड़ा होता है कि जमशेदपुर और धनबाद में इंडिया गठबंधन का चेहरा कौन होगा? जहां धनबाद सीट के लिए अनुप सिंह की पत्नी और भाई की चर्चा हो रही है, वहीं पूर्णिमा नीरज सिंह का नाम भी सुर्खियों में है, एक दूसरा नाम गिरिडीह से पांच बार के सांसद रहे रविन्द्र पांडे का भी है, दावा किया जाता है कि रवीन्द्र पांडे भी धनबाद संसदीय सीट से कांग्रेस के टिकट पर उतरने को तैयार हैं, लेकिन यहां भी कांग्रेस रवीन्द्र पांडे को कोई आश्वासन देने के तैयार नहीं है. लेकिन मुख्य सवाल जमशेदुपर सीट का है, दावा किया जाता है कि यह सीट झामुमो के हिस्से जाने वाली है, और यही कारण है कि कुणाल षंड़गी से लेकर क्रिकेटर सौरभ तिवारी अपनी अपनी संभावनाओं को तलाश रहे हैं.
सामाजिक समीकरण को देखते हुए किसी कुर्मी चेहरे पर भी झामुमो लगा सकती है दांव
अब देखना होगा कि झामुमो कुणाल षड़ांगी या सौरभ तिवारी पर दांव लगाती है या फिर जमशेदपुर और कोल्हान का सामाजिक समीकरण को देखते हुए किसी कुर्मी चेहरे को सामने लाती है. खबर यह भी है कि कोल्हान की सियासत का एक बड़ा कुर्मी चेहरा शैलन्द्र महतो भी कमल का साथ छोड़ घर वापसी को तैयार बैठे हैं. फिलहाल भाजपा के साथ खड़े शैलेन्द्र महतो ने पूर्व सीएम हेमंत की गिरफ्तारी को भाजपा का साजिश बताया है, उनका दावा है कि केन्द्रीय भाजपा नेताओं की नजर झारखंड के जल जंगल और जमीन पर लगी हुई है. शैलेन्द्र महतो ने भाजपा में रहने के बावजूद पीएम मोदी को पत्र लिख हेमंत सोरेन को बेगुनाह बताते हुए तत्काल ईडी के चंगुल से मुक्त करवाने का अनुरोध किया था. जिसके बाद ही उनकी घर वापसी की चर्चा है. ध्यान रहे कि शैलेन्द्र महतो 1989 और 1991 में झाममो के टिकट पर जमशेदपुर लोकसभा सीट अपना परचम फहरा चुके हैं. जबकि उनकी पत्नी आभा महतो 1998 और 1999 में जमशेदपुर में कमल खिला चुकी है.
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