Ranchi:कोडरमा संसदीय सीट से महागठबंधन प्रत्याशी विनोद सिंह के बाद निवर्तमान भाजपा सांसद अन्नपूर्णा देवी ने भी अपना नामांकन दाखिल कर दिया. इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, विधायक नीरा यादव, केदार हाजरा के साथ ही उतर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की भी उपस्थिति रही. हालांकि किसी भी नामांकन में नेताओं का जुटना आम बात है. लेकिन कई बार इसके गहरे निहितार्थ भी होते हैं, चेहरों के सहारे सामाजिक समीकरण को साधने की कवायद भी की जाती है. किसी विशेष सामाजिक समूह को यह संदेश देने की कोशिश की जाती है कि उनका नेता किस चेहरे के साथ खडा है. सियासी गलियारे में केशव प्रसाद मौर्या की मौजूदगी भी इसी चश्मे से देखने की कोशिश की जा रही है. और इसका कारण है कोडरमा संसदीय सीट का सामाजिक समीकरण.
केशव प्रसाद की मौजूदगी महज इत्तेफाक था या एक विशेष सियासी रणनीति
ध्यान रहे कि एक आकलन के अनुसार कोडरमा संसदीय सीट पर 4.5 लाख कोयरी-कुर्मी, 2.65 लाख यादव, 2.5 लाख मुस्लिम, 1 लाख राजपूत और करीबन 50 हजार भूमिहार और इसके साथ ही आदिवासी समाज का भी करीबन सात फीसदी आबादी है और यहीं आकर वह सवाल खड़ा होता है कि अन्नपूर्णा के नामांकन में केशव प्रसाद की मौजूदगी महज इत्तेफाक था या एक विशेष सियासी रणनीति.
जीत के लिए यादव जाति के साथ कोयरी-कुशवाहा समीकरण बेहद जरुरी
क्योंकि अन्नपूर्णा के चेहरे के सहारे पहले ही भाजपा के पाले में 2.5 लाख यादव मतदाताओं का धुर्वीकरण पक्का माना जा रहा है. जबकि एक लाख की आबादी वाले राजपूत जाति और 50 हजार की आबादी वाला भूमिहार जाति को भाजपा का कोर वोटर माना जाता है. जिनका भाजपा के साथ खड़ा होना तय माना जा रहा है. इस हिसाब से अन्नपूर्णा करीबन चार लाख आधार मत से अपने संघर्ष की शुरुआत कर रही है. जबकि दूसरी तरफ 2.5 लाख मुस्लिम और सात फीसदी आदिवासी हैं, जिन्हे इंडिया गठबंधन का वोट माना जाता है. हालांकि इंडिया गठबंधन की ओर से एक राजपूत चेहरे पर दांव लगाया गया है, लेकिन अमूमन राजपूत जाति के मतदाता लाल झंडे से परहेज करते दिखलायी देते हैं. इस हालत में विनोद सिंह राजपूत जाति में कितनी सेंधमारी कर पाते हैं, देखने वाली बात होगी. लेकिन कुल मिलाकर इस गुणा-भाग में सत्ता की चाभी कोयरी-कुशवाहा मतदाताओं के हाथ आती दिख रही है. तो क्या इसी विशेष रणनीति के तहत भाजपा ने अन्नपूर्णा के नामांकन के अवसर पर केशव प्रसाद मौर्या की रणनीति बनायी, और क्या केशव प्रसाद मौर्या कोडरमा में 4.5 लाख कोयरी कुशवाह को अपने साथ खड़ा करने में कामयाब होंगे,और आगे भी उनका कोडरमा में दौरा जारी रहेगा.
इंडिया गठबंधन में कुशवाहा चेहरे का अभाव?
इस नजरिये से देखें तो इंडिया गठबंधन के पास कोई मजबूत कोयरी-कुशवाहा चेहरा नहीं है, जिस जयप्रकाश वर्मा के सहारे कुशवाहा समीकरण को साधा जा सकता था, खबर है कि वह खुद ही निर्दलीय मैदान में कूदने की तैयारी में हैं. और यदि ऐसा होता है तो यह इंडिया गठबंधन के लिए एक नया सिर दर्द साबित हो सकता है.
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