लोकसभा चुनाव बाबूलाल की अग्नि परीक्षा! आदिवासी वोट बैंक में सेंधमारी में नाकामी के बाद टूट सकता है पहाड़

 हालांकि बाबूलाल राज्य के सघन दौरे पर जरुर नजर आते हैं, लेकिन माना जाता है कि आज भी संगठन के अंदर उनकी स्वीकार्यता का अभाव है, रघुवर शासन काल के कई चेहरे आज भी बाबूलाल को बाहरी ही मानते हैं, उन्हे इस बात की पीड़ा है कि पार्टी में एक एक कर सभी पदों  को बाहरी लोगों से भरा जा रहा है, जबकि उनके हिस्से सिर्फ दरी और कुर्सी बिछाने काम आया है. इस हालत में यदि बाबूलाल आदिवासी मतदाताओं को साधने में सफल हो जाते हैं, तो उनकी राजनीति का परवान चढ़ना तय है, लेकिन यदि असफलता हाथ लगती है, तो प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी गंवाने का खतरा भी मौजूद है.

लोकसभा चुनाव बाबूलाल की अग्नि परीक्षा! आदिवासी वोट बैंक में सेंधमारी में नाकामी के बाद टूट सकता है पहाड़