Ranchi-बजट सत्र में भाग लेने की अनुमति के लिए पूर्व सीएम हेमंत की ओर से दायर याचिका पर आज हाईकोर्ट में बहस पूरी हो गयी. कोर्ट ने ईडी और पूर्व सीएम के वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, अब पूरे झारखंड की नजर हाईकोर्ट पर टिकी हुई है, हेमंत के समर्थकों के बीच भी इस फैसले का बेसब्री से इंतजार है. जस्टीस सुजीत नारायम प्रसाद की अदालत में पूर्व सीएम हेमंत की ओर से दलील पेश करते हुए देश के नामचीन वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में उनके खिलाफ अब तक आरोप पत्र दायर नहीं किया गया है. वह राज्य के सीएम रह चुके हैं और इसी आधार पर कोर्ट से अनुमति प्रदान करने की गुहार लगायी गयी. जबकि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की ओर से हेमंत की याचिका का विरोध करते हुए दावा किया गया कि अविश्वास प्रस्ताव में भाग लेने की अनुमति मिलने के बाद पूर्व सीएम के द्वारा इसका दुरुपयोग किया गया था, उनके द्वारा तब सदन के अंदर न्यायपालिका की आलोचना की गयी थी. चूंकि यह बयान सदन के अंदर दिया गया था, इस कारण से इसे न्यायपालिका का अवमानना तो नहीं माना गया. लेकिन यह एक गंभीर मामला है. कोर्ट को हेमंत की यह मांग खारीज कर देनी चाहिए. जबकि हेमंत सोरेन की ओर से पक्ष रखते हुए देश के नामचीन वकील कपिल सिब्बल ने पूर्व के कई मामले को नजीर पेश करते हुए इस बात का दावा किया है कि उनका बजट सभा में उपस्थित रखना अनिवार्य है. इसके पहले 23 जनवरी को कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए ईडी से अपना जवाब पेश करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद ईडी के द्वारा 26 को अपना जवाब पेश करने का आश्वासन दिया गया था. आज उसी मामले में हाईकोर्ट में आगे की सुनवाई होनी है.
पीएमएलए कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
यहां ध्यान रहे कि पूर्व सीएम हेमंत के द्वारा पीएमएलए कोर्ट में एक याचिका दायर बजट सत्र में शामिल होने की अनुमति की मांग गयी थी. लेकिन पीएमएलए कोर्ट से उन्हे बजट सत्र में शामिल होने की अनुमति नहीं मिली थी, जिसके बाद उनकी ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी है. कोर्ट में सरकार के महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से पूर्व सीएम हेमंत का पक्ष रखते हुए कहा है कि चूंकि बजट सत्र के दौरान सरकार की ओर से मनी बिल पेश किया जाता है, इसके कारण उनका सत्र के दौरान विधान सभा में हाजिर रहना अनिवार्य है. वैसे भी वह एक निर्वाचित प्रतिनिधि है, उन्हे अपने विधान सभा की समस्याओं का सदन में रखना होता है. सदन में जब बजट पास होगा तो इसमें उनके विधान सभा से जुड़ी समस्याओं का भी जिक्र होगा, उनके सामने भी अपने विधान सभा की समस्या और उसके समाधान के लिए किसी योजना और उसके लिए बजट की मांग हो सकती है, इस नाते भी उनकी उपस्थिति अनिवार्य है. बता दें कि बजट सत्र 23 फरवरी से शुरु है. शुक्रवार को बजट की कार्यवाही का संचालन के बाद इसे शनिवार और रविवार के लिए स्थगित कर दिया गया था.
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