झारखंड कांग्रेस में भी एक्टिव है भाजपा का स्लीपर सेल! “कमल” से पहले कमल छाप कांग्रेसियों को निपटाना गुलाम अहमद मीर की पहली चुनौती

क्योंकि झारखंड की चुनौतियां अभी शुरु हुई है, अभी तो इसकी कई परते खुलने बाकी है, बड़ा सवाल तो यही है कि गठबंधन के तहत कांग्रेस को जो छह सीटें दी गयी है, क्या उन सीटों पर इनके पास कोई मजबूत चेहरा भी है, क्योंकि यदि टिकट वितरण के समय मीर इन कमल छाप कांग्रेसियों की राय का शिकार हो गयें, तो निश्चित रुप से यह 2024 में भाजपा की चुनौतियों को आसान करना होगा, और यदि प्रत्याशी चयन में इनकी भूमिका को सीमित सिर्फ और सिर्फ जीत को पैमाना बनाया गया, सामाजिक समीकरण और तल्ख जमीनी हकीकत का सामना किया गया, तो फिर मीर के जयकारे भी लग सकते हैं.

झारखंड कांग्रेस में भी एक्टिव है भाजपा का स्लीपर सेल! “कमल” से पहले कमल छाप कांग्रेसियों को निपटाना गुलाम अहमद मीर की पहली चुनौती