TNP DESK-जुमलेबाज रजऊ, घटल बा कमाई, बढ़ल जाता मंहगाई, यूपी में का बा जैसे अपने भोजपूरी गीतों से सुर्खियों में छाने वाली नेहा सिंह राठौर ने इस बार इलेक्ट्रोल बॉन्ड पर मोदी सरकार को निशाने पर लिया है, अपने ताजा गीत “संदेश खाली जाओ, जाना ही चाहिए था” पर ये तो बता देना मणिपुर कब जाओगे? के साथ ही इलेक्ट्रोल बॉन्ड पर “दिल्ली में जो बैठे हैं जनता को फुसलाकर” “ये धर्म के व्यापारी, राम नाम के सौदागर” के साथ पीएम मोदी पर गहरा तंज कसा है. अपनी अगली लाइन में नेहा लिखती है “किस किस से लिया चंदा तुम कब दिखलाओगे? बदले में दिया क्या क्या अरे कब बतलाओगे?
पीएम मोदी का दावा कालाधन पर वार, विपक्ष ने बताया भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा स्त्रोत
यहां ध्यान रहे कि 2014 में मोदी सरकार की वापसी के बाद वर्ष 2017 में इल्केट्रोल बौन्ड की शुरुआत की गई थी, और तब यह दावा किया गया था कि इसके चुनाव में पारदर्शिता आयेगी. साथ ही सियासी पार्टियों को अपने चुनावी प्रबधंन और दूसरे खर्चो के लिए एक वैद्ध और साफ सुथरा राशि उपलब्ध होगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड से प्राप्त राशि की गोपनीयता को सूचना का अधिकार के साथ ही संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन माना है और इसके साथ ही इल्केट्रोल बौन्ड को निरस्त कर दिया. और इसके साथ ही पीएम मोदी के द्वारा बड़ी धूमधाम और बड़े बड़े दावों के साथ शुरु की गयी, इस योजना पर विराम लग गया. जस्टिस चंद्रचूड़ ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड काला धन पर काबू पाने का एकमात्र रास्ता नहीं है. इसके और भी कई पारदर्शी विकल्प हैं. हमें उन विकल्पों पर विचार करना चाहिए. एसबीआई को अब तक प्राप्त सभी इल्केट्रोल बौन्ड की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया. लेकिन करीबन 26 दिन गुजर जाने के बाद जब इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को उपलब्ध नहीं करवायी और इसके लिए जून माह तक समय की मांग की गयी तो सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए दो दिन अंदर पूरी जानकारी मुहैया करवाने या अवमानना की कार्रवाई के लिए तैयार रहने को कहा. जिसके बाद इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को प्रदान कर दी गयी. अब इसे जानकारी को चुनाव आयोग के बेबसाईट पर पब्लिक डोमेन में रखा जायेगा.
इलेक्टोरल बॉन्ड से सबसे अधिक चंदा भाजपा को मिला
दावा किया जाता है कि इल्केट्रोल बौन्ड के माध्यम से कॉरपरेट घरानों की ओर से सबसे अधिक चंदा भाजपा को मिला, हालांकि इसके बाद दूसरा नम्बर कांग्रेस का है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस को मिले चंदे में करीबन दस गुणा का अंतर है, जबकि क्षेत्रीय पार्टियों की हिस्सेदारी बेहद कम है. ध्यान रहे कि सीपीआई मार्क्सवादी देश की एकलौती पार्टी है, जो इल्केट्रोल बौन्ड के माध्यम से चंद नहीं लेती है, उसके द्वारा शुरु से ही इस योजना को भ्रष्टाचार की जननी बताय जा रहा था, उसका मानना था कि इल्केट्रोल बौन्ड जमीनी मुद्दों पर संघर्ष करती रहने वाली सियासी पार्टियों को चुनाव से दूर रखने की एक साजिश है. क्योंकि जब हम जनमुद्दों और जमीनी संघर्ष की राह पर चलते हैं तो कई बार हमारे निशाने पर कॉरपोरेट कंपनियां होती है. हमें इन कंपनियों की लूट के खिलाफ आवाज उठानी पड़ती है. इस हालत में कोई भी कॉरपोरेट घराना जनता की आवाज बन कर संघर्ष करने वाली पार्टियों को भला चंदा क्यों देगी और उसकी यह आशंका सही सिद्ध होती दिख रही है. नेहा राठौर अब इसी मुद्दे पर सरकार को घेरती नजर आ रही है, जैसे ही यह गीत सामने आया, इसे चर्चित होने में देरी नहीं लगी.
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