रांची (TNP Desk) : संथाल परगना में तीन लोकसभा सीटों में गोड्डा लोकसभा सीट बेहद खास है. यह सीट अनारक्षित है. यहां बीजेपी की टिकट पर निशिकांत दुबे ने जीत की हैट्रिक लगाई है. लेकिन इस बार जो वोटर्स का समीकरण और फिंजा में जो बाते तैर रही है, इससे इंडिया गठबंधन कमजोर नहीं दिख रहा , बल्कि भाजपा के निशिकांत दुबे को कड़ी टक्कर देने के फिराक में है. कांग्रेस के जिस प्रत्याशी के अखाड़े में उतरने की चर्चा है. उससे जातीय समकीरण, गुणा-भाग और उसके पक्ष में बहने वाली हवा मुकाबाले को दिलचस्प बनायेगा. पिछले तीन चुनाव में जिस तरह निशिकांत के वोटों का प्रतिशत जीत के साथ बढ़ा है. ऐसे में इस बार भी उनके सामने लगातार चौथी बार जीत का झंडा गाड़ने की चुनौती होगी . जानकारों के मुताबिक इस बार गोड्डा की जंग बेहद दिलचस्प होगा.
गोड्डा का जातीय समीकरण और मतदान
गोड्डा लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो इसमें मधुपुर, देवघर, जरमुंडी, पोरैयाहाट, महगामा और गोड्डा विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर बनाया गया है. गोड्डा सीट बिहार से सटा हुआ है. इसके एक तरफ भागलपुर है तो दूसरी तरफ बांका. गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में ही देवघर और बाबा धाम मंदिर आता है. ऐसे में यह सीट बेहद खास हो जाता है. 2011 के जनगणना के अनुसार गोड्डा संसदीय क्षेत्र में एससी की आबादी करीब 11.1 प्रतिशत है. एसटी मतदाताओं की संख्या 12.9 प्रतिशत है. वहीं मुस्लिम मतदाताओं की आबादी की बात करें तो इसकी संख्या करीब 21.1 प्रतिशत है. बौद्ध 0.2 प्रतिशत, जैन 0.2 प्रतिशत, सिख 0.2 प्रतिशत, ईसाई 2.67 प्रतिशत की आबादी है. गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में ग्रामीण मतदाताओं की संख्या शहरी के मुकाबले सबसे ज्यादा है. 2011 जनगणना के अनुसार ग्रामीण मतदाताओं की संख्या करीब 86.8 प्रतिशत है जबकि शहरी वोटरों की संख्या 13.2 प्रतिशत है. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में करीब 69.3 प्रतिशत वोटरों ने मतदान का प्रयोग किया था, जिसमें ग्रामीणों की भागीदारी सबसे ज्यादा रही.
इस बार मजबूत स्थिति में है इंडिया गठबंधन
गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में मधुपुर, देवघर, जरमुंडी, पोरैयाहाट, महगामा और गोड्डा विधानसभा क्षेत्र आता है जिसमें सबसे ज्यादा इंडिया गंठबंधन के प्रत्याशी विधायक हैं. मधुपुर से हफीजुल हसन, जरमुंडी से बादल, पोरैयाहाट से प्रदीप यादव, महगामा से दीपिका पांडे सिंह हैं. वहीं बीजेपी की बात करें तो देवघर से नारायण दास और गोड्डा से अमित मंडल विधायक चूने गए हैं. छह विधानसभा में से तीन कांग्रेस, एक जेएमएम, दो बीजेपी के विधायक हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से इंडिया गंठबंधन काफी मजबूत स्थिति में है. इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा पकड़ कांग्रेस की है, इसलिए इस बार के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार निशिकांत दुबे को इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी से कड़ी टक्कर मिल सकती है. हालांकि, गोड्डा से निशिकांत दुबे लगातार तीन बार सांसद चुने गए हैं. क्षेत्र में उनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है जनता के बीच लोकप्रिय भी है लेकिन बीते कुछ सालों से वहां की जनता सांसद के अकड़ू और बड़बोलेपन से उनसे दुरी बना सकती है जिसका सीधा फायदा दीपका को मिल सकता है, दीपका पांडेय पथरगमा से विधयाक है लेकिन अपनी कर्मठता और जुझारू व्यक्तित्व के वल पर गोड्डा के अन्य क्षेत्रो में भी काफ़ी लोकप्रिय है.
काफी लोकप्रिय विधायक हैं दीपिका पांडे सिंह
महगामा से कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे सिंह अपने क्षेत्र के साथ-साथ पूरे गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में काफी मशहूर हैं. वो हमेशा अपने क्षेत्र के साथ-साथ पूरे गोड्डा लोकसभा क्षेत्र की समस्याओं को सदन में उठाती रहीं हैं. जनता की आवाज बनकर सरकार से भी कभी-कभी दो-दो हाथ कर लेती हैं. ऐसे में दीपिका काफी लोकप्रिय विधायक बन गईं हैं. अगर कांग्रेस दीपिका के नाम पर मुहर लगाती है तो पोरैयाहाट के कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव का भी समर्थन चाहे अनचाहे उनके साथ होगी, यहां यादव वोटर की संख्या करीब 7 प्रतिशत है. दीपिका पांडे खुद ब्राह्मण हैं और उन्होंने शादी कुर्मी से की है ऐसे में उन्हें ब्राह्मण के साथ कुर्मी का भी समर्थन होगा जबकि ही एसटी और मुस्लिम वोटरों का साथ और इसका सीधा लाभ दीपिका को मिलने की सम्भावना भी है.
भाजपा को सीधी टककर देने की स्थिति में इडी. गठबंधन
2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार निशिकांत दुबे पर इस बार इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी भारी पड़ सकता है. हालांकि विपक्ष ने अभी तक प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है. लेकिन कयास लगाया जा रहा है कि कांग्रेस इस बार महगामा विधायक दीपिका पांडे सिंह को गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित कर सकती है. मैदान में दीपिका के आने से निशिकांत का राह आसान नहीं होगा. क्योंकि वे जनता की बीच हमेशा रहकर काम करती रहीं हैं. क्षेत्र में उनका मजबूत पकड़ है. कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे सिंह महगामा सहित पूरे गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में काफी मशहूर हैं. वे मूखर होकर जनता की आवाज को सदन में उठाती हैं. उनके द्वारा किये गये कामों से जनता भी खुश हैं. वहीं निशिकांत दुबे गोड्डा लोकसभा क्षेत्र की जनता से इसबार ज्यादा कनेक्ट नहीं हो पाए. ऐसे में कहा जा रहा है कि आने वाले चुनाव में गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में काफी दिलचस्प मुकाबला हो सकता है.
झारखंड बनने के बाद पहले लोकसभा चुनाव 2004 में कांग्रेस की हुई थी जीत
बिहार से अलग होने के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव जो झारखंड राज्य के तहत हुआ था उसमें कांग्रेस के फुरकान अंसारी ने इस सीट पर कब्जा जमाया था. हालांकि, लगातार तीन बार भाजपा यहां जीती थी लेकिन झारखंड बंटवारे के बाद यह सीट भाजपा के हाथ से निकल गई.
2009 में भाजपा ने की वापसी
2009 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार डॉ. निशिकांत दुबे ने गोड्डा सीट पर जीत हासिल की. इसके साथ गोड्डा एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी से भाजपा के खाते में चला गया. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से भाजपा प्रत्याशी डा. निशिकांत दुबे ने इस सीट पर जीत दर्ज की. हालांकि, 2014 में सभी लोकसभा सीटों पर मोदी के लहर का असर था. 2019 की लोकसभा चुनाव में गोड्डा लोकसभा सीट फिर भाजपा के कब्जे में रही. यहां से 2009 और 2014 के सांसद रहे निशिकांत दुबे ने तीसरी बार जीत दर्ज की. इस बार भी डॉ निशिकांत दुबे को ही भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है. अब देखने वाली बात है कि 2024 के लोकसभा के समर में डॉ निशिकांत दुबे फिर जीत दर्ज करते हैं या नहीं.
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