रांची(RANCHI):लोकसभा चुनाव के पहले हेमंत की गिरफ्तारी का मामला आदिवासी-मूलवासी समाज के बीच एक बड़ा सियासी मुद्दा बनता नजर आने लगा है.हेमंत की गिरफ्तारी को आदिवासी-मूलवासी समाज की अस्मिता पर हमला बताकर इसे लोकसभा चुनाव में सियासी हथियार बनाने की तैयारी की जा रही है. हालांकि आज की आक्रोश रैली में किसी सियासी पार्टी का झंडा बनैर नहीं था. लेकिन निशाने पर भाजपा और संघ परिवार की गतिविधियां थी. और इस बात का दावा था कि आदिवासी पूजा स्थलों पर आरएसएस का झंडा फहराने की कोशिश की जा रही है. सरना झंडे को बदलने की साजिश रची जा रही है.
सरना धर्म कोड को लागू करने की कोशिश हेमंत पर पड़ी भारी
ध्यान रहे कि आज हेमंत की गिरफ्तारी के विरोध में राजधानी रांची में आदिवासी संगठनों के द्वारा आक्रोश मार्च निकाला गया, मोरहाबादी मैदान से निकल कर जैसे ही यह काफिला अल्बर्ट एक्का चौक पहुंचा. “जेल का फाटक टूटेगा हेमंत सोरेन छूटेगा” के नारें की गूंज तेज होती नजर आयी, इस बात का दावा भी किया गया कि एक तरफ पूर्व सीएम हेमंत को एक भुंईहरी जमीन के मामले में फंसाने की साजिश रची जा रही है. बगैर किसी दस्तावेज और सबूत को जेल में रखा जा रहा हैं, वहीं पूरे झारखंड में आदिवासी पूजा स्थलों का हिन्दूकरण की साजिश रची जा रही है. सरना झंडा के बदले आरएसएस का झंडा लगाया जा रहा है. आदिवासी पूजा स्थलों पर दूसरे धर्म के लोगों के द्वारा कब्जा करने की कोशिश की जा रही है, आज पूरे झारखंड में आदिवासी पूजा स्थल निशाने पर हैं. हमें अपने ही धार्मिक स्थल से भागने को मजबूर किया जा रहा है.
हेमंत की गिरफ्तारी भाजपा की सियासी चाल
हेमंत की गिरफ्तारी को भाजपा और केन्द्र सरकार की साजिश बताते हुए अजय तिर्की ने दावा किया कि हेमंत सोरेन का कसूर महज इतना था कि झारखंड के इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री के द्वारा आदिवासी मूलवासी समाज के लिए काम कर रहा था. जिस सरना धर्म कोड का सपना आदिवासी समाज सदियों से देख रहा था, हेमंत उसे सरजमीन पर उतारने की लडाई लड़ रहे थें और यही उनकी गिरफ्तारी के पीछे की असली वजह है. भाजपा का इशारा होते ही ईडी अपने आरोपे गठरी लेकर खड़ी हो जाती है, लेकिन वह भूल जाती है कि यह झारखंड हैं, वह झारखंड जिस जमीन पर कभी बिरसा मुंडा ने अपनी शहादत दी थी, दिकुओं के खिलाफ जंग का एलान किया था. हम बिरसा के संघर्ष की उस परंपरा को आगे बढ़ायेंगे और बिरसा के सपने को मंजिल तक पहुंचायें.
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