Ranchi-देवर बसंत के द्वारा भाभी सीता सोरेन की घर वापसी के दावे के साथ ही दुमका का सियासी पारा हाई है. भाजपा कार्यकर्ताओं के चेहरे पर चिंता की लकीर साफ-साफ देखी जा रही है. हालांकि भाजपा रणनीतिकारों के द्वारा बसंत सोरेन के इस दावे को हवा-हवाई बताते हुए जेएमएम पर भ्रामक प्रचार करने का आरोप लगाया जा रहा है. लेकिन इस सबके बीच झामुमो-भाजपा के बीच शक्ति प्रर्दशन का दौर भी जारी है. एक तरफ सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन के नामांकन में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल जीत की हुंकार लगाते दिख रहे हैं, यज्ञ मैदान से सीता सोरेन के जीत के दावे कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आउटडोर स्टेडियम से कल्पना सोरेन नलीन सोरेन के पक्ष में जीत का ताल ठोक रही है. उनके साथ ही सीएम चंपाई सोरेन भी अपनी मौजूदगी दर्ज कर इस बात को रेखांकित करने की कोशिश कर रहे हैं कि हेमंत की गैरमौजूदगी में बहू कल्पना अकेला नहीं है, झामुमो के सभी पुराने और विश्वसनीय चेहरे इस संकट के समय में उनके साथ है.
भीड़ के मामले में बाजी मारती दिखी झामुमो
हालांकि भीड़ के मामले में झामुमो बाजी मारती दिख रही है, अब तक की जानकारी के अनुसार आउटडोर स्टेडियम में पूरी तरह से अटा पड़ा है, जबकि दूसरी ओर से यज्ञ मैदान में चार से पांच हजार की भीड़ जुटी. लेकिन सवाल भीड़ का नहीं होकर आगे के सियासी संघर्ष का है. सवाल यह भी है कि क्या सीता के चेहरे के सहारे भाजपा इस बार भी दुमका में कामयाबी का झंडा फहराने में सफल होगी? या फिर नलीन सोरेन को सीता के मुकाबले में खड़ा कर झामुमो अपने इस किले को वापस लेगी. यह सवाल इसलिए भी खड़ा हो रहा है कि सीता की पलटी के साथ ही दुमका के सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा तेज थी कि तमाम सियासी विवशता के बावजूद दिशोम गुरु का अपनी बड़ी बहू सीता सोरेन के प्रति एक सौफ्ट कार्नर जरुर है. और वह सीता की राह में बाधा बनना पसंद नहीं करेंगे, चर्चा तो इस बात की भी थी कि देवरानी कल्पना भी दुमका से दूरी बना सकती है. और सब कुछ बसंत सोरेन के कंधों पर छोड़ा जा सकता है. लेकिन यह सारे आकलन गलत साबित हुए. जबकि दूसरी ओर आउटडोर स्टेडियम से कल्पना नलीन सोरेन के पक्ष में बैटिंग करती नजर आ रही है.फिलहाल दुमका की सियासत बेहद गर्म है. जीत और हार के अपने अपने दावे हैं. और इन दावों के बीच कल्पना सोरेन की दहाड़ और गुरुजी की चुप्पी है.
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